What is Cloud Computing in Hindi | क्लाउड कम्प्यूटिंग के प्रकार और विशेषताऐं

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आज के हमारे इस आ​र्टिकल का विषय है What is Cloud Computing in Hindi. जी दोस्तों यदि टेक्नोलॉजी की बात की जाए तो आज के समय में किसी कार्य को आसान बनाने के लिए कई ​तरह के अविष्कार होते रहते हैं। हर दिन कुछ नया या पुरानी सेवाओं को ओर अधिक आसान बनाने के लिए सर्विसिस में अपग्रेड आते रहते हैं इसलिए हमें टेक्नोलॉजी में आए बदलावों के साथ चलना चाहिए। टेक्नोलॉजी की इन्ही सेवाओं में एक है क्लाउड कम्प्यूटिंग (Cloud Computing). तो दोस्तों इस आर्टिकल में आप हिन्दी में जानेंगे कि क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है, ये कितने प्रकार की होती है। इसकी विशेषताएं क्या हैं और क्यों प्रयोग करते हैं।

Content: What is Cloud Computing in Hindi

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आज के युग में लगभग सभी लोगों ने अपने जीवन में कभी न कभी इंटरनेट का इस्तेमाल अवश्य ही किया होगा। चाहे वो स्मार्टफोन में हो, लैपटॉप में या आपके घर का डेस्कटॉप कंप्यूटर हो। इंटरनेट तो आज के जीवन की लाइफलाइन बन चुकी है। साधारण शब्दों में हम ये कह सकते हैं क्लाउड कम्प्यूटिंग (Cloud Computing in Hindi) एक तरह से इंटरनेट का अपग्रेड वर्ज़न है जो पारंम्परिक इंटरनेट से ज्यादा की स्पीड पर डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ट्रांसफर कर सकता है।

वैसे हम आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि आपने भी जाने अनजाने में क्लाउड कम्प्यूटिंग (Cloud Computing) का इस्तेमाल किया होगा जैसे कि आप अपने जीमेल अकांउट का प्रयोग करते हैं, अमेज़ोन की वेबसाईट पर कुछ खरीदारी करते हैं। यूट्यूब, नेटफ्लिक्स या किसी और विडियो सर्विस का इस्तेमाल करते हैं या गूगल का कोई अन्य प्रोडक्ट इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप क्लाउड कम्प्यूटिंग से जुड़े हुए हैं क्योंकि ये सभी सर्विसिस क्लाउड कम्प्यूटिंग का ही इस्तेमाल करती हैं।

और तो और आप हमारी वेबसाईट पर ये आर्टिकल पढ़ रहे हैं तो आपको बता दें कि हमारी वेबसाईट भी क्लाउड कम्प्यूटिंग का ही प्रयोग करती है। क्लाउड कम्प्यूटिंग आज के समय में ज्यादा प्रयोग होने वाली सर्विस है।

क्लाउड कम्प्यूटिंग क्या है (What is Cloud Computing in Hindi)

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वैसे तो आप क्लाउड कम्प्यूटिंग के बारे में काफी कुछ तो समझ ही गए हैं लेकिन अब हम तकनीकी रूप से बताते हैं कि What is Cloud Computing in Hindi. यदि कोई व्यक्ति अपने बिजनेस को इंटरनेट पर चलाना चाहता है तो उसे बिजनेस के लिए साधारण वेब सर्वस (Dedicated or Shared) या क्लाउड सर्वर (Cloud Server) लेना होगा। दोनों प्रकार के सर्वर बिजनेस से सम्बधित डाटा के रख रखाव या वेबसाईट चलाने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। जैसा कि हमने पहले बताया कि Cloud Computing टेक्नोलॉजी, पारम्परिक वेब सर्वर का एडवांस वर्जन है।

इंटरनेट पर सीमित जगह (Storage Space) को ‘सर्वर’ (Server) कहते हैं और इस सीमित जगह पर आप अपने बिजनेस या सर्विस का डाटा रख सकते हैं या अपनी बिजनेस वेबसाईट को चला सकते हैं।

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Cloud Server, साधारण सर्वर से काफी अच्छा माना जाता है क्योंकि इसकी स्पीड साधारण वेब सर्वर से काफी अधिक होती है और उसे बिना किसी मशक्कत के आवश्यकतानुसार घटाया या बढ़ाया जा सकता है। एक उदाहरण के तौर पर यदि आप साधारण वेब सर्वर का इस्तेमाल कर रहे हैं और आपकी बेवसाईट या सर्विस पर ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगती है तो आपको आवश्यतानुसार बड़ा सर्वर लेना होगा ​और फिर अपनी सर्विसिस या डाटा को वहां ट्रांसफर करना होगा जिसमें आपका काफी समय बर्बाद होगा जबकि क्लाउड सर्वस पर ऐसा नहीं है इसे आवश्यकतानुसार, बिना डाटा को ट्रांसफर किये बढ़ाया या घटाया भी जा सकता है। तो बढ़ते हैं आगे और जानते हैं Cloud Computing in Hindi की अन्य जानकारियां।

क्लाउड कम्प्यूटिंग के प्रकार (Types of Cloud Computing in Hindi)

साधारण तौर पर क्लाउड कम्प्यूटिंग (Cloud Computing in Hindi) को 2 मुख्य आधार पर विभाजित किया जा सकता है और इन 2 आधारों की भी अन्य उपश्रेणियां हैं जो इस प्रकार हैं।

1. डिप्लॉयमेंट के आधार पर

2. क्लाउड डिलीवरी मॉडल्स के आधार पर

1. डिप्लॉयमेंट के आधार पर

​क्लाउड कम्प्यूटिंग के 2 मुख्य आधारों में पहले है, डिप्लॉयमेंट के आधार पर विभाजन। डिप्लॉयमेंट के आधार पर हम इसे 4 उप श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं।

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A. पब्लिक क्लाउड कम्प्यूटिंग (Public Cloud Computing)

पब्लिक क्लाउड कम्प्यूटिंग सामान्यत: सभी लोगों के लिए उपलब्ध है और पब्लिक क्लाउड, सर्विस देने वाले के द्वारा मैनेज किया जाता है। इस प्रकार की सर्विस अधिकतर मुफ्त होती है लेकिन कभी-कभी इस सर्विस के बदले थोड़ा बहुत भुगतान (Pay) भी किया जा सकता है। इन सर्विसिस में अमेज़न वेब सर्विस (AWS), माइक्रोसॉफ्ट Azure आदि पब्लिक क्लाउड कम्प्यूटिंग के सर्वश्रेठ उदाहरण हैं।

B. प्राइवेट क्लाउड कम्प्यूटिंग (Private Cloud Computing)

प्राइवेट क्लाउड कम्प्यूटिंग सर्विस में प्रत्येक उपयोगकर्ता किसी सर्विस या स्टोरेज का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन उस सर्विस को केवल वही यूज़र पासवर्ड के द्वारा उपयोग करता है और किसी अन्य यूज़र्स के साथ शेयर नहीं करता। यूजर का सम्पूर्ण डाटा ईमेल या पासवर्ड से सुरक्षित रहता है। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है गूगल ड्राईव (Google Drive) जिसे केवल यूजर ही पासवर्ड के द्वारा प्रयोग करते हैं।

C. कम्युनिटी क्लाउड कम्प्यूटिंग (Community Cloud Computing)

कम्युनिटी क्लाउड कम्प्यूटिंग किसी एक ग्रुप या समूह के लोगों को दी जाती है। इसमें ग्रुप से बाहर का कोई व्यक्ति इस सर्विस का इस्तेमाल नहीं कर सकता। इसका उदाहरण है किसी दफ्तर के कर्मचारी। किसी एक दफ्तर के कर्मचारी ही उन सभी ​सर्विसिस या वेबसाईट का डाटा को इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें किसी यूनिवर्सिटी की वेबसाईट पर यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को भी शामिल किया जा सकता है।

D. हाइब्रिड क्लाउड कम्प्यूटिंग (Hybrid Cloud Computing)

Hybrid Cloud Computing में प्राइवेट क्लाउड और पब्लिक क्लाउड दोनों का उपयोग होता है। जैसे किसी वेबसाइट पर कोई डाटा केवल रजिस्टर्ड लोगों के लिए ही उपलब्ध हो और कुछ डेटा सार्वजनिक रूप में उपलब्ध हो तो ऐसे क्लाउड को हाइब्रिड क्लाउड कहते हैं। भारतीय रेलवे की टिकट सेवा, हाइब्रिड क्लाउड कम्प्यूटिंग का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

2. क्लाउड डिलीवरी मॉडल्स के आधार पर

अभी आपने डिप्लॉयमेंट के आधार पर क्लाउड कम्प्यूटिंग के बारे में जाना। आईये अब जानते हैं क्लाउड डिलीवरी मॉडल्स के आधार पर क्लाउड कम्प्यूटिंग के प्रकार।

A. IAAS (Infrastructure as a Service)

इस प्रकार की सेवाओं में क्लाउड कम्प्यूटिंग का पावर, सॉफ्टवेयर, स्टोरेज, नेटवर्क पावर और अन्य कंट्रोल उपयोगकर्ता के पास रहता है। इस सेवा को मूल रूप से व्यापार के लिए उपयोग किया जाता है। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण वर्चुअल प्राइवेट सर्वर (VPS) है जिसमे यूज़र को सॉफ्टवेयर और नेटवर्क के साथ-साथ कम्प्यूटिंग की पावर भी प्राप्त होती है।

B. PAAS (Platform as a Service)

PAAS (Platform As A Service) में उपयोगकर्ता को केवल एक प्लेटफार्म प्राप्त होता है जिसमे या तो स्टोरेज या कम्प्यूटिंग पावर ही प्राप्त होती है। PAAS में यूज़र, चीजों को पूरी तरह कंट्रोल नहीं करते बल्कि इन्हे क्लाउड प्रोवाइडर द्वारा ही कंट्रोल किया जाता है। इसके उदाहरण हैं जीमेल (Gmail), रेडिफ (Rediff) एवं याहू (Yahoo) आदि।

3. SAAS (Software as a Service)

SAAS (Software As A Service) में यूज़र को रिमोट सर्वर पर होस्टेड, मात्र एक ही सॉफ्टवेयर प्राप्त होता है जिसका उपयोग किसी निश्चित कार्य के लिए किया जाता है। इस प्रकार की सेवा को ​अधिकतर छोटे व्यवसायी काम में लाते हैं। इस प्रकार की सेवा में किसी भी प्रकार का सॉफ्टवेयर उपलब्ध हो सकता है जैसे गूगल डॉक्स ऑनलाइन या गूगल सुइट आदि। ये सभी SAAS के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं।

क्लाउड कम्प्यूटिंग के उदाहरण (Examples of Cloud Computing in Hindi)

क्लाउड कम्प्यूटिंग टेक्नोलॉजी के कई उदाहरण आज दुनिया में सहज रूप से देखे जा सकते हैं जिसमें कुछ चुने हुए मशहूर प्लेटफॉर्म हम आपको बताने जा रहे हैं।

YouTube : दुनिया के नम्बर 1 विडियो प्लेटफॉर्म YouTube के बारे कौन नहीं जानता। ये मशहूर वीडियो शेयरिंग वेबसाईट, गूगल कंपनी का ही प्रोडक्ट है। YouTube पर प्रतिदिन लाखों की संख्या में वीडियोज़ अपलोड होते हैं। इतना बिज़ी प्लेटफॉर्म होने के करण YouTube को इतनी अधिक संख्या में वीडियो को स्टोर करने के लिए Cloud Computing टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना पड़ता है।

Facebook : दुनिया का नम्बर 2 सोशल मीडिय प्लेटफॉर्म फेसबुक जिस पर अरबों लोगों की प्रोफाइल हैं और अत्याधिक डाटा मौजूद है। ऐसे में इस अपार डाटा को सुरखित रखने के लिए फेसबुक भी Cloud Computing का ही उपयोग करता है।

Emails : ईमेल सेवाऐं देने वाली लगभग सभी कंपनियां (जैसे की Gmail, Rediff, yahoo) व ऑनलाइन Storage Space देने वाली सभी कंपनी जैसे की ड्रॉपबॉक्स, यांडेक्स, मीडिया फायर, मेगा आदि Cloud Computing का ही उपयोग करती हैं।

Video Streaming Sites: वीडिया स्ट्रीमिंग करने वाली सभी ऐप्प जैसे कि Netflix, सोनी लिव, ज़ी फाइव, अमेजोन प्राइम या कई अन्य वीडियो सेवाऐं प्रदान करने वाली कम्पनियां भी तेज गति वीडियो स्ट्रीमिंग के लिए Cloud Computing का उपयोग करती हैं।

क्लाउड कम्प्यूटिंग कैसे काम करता है (How Cloud Computing works)

क्लाउड कम्प्यूटिंग में कई सर्वर्स होते हैं मतलब कि कई कम्प्यूटर्स होते हैं और उन सर्वर पर एक विशेष प्रकार का सॉफ्टवेयर इंस्टॉल होता है जिसके द्वारा कार्य किया जाता है। ये सॉफ्टवेयर एक से अधिक भी हो सकते हैं। क्लाउड कम्प्यूटिंग मूलतः Dual Layers Technology System पर कार्य करता है जिसे ‘फ्रंट ऐंड’ और ‘बेक ऐंड’ कहा जाता है। सर्वर्स को मैनेज करने के लिए दूसरी लेयर का इस्तेमाल किया जाता है जो Back End कहलाती है और एक अन्य लेयर जिसे यूज़र उपयोग करते हैं जो Front End कहलाती है। इन दो प्रकार की Back End और Front End को मिलाकर एक पूरा Cloud Computing सर्वर सेटअप तैयार होता है।

क्लाउड कम्प्यूटिंग का इतिहास (History of Cloud Computing)

क्लाउड कम्प्यूटिंग का आरंभ 1960 के दशक से माना जाता है। उस वक्त इंटरनेट भी लोगों तक सही तरह से नहीं पहुंच सका था लेकिन Cloud Computing का सही आरंभ इसके 30 से 40 वर्षों के बाद सन 1990 में हुआ जब Salesforce नामक एक कंपनी ने अपनी वेबसाइट के लोगों को क्लाउड कम्प्यूटिंग की सेवाएं देना शुरू किया। तभी से लोगों ने क्लाउड कंप्यूटिंग के महत्त्व को समझा और इसके बाद ही लोगों को मालूम हुआ कि क्लाउड कम्प्यूटिंग, भविष्य में कितनी महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी साबित हो सकती है।

इसके कुछ वर्षों बाद क्लाउड कम्प्यूटिंग ने अत्यधिक रफ्तार पकड़ी और 21वीं शताब्दी में आमेज़ॉन, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कई बड़ी कंपनियों ने Cloud Computing के क्षेत्र में अपनी सेवाएं देना आरंभ किया।

क्लाउड कम्प्यूटिंग के लाभ (Benefits of Cloud Computing in Hindi)

अधिक स्टोरेज (Large Storage)

क्लाउड कम्प्यूटिंग का सबसे बड़ा फायदा है कि इसमें आपका पूरा डाटा Cloud पर Save होता है जिसमे आप आवश्यकतानुसार स्टोरेज को बिना डाटा ट्रांसफर किये बढ़ा और घटा सकते हैं।

डाटा एक्सेस आसान (Ease of Data Access)

क्लाउड सर्वर पर डाटा को रखने का सबसे बड़ा फायदा है कि आप डाटा को किसी भी स्थान से और किसी भी डिवाइस से एक्सेस कर सकते हैं। इस कार्य के लिए आपको सिर्फ इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होगी।

डाटा की सुरक्षा (Security of Data)

क्लाउड कम्प्यूटिंग का एक और सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें यूज़र का डाटा सुरक्षित रहता है। ये कम्प्यूटिंग सिस्टम, यूज़र के डेटा का एक स्क्रीनशॉट तैयार करता है जिससे कि अकारण वश यदि कभी सर्वर में कोई दिक्कत आऐ तो डाटा आसानी से रिस्टोर हो सके। इसके अलावा यूज़र का डाटा सिक्योरिटी डिवाईस में स्टोर रहता है जिसे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा हैक नहीं किया जा सकता।

हाईस्पीड प्रोसेसिंग पावर (High Speed Processing Power)

क्लाउड कम्प्यूटिंग पर डाटा की Processing स्पीड काफी तेज होती है। क्लाउड कम्प्यूटिंग पर पावर के साथ कोई समझौता नहीं होता। आप आवश्यकतानुसार जितना चाहे उतना प्रोसेसिंग पावर खरीद सकते हैं। जैसे कि CPU और RAM स्पेक्स, कम या ज्यादा कर सकते हैं।

कीमत कम होना (Less Price)

क्लाउड कम्प्यूटिंग में आप अपनी आवश्यकतानुसार Storage Space खरीद सकते हैं जिसमें आपको जरूरत के मुताबिक ही पैसे का भुगतान करना होता है। उदाहरण के तौर पर यदि आपको 10 GB स्टोरेज स्पेस की आवश्यकता है तो आप 10 GB के पैसे का भुगतान करते हुए इतना ही स्पेस खरीद सकते हैं।

किश्तों में दे पैसा (Pay on the Go)

क्लाउड कम्प्यूटिंग की एक और खासियत ये भी है कि आप साल या महीनो के लिए ही नहीं बल्कि दिनों और घंटों के हिसाब से भी क्लाउड सर्वर खरीद सकते हैं। बस उपयोग करते जाएं और साथ-साथ पैसों का भी भुगतान करते जाऐं।

100 प्रतिशत सर्वर अप (No Downtime)

यदि कोई व्यक्ति अपने बिजनेस के लिए क्लाउड सर्वर का उपयोग करता है तो उसकी वेबसाईट या सर्विस 100 प्रतिशत अप रहती है। जैसे कि साधारण या शेयर्ड सर्वर में कभी-कभी वेबसाईट या सर्विस डाउन हो जाती है जिसके कारण ग्राहकों को और व्यवसायी दोनों को नुकसान झेलना पडता है। क्लाउड कम्प्यूटिंग में ऐसी कोई समस्या नहीं होती।

क्लाउड कम्प्यूटिंग के नुकसान (Disadvantages of Cloud Computing)

ऐसा नहीं है कि क्लाउड कम्प्यूटिंग के केवल फायदे ही फायदे हैं बल्कि कुछ लोगों का ये भी मानना है कि क्लाउड कम्प्यूटिंग के द्वारा यूज़र की स्वतंत्रता प्रभावित होती है। यूज़र के डेटा संग्रह और नियंत्रण की जिम्मेदारी को प्रदाता के हाथों में नहीं देता। क्लाउड कम्प्यूटिंग को इस्तेमाल करने वाला यूज़र अपने ही डाटा को फिज़िकल ड्राइव में लेने की अनुमति नहीं देता है (हालांकि यह संभावना अपवाद है कि यूज़र्स अपने डाटा को USB फ्लैश ड्राइव के द्वारा हार्ड डिस्क तक भेज सकता है।)

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कुछ लोग क्लाउड कम्प्यूटिंग की आलोचना इसलिए भी करते हैं कि यह यूज़र्स की स्वतंत्रता को सीमित कर देता है और उन्हें क्लाउड मैनेजर पर निर्भर कर देता है और कुछ आलोचकों के अनुसार यूज़र केवल उसी सेवा का उपयोग कर पाता है जिसे मैनेजर उपलब्ध कराता है।

दोस्तों आपको हमारा आर्टिकल What is Cloud Computing in Hindi कैसा लगा, उम्मीद है पसंद आया होगा और Cloud Computing in Hindi से जुड़ी आपकी सभी जिज्ञासाऐं समाप्त हो गई होंगी। यदि हमारे द्वारा दी गई जानकारी में कोई गलती हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य बताऐं।

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