शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता सुखबीर सिंह बादल ने ये आरोप लगाया कि सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ क्रूरता का प्रयोग कर रही है, और इसी करण वश उन्होंने शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के संबोधन का बहिष्कार किया है।
इससे पहले राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में कहा कि पिछले दिनों राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय दिवस का अपमान किया गया था, जबकि संविधान सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है, यह लोगों को नियमों और विनियमों का गंभीरता से पालन करना भी सिखाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि “पिछले कुछ दिनों में राष्ट्रीय ध्वज और गणतंत्र दिवस जैसे एक पवित्र दिन का अपमान किया गया था जबकि संविधान हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है, वही संविधान है जो हमें सिखाता है कि कानून और नियमों का गंभीरता से पालन किया जाना चाहिए।”
सुखबीर सिंह बादल ने सरकार पर लगाया आरोप
सुखबीर सिंह बादल ने संसद के बाहर रहते हुए कहा कि “किसान छह महीने से ज्यादा समय से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और अब तक लगभग 300 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। सरकार ने उनकी मांगों को नहीं सुना और अब आंदोलन को खत्म करने के लिए उन पर बल प्रयोग कर रही है। और इसलिए सभी विपक्षी दलों का मानना है कि किसानों पर अत्याचार हो रहा है।”
सुखबीर सिंह बादल ने ये भी कहा कि किसान इन सभी विषयों पर सरकार से लगातार बात कर रहें हैं उनकी बातचीत का कोई परिणाम निकल कर नहीं आया।
16 राजनीतिक दलों ने किया बहिष्कार
आपको बता दें कुल 16 राजनीतिक दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया। जिनमें – कांग्रेस, NCP, JK नेशनल कॉन्फ्रेंस, DMK, AITC, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, RJD, CPI (M), CPI, IUML, RSP, PDP, MDMK, केरल कांग्रेस (M) शामिल हैं।
इन 16 दलों के अलावा, राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने वालों में बहुजन समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल भी हैं।
वाम दलों के सांसदों ने भी केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले किसानों के समर्थन में संसद तक विरोध मार्च निकाला।