टायफाइड के लक्षण क्या होते हैं | जानिए Typhoid Fever Cause हिन्दी में

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टायफाइड के लक्षण क्या होते हैं, आज हम जानेंगे इसी विषय के बारे में। जब हमारे शरीर में किसी भी तरह का इन्फेक्शन होता है या कोई बिमारी हमारे शरीर में पैदा हो रही होती है तो हमारे शरीर का तापमान बढ़ने लगता है जिसे हम साधारण भाषा में बुखार कहते हैं।

बुखार किसी बीमारी का एक लक्षण मात्र है जिससे हम ये जान सकते हैं कि हमारे शरीर में कुछ असमान्य हो रहा है। चुंकि बुखार किसी भी बीमारी में आ सकता है इसलिए बुखार आने का सही कारण जानने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के टेस्ट कराने की आवश्यकता होती है।

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जब आप किसी डॉक्टर के पास बुखार की हालत में जाते हैं तो डॉक्टर सामान्य चैकअप करके दवा दे देता है लेकिन कुछ दिन दवा खाने के बाद भी यदि बुखार से आराम नहीं मिलता है तो डॉक्टर कुछ टेस्ट कराने के लिए कहता है जिससे कि बुखार का सही कारण सामने आ सके और फिर डॉक्टर मर्ज़ की पहचान के बाद उसी मर्ज़ की दवा मरीज़ को देता है जिससे उसका मर्ज़ और बुखार दोनो ठीक हो जाते हैं।

यदि किसी व्यक्ति को मलेरिया हो तो बुखार आता है, किसी को टायफाइड हो तो भी बुखार आता है। यदि किसी को कोरोना हो गया हो, तो भी बुखार ही आता है। यदि व्यक्ति को किसी वायरस का इन्फेक्शन तो भी बुखार और यदि गले में कोई इन्फेक्शन हो तो भी बुखार। इसलिए हमने उपर बताया कि बुखार के अनेक कारण हो सकते हैं।

सर्वप्रथम चिकिस्तक लक्षणों के आधार पर ही कोई दवा देते हैं जैसे कि टायफाइड के लक्षण कुछ अलग होते हैं। मलेरिया के लक्षण कुछ अलग और गले के इन्फेक्शन के लक्षण अलग, लेकिन इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं टायफाईड के लक्षणों के बारे में और टायफाइड के क्या कारण (Cause) होते हैं।

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टायफाइड के लक्षण (Typhoid Symptoms)

टायफाइड के लक्षण बताने से पहले आईये आपको बताते हैं कि टायफाइड किस बैक्टीरिया से होता है। टायफाईड बुखार साल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो कि दूषित पानी और बासी भोजन के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है। शरीर में प्रवेश के बाद साल्मोनेला बैक्टीरिया हमारे पाचन तंत्र और ब्लडस्ट्रीम को संक्रमित करता है और हमें बुखार की स्थिति में ला देता है।

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आपको बता दें कि टायफाइड के लिए उत्तरदायी साल्मोनेला बैक्टीरिया कई हफ्तों तक पानी या सूखे मल में भी जीवित रह सकता है इसलिए इसे काफी खतरनाक बैक्टीरिया माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी संक्रमित मरीज़ का झूठा पानी या खाना खाता है तो उस व्यक्ति को भी टायफाइड होने की तीव्र संभावना बन जाती है इसलिए संक्रमित मरीज़ को किसी स्वस्थ व्यक्ति के सम्पर्क में नहीं आना चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति को टायफाइड संक्रमण हो गया है तो उसे नीचे दिये लक्षण अनुभव हो सकते हैं।

  • टायफाइड संक्रमित व्यक्ति का सबसे पहला लक्षण है बुखार।
  • संक्रमण के कारण मरीज़ की भूख कम होने लगती है।
  • बुखार के कारण पूरे शरीर में दर्द महसूस होना।
  • टायफाइड के कारण सिर में भी दर्द रहता है
  • कुछ भी न करने का मन करना, आलस और सुस्ती पैदा होती है।
  • भूख कम होने के कारण शरीर में कमजोरी होना।
  • चूंकि साल्मोनेला बैक्टीरिया पाचन तंत्र को संक्रमित करता है इसलिए रोगी को दस्त भी हो सकते हैं।
  • यदि कोई संक्र​मित बच्चा बड़ा है तो कब्ज और छोटा है तो दस्त की शिकायत हो सकती है।
  • अमूमन टायफाइड में मरीज़ को 102 से 104 डिग्री का तेज बुखार हो सकता है।
  • गर्मी में भी ठंड की अनुभूति होना।

टायफाइड बुखार के कारण (Typhoid Causes)

जैसा कि हमने उपर बताया कि टायफाइड बुखार दूषित पानी या पेय पीने के करण होता है। दुषित भोजन या बासी भोजन से भी टायफाइड बैक्टीरिया स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है। सही समय पर इसकी दवा नहीं ली जाये तो ये बहुत घातक साबित हो सकता है और कई हफ्तों तक मरीज़ ठीक नहीं होता जिससे शरीर में तीव्र कमजोरी पैदा हो सकती है।

पहले से टायफाइड संक्रमित मरीज़ का झूठा पानी या झूठा खाना खाने के कारण, किसी को भी टायफाइड बुखार की तीव्र संभवना बन जाती है क्योंकि झूठे पानी के द्वारा साल्मोनेला बैक्टीरिया स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।

टायफाइड बुखार में परहेज (Abstinence in Typhoid Fever)

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टायफाइड बुखार होने पर कई तरह की सावधानियां बरतना आवश्यक है। बुखार के दौरान क्या खाऐं और क्या न खाऐं, किस चीज़ से परहेज करें, इस पर ध्यान देना जरूरी है। आईये अब जानते हैं कि टायफाइड बुखार में क्या-क्या परहेज करना चाहिए।

  • बुखार के दौरान तेज मसालों से युक्त भोजन से परहेज करना चाहिए।
  • तेज गंध वाली सब्जी जैसे कि लहसुन और प्याज से परहेज करें।
  • जिस आहार को खाने से पेट में गैस बनती है या एसीडिटी बनती है, उनसे परहेज करें।
  • ज्यादा तेल, घी, मक्खन और तेज मिठाई से परहेज़ करें।
  • घर में बना भोजन ही आहार में लें। बाहर के खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
  • हल्का भोजन लें। देर से पचने वाली एवं भारी दालों से परहेज करें।
  • हरी सब्जी भोजन में लें। मांस एवं मदिरा के सेवन से परहेज करें।
  • पेट भर कर बिल्कुल न खायें।
  • सिगरेट, चाय, कॉफी से परहेज करें।
  • गूदे वाले फलों से परहेज करें। साबुत अनाज से परहेज करें।
  • पैक्ड फूड (Packed Food) से परहेज करें।

टायफाइड के उपचार (Treatment of Typhoid Fever)

यदि आपको टायफाइड के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो हमारी आपको ये राय है कि किसी घरेलू उपचार या नुस्खों में समय बर्बाद न करें तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर से सम्पर्क करें और अपनी पूरी स्थिति के बारे में बताऐं।

घरेलू उपचार कौन सा कारगर होगा कौन सा नहीं, इस पर विश्वास न करें। डॉक्टर से मिलकर तुरंत उपचार शुरू करें। कहीं ऐसा न हो कि आपका संक्रमण परिवार के किसी अन्य सदस्य में फैल जाऐ।

उचित दवा लेने पर टायफाइड का बुखार कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। कभी-कभी बुखार ठीक होने में कुछ हफ्ते भी लग सकते हैं। बुखार के दौरान आपको क्या लेना चाहिए, हम नीचे बता रहे हैं।

  • डॉक्टर के परामर्श पर उचित दवा लें। टायफाइड के लिए इंजेक्शन भी उपलब्ध हैं, जरूरत पड़ने पर लगवा सकते हैं
  • आसपास स्वचछता बनाये रखें।
  • स्वच्छ पानी पीयें। फिल्टर बोतल का पानी या घर में लगा RO System का पानी भी पी सकते हैं।
  • यदि आप संक्रमित हैं तो घरेलू कार्यों से दूर रहें।
  • अपने झूठे बर्तन में किसी को खाना या पानी न दें।
  • कम मसालों का और अच्छे से पका भोजन ही लें।
  • टायफाइड बुखार के दौरान आप सेब का जूस ले सकते हैं। जूस में अदरक का रस मिलाकर पीने से बुखार में राहत मिलेगी।
  • Typhoid Fever में आप एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिला कर ले सकते हैं। इससे टायफाइड की स्थिति में लाभ मिलेगा।

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तो ये था हमारा लेख टायफाइड के लक्षण। आपको हमारा आर्टिकल कैसा लगा ​कृपया हमें कमेंट करके अवश्य बताऐं

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