मंगलवार को उत्तर पश्चिमी डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में इबोला वायरस रोग (EVD) का प्रकोप सुर्खियों में आया है। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की सरकार ने इस बात की पुष्टि की कि विषुवतीय प्रांत वांगटा में इबोला वायरस के कुछ मामले सामने आए हैं।
वांगटा में अभी तक 6 इबोला वायरस मामले सामने आये हैं जिनमें से 4 चार की मौत हो चुकी है और 2 मरीज़ अस्पताल में भर्ती हैं 6 में से 3 मामलों की पुष्टि प्रयोगशाला परीक्षण के द्वारा हुई। समाचार रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ये 11वीं बार है जब इबोला वायरस का प्रकोप सामने आया है। इससे पहले 1976 में पहली बार इबोला वायरस का आस्तित्व सामने आया था।
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इबोला वायरस क्या है और ये कैसे मानव को प्रभावित करता है।
इस वायरस को इबोला रक्तस्राव बुखार के रूप में जाना जाता है ये एक दुर्लभ, लेकिन घातक बीमारी है जो कि वायरस के एक समूह के कारण होती है जो जीनस इबोलावायरस के अंदर होता है। समूह के 5 में से 4 वायरस में इंसान को बीमार करने की क्षमता है।
इबोला वायरस, इंसान के शरीर में प्रवेश करने के बाद, शरीर की विशिष्ट कोशिकाओं पर हमला करता है शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाता है और लीवर पर प्रहार करता है जिसके कारण शरीर के अंदर भारी रक्तस्राव शुरू हो जाता है डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इबोला वायरस से मरने वालों की दर 50 प्रतिशत के आसपास है हालांकि, पिछले प्रकोपों में मृत्यु दर 25 से 90 प्रतिशत तक भिन्न भिन्न पाई गई है।
कहां से आया इबोला वायरस?
इबोला वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई इसके बारे में वैज्ञानिक आश्वस्त नहीं हैं हालांकि, उनका मानना है इबोला वायरस का स्रोत चमगादड़ या गैर-मानव प्राइमेट्स यानि कि पशुओं के द्वारा आया है।
इबोला वायरस कैसे फैलता है?
इबोला वायरस संक्रमित जानवर की त्वचा या उसके शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है यह संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। शवों के संपर्क में आने से भी ये संक्रमण फैल सकता है। इबोला वायरस उन पुरुषों के वीर्य में भी पाया गया है जो इबोला बीमारी से उबर चुके थे, इससे वैज्ञानिकों को ये जानकारी मिली कि इबोला शरीर के कुछ तरल पदार्थों जैसे वीर्य में भी रह सकता है भले ही मरीजों में कोई लक्षण भी न हो।
इबोला वायरस के लक्षण
- बुखार
- सरदर्द
- मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
- पेट में दर्द
- गले में खरास
- दुर्बलता
- भूख की कमी
क्या इबोला से बचाव के लिए कोई टीका है?
US FDA द्वारा 19 दिसंबर, 2019 को ‘rVSV-ZEBOV’ नाम के इबोला वैक्सीन को मंजूरी दी गई है ये एक सिंगल डोज़ वैक्सीन है जो कि केवल ज़ैरे इबोलेवायरस प्रजातियों के खिलाफ ही सुरक्षा देता है। इबोला वायरस से बचने का एकमात्र तरीका है कि इबोला प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने से बचा जाए।