Foreign Accent Syndrome इस विचित्र बीमारी में व्यक्ति दूसरे देश की अंग्रेज़ी में बात करने लगता है

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Foreign Accent Syndrome: दुनिया में हजारों भाषाएँ बोली जाती हैं, वहीं एक ही भाषा बोलने के कई तरीके हैं जिसे उच्चारण कहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त कर चुकी अंग्रेजी भाषा को बोलने के सैंकड़ों तरीके हो सकते हैं। भारत में ही लगभग हर राज्य की स्थानीय भाषा के अनुसार इंगलिश का उच्चारण किया जाता है और इंगलिश बोलने के एक्सेंट के तरीके से हम समझ जाते हैं कि वो व्यक्ति किस राज्य से संबंध रखता है।

दूसरे देशों का एक्सेंट कॉपी करना बहुत ही मुश्किल होता है। भारत में बहुत बार ये देखा जाता है कि विदेशी कंपनी में जॉब करने के लिए उस देश का इंगलिश एक्सेंट सीखना पड़ता है। इसके लिए लोग कोचिंग पर हजारों खर्च कर देते हैं और घंटों रोज प्रैक्टिस भी करते हैं।

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लेकिन क्या आप कभी सोच सकते हैं कि ऐसी एक ऐसी बीमारी है जिससे रातों-रात अचानक व्यक्ति का इंगलिश एक्सेंट बदल जाता है? आप ये जानकर आश्चर्य में पड़ गए होंगे लेकिन ये बिलकुल सच है। आज आपको हम ऐसा ही Syndrome के बारे बताने जा रहे हैं जिसमें व्यक्ति के बोलने का तरीका बिल्कुल बदल जाता है। तो चलिए जानते हैं क्या है ये बीमारी?

फॉरेन एक्सेंट सिंड्रोम (Foreign Accent Syndrome)

इस आश्चर्यचकित करने वाली बीमारी को “फॉरेन एक्सेंट सिंड्रोम” (Foreign Accent Syndrome) के नाम से जाना जाता है। इस बीमारी में अचानक व्यक्ति दूसरे देश के एक्सेंट में इंगलिश बोलने लगता है। इसका मतलब ये हुआ कि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अगर ब्रिटिश है तो वो अचानक किसी और देश के एक्सेंट में बात करने लगेगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक “फॉरेन एक्सेंट सिंड्रोम” (Foreign Accent Syndrome) का पहला केस साल 1907 में सामने आया था। हेल्थलाइन वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीमारी को लेकर अब तक सिर्फ 100 लोगों का पता चला है।

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क्यों होती है ये बीमारी

रिपोर्ट के अनुसार जब दिमाग के बाएं तरफ वाले भाग, “ब्रोका” (Broca) में चोट लगती है तो इस सिंड्रोम होने का खतरा बढ़ जाता है आपको बता दें कि ब्रेन का यही भाग बोलने में मदद करता है। जब दिमाग तक अचानक ही ब्लड सरकुलेशन रुक जाए या फिर ट्रॉमा और दिमाग की नस फट जाए तो भी Foreign Accent Syndrome हो सकता है।

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Foreign Accent Syndrome के लक्षण

चोट लगने के बाद अंग्रेजी शब्दों को बोलते वक्त S-T-R जैसे साउंड का उच्चारण करने में दिक्कत होती है। वहीं ऐसे अक्षरों को बोलने में दिक्कत होती है जिसे बोलने में जीभ को ऊपरी दांत पर छुआना पड़ता है, जैसे अंग्रेजी अक्षर T और D. आपको बता दें कि कुछ शब्दों को बोलने में Syndrome से पीड़ित व्यक्ति अचानक ही साउंड को गायब कर देता है या फिर नए साउंड को जोड़ देता है।

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जैसे अंग्रेजी शब्द ‘स्ट्राइक’ की जगह ‘सट्राइक’ बोलने लगता है। अचानक ही पीड़ित की आवाज़ का पिच और टोन खराब हो जाता है।

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