आज के समय में हर एक व्यक्ति अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करना चाहता है। किसी भी तरह की परेशानी से अपने परिवार को बचाना चाहता है। ऐसे में आपकी नजर जाती है इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने वाली कंपनियों पर। वैसे तो मार्केट में बहुत सारे इंश्योरेंस कंपनियां मौजूद है जिनसे पॉलिसी खरीद कर हम अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।
कोई भी इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हुए हमें बहुत ही सावधानी की जरूरत होती है। कहीं ऐसा ना हो कि इंश्योरेंस लेने के बाद में पछताना पड़े। इस आर्टिकल में हम आपको हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए उसके बारे में विस्तार से बताएंगे तो आइए सबसे पहले बात करते हैं हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में।
हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ध्यान रखने वाली बातें
जोखिम (बुरा वक्त)
हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले आपको जोखिम का ध्यान रखना चाहिए। जोखिम का मतलब बुरा समय। आज के समय में बुरा वक्त किसी के साथ कभी भी आ सकता है। यदि आप जोखिम को ध्यान में रखकर इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं तो आप आने वाले बुरे समय से आसानी से निजात पा सकेंगे।
यदि किसी परिवार में कमाने वाले व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाती है। तो उसका परिवार भविष्य में अपना भरण-पोषण कैसे करेगा? इन बातों को ध्यान में रखकर पॉलिसी लेनी चाहिए। आने वाले समय में बढ़ती हुई नई नई बीमारियां, बच्चों के स्कूल की पढ़ाई, उनकी शादी विवाह के बारे में सोच समझकर इंश्योरेंस पॉलिसी लेनी चाहिए।
पॉलिसी की कीमत और प्रीमियम
हमेशा सही पॉलिसी का चुनाव करें। कीमत के आधार पर कभी भी पॉलिसी का चुनाव नहीं करें। यह जरूरी नहीं कि महंगी पॉलिसी अच्छी होगी या सस्ती पॉलिसी। कीमत के अलावा पॉलिसी के बेनिफिट्स को ध्यान में रखकर ही इंश्योरेंस लिया जाना चाहिए।
यह सुनिश्चित करें कि कंपनी आपकी जरूरत के अनुसार पॉलिसी पर क्या क्या बेनिफिट दे रही है? चाहे वह सस्ती हो या महंगी।
क्या है एक्सपर्ट की राय?
इंश्योरेंस के एक्सपर्ट्स के मुताबिक सबसे पहले हमें पॉलिसी की कवरेज के बारे में जानना चाहिए जैसे कि पॉलिसी में कौन-कौन सी बीमारियां शामिल है और कौन सी नहीं? पॉलिसी के बेनिफिट क्या है?
कंपनी के पैनल में जो हॉस्पिटल है, उनकी लिमिट क्या है? डॉक्टर के विजिट करने का कितना चार्जेस है? आईसीयू में भर्ती होने की कोई समय सीमा निर्धारित तो नहीं है और किस अवस्था में पॉलिसी धारक को क्लेम नहीं मिलेगा वगैरह वगैरह।
क्या शामिल नहीं होता पॉलिसी में?
सभी तरह की हेल्थ पॉलिसी में। एक अपवाद होता है। कुछ ऐसी स्थितियां और बीमारियां है जोकि कंपनी पॉलिसी में नहीं देती जैसे रेसिंग, युद्ध, या आत्महत्या की कोशिश। अलग-अलग कंपनी की पॉलिसी की तुलना करनी चाहिए।
रीइंबर्स की राशि
आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए। कि जो पॉलिसी आपने ली है उसका प्रीमियम कितना है और उसकी रीइंबर्स राशि कितनी है? रीइंबर्स राशि वह राशि है जो किसी परेशानी के वक्त कंपनी के द्वारा आप को दी जाती है।
कुछ पॉलिसीज में सर्जरी, आईसीयू का किराया, कमरे का रेंट शामिल होता है जबकि कई पॉलिसीज में निर्धारित राशि का रूम रेंट ही उपलब्ध होता है। उदाहरण के लिए यदि आपकी पॉलिसी में रूम रेंट के लिए ₹2000 निर्धारित है तो आप ₹4000 का रूम नहीं ले सकते। यदि आपको ₹4000 वाला कमरा चाहिए तो अतिरिक्त राशि आपको अपनी जेब से खर्च करनी पड़ेगी
इसी तरह सर्जरी के लिए भी निर्धारित राशि हो सकती है। इसलिए पॉलिसी लेने से पहले आपको सारे डॉक्यूमेंट अच्छी तरह से पढ़ कर समझ लेना चाहिए ताकि बाद में किसी भी तरह का पछतावा ना हो।
रेस्टोरेशन बेनिफिट
सम एश्योर्ड राशि वह निर्धारित राशि है जो पॉलिसी धारक को 1 साल में उसकी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दी जाती है। यदि किसी व्यक्ति के इलाज का खर्च पॉलिसी की सम एश्योर्ड राशि से अधिक होता है तो उस व्यक्ति को अतिरिक्त राशि का भुगतान स्वयं करना पड़ेगा। लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस रेस्टोरेशन बेनिफिट के साथ लिया गया है तो सम एश्योर्ड राशि वापस रिस्टोर कर दी जाती है।
इसमें जानने योग्य तथ्य यह है की सम एश्योर्ड राशि सिर्फ उसी स्थिति में प्राप्त होती है यदि पॉलिसी धारक का अलग, अलग बीमारियों का ट्रीटमेंट हुआ हो।
उदाहरण के लिए यदि आपने ₹500000 की पॉलिसी ली है और आप के इलाज में ₹200000 का खर्च आता है। यदि आप उसी साल में फिर से बीमार पड़ते हो तो इंश्योरेंस कंपनी आपकी सम एश्योर्ड राशि फिर से ₹500000 कर देगी। इसे रेस्टोरेशन बेनिफिट कहा जाता है
हॉस्पिटल का नेटवर्क
हेल्थ पॉलिसी की लिस्ट में आपको अस्पतालों की लिस्ट दी जाती है जिसमें जाकर आप कैशलेस इलाज करा सकते हैं। इस लिस्ट को ध्यान से चेक करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके घर के पास कौन कौन से अस्पताल है?
यदि आप किसी ऐसे अस्पताल में भर्ती होते हैं जो आपके पॉलिसी की लिस्ट में नहीं है। तो आपको कैशलेस इलाज उपलब्ध नहीं होगा। आपको सारी राशि अपनी जेब से ही खर्च करनी पड़ेगी और इंश्योरेंस कंपनी यह सारा खर्च आपको बाद में रीइंबर्स करेगी।
हेल्थ पॉलिसी में को पेमेंट या आंशिक भुगतान क्या होता है?
स्वास्थ्य बीमा में को पेमेंट या आंशिक भुगतान उस राशि को कहते हैं जो हॉस्पिटलाइजेशन के दौरान जमा करना होता है, बाकी क्लेम की राशि बीमा कंपनी भुगतान करती है और आपको ये जानना जरूरी है कि सीनियर सिटिजन्स के बीमा प्लान में को-पमेंट मेनडेटरी यानि अनिवार्य होता है,
जबकि कुछ इंश्योरेंस कंपनियां को पेमेंट की राशि भी फिक्स कर देती हैं, और कुछ कंपनियां रेंज निर्धारित कर देती हैं. ये 10 से 20 फीसदी के बीच हो सकता है. बेहतर ये होगा कि आप ऐसे प्लान को खरीदें जिनमें को-पेमेंट की शर्त ना हो.