International Trade Union Confederation (ITUC) के वैश्विक अधिकार इंडेक्स के सातवें संस्करण के अनुसार, कामकाजी लोगों के लिए भारत विश्व के 10 सबसे खराब देशों में से एक है, ITUC वह संस्था है जो कामकाजी लोगों के अधिकारों के मापदंडों के आधार पर 144 देशों को रैंक करता है।
इस सूची में बांग्लादेश को पहले स्थान पर रखा गया है, दूसरे स्थान पर कोलंबिया, तीसरे स्थान पर मिस्र, चौथे स्थान पर होंडुरास, पांचवे स्थान पर कजाकिस्तान और छठे स्थान पर भारत है। इसके बाद क्रमश: फिलीपींस, तुर्की और जिम्बाब्वे शामिल हैं।
फिलिस्तीन, सीरिया, यमन और लीबिया में चल रही असुरक्षा और संघर्ष के कारण, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका, कामकाजी लोगों के लिए, पिछले सात साल से दुनिया के सबसे खराब क्षेत्र हैं, जो कामकाजी लोगों के अधिकारों के लिए सबसे खराब माने गऐ हैं।
ITUC रिपोर्ट के अनुसार 85 प्रतिशत देशों ने हड़ताल के अधिकार का उल्लंघन किया और 80 प्रतिशत देशों ने सामूहिक रूप से सैलरी बारगेन के अधिकार का उल्लंघन किया। यूनियनों के रजिस्ट्रेशन में बाधा डालने वाले देशों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
तीन नए देशों – भारत, मिस्र और होंडुरास ने कामगारों के लिए 10 सबसे खराब देशों की सूची में प्रवेश किया है। जिन देशों ने वर्करों को बोलने की आज़ादी से वंचित किया है उनकी संख्या 2019 में 54 से बढ़कर 2020 में 56 हो गई है।
72 प्रतिशत देशों में नौकरी करने वालों को न्याय प्राप्त करने की कोई अनुमति नहीं थी। 61 देशों में कामकाजी लोगों ने, मनमानी गिरफ्तारियां और नजरबंदी का अनुभव किया।
ITUC के महासचिव शरण बुरो ने कहा “यदि हम चीजों के ठीक होने और लचीली अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण की बात करें तो 2020 ITUC ग्लोबल राइट्स इंडेक्स एक बेंचमार्क है जो सरकार और नौकरी देने वालों के खिलाफ है।”
ITUC का प्राथमिक मिशन अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से श्रमिकों के अधिकारों और हितों को बढ़ावा देना है।