Vijay Mallya का बड़ा खुलासा – बैंकों ने वसूल लिए कर्ज से ज्यादा पैसे!
नई दिल्ली, भगोड़े कारोबारी Vijay Mallya ने कर्नाटक हाईकोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा कि बैंकों ने उनकी कंपनियों से कर्ज की मूल राशि से कहीं ज्यादा वसूली कर ली है। माल्या ने यह भी मांग की है कि उन्हें यह जानकारी दी जाए कि अब तक उनसे, यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (UBHL) और अन्य देनदारों से कितनी वसूली की जा चुकी है।
क्या है Vijay Mallya का दावा?
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Vijay Mallya ने अपनी याचिका में कहा कि बैंकों का दावा था कि उन पर ₹6,200 करोड़ का कर्ज बकाया है, लेकिन अब तक इससे कई गुना अधिक रकम वसूल की जा चुकी है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि जब ऋण की पूरी राशि पहले ही चुका दी गई है, तो अब और संपत्तियों की नीलामी क्यों की जा रही है?
कोर्ट का फैसला – बैंकों को नोटिस
माल्या की याचिका पर 3 फरवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसके बाद 7 फरवरी को अदालत ने बैंकों को नोटिस जारी किया। जस्टिस आर. देवदास ने बैंकों को 13 फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। माल्या ने कोर्ट से यह मांग भी की कि बैंकों को अब किसी और संपत्ति की बिक्री से रोका जाए।
क्या कह रहे हैं Vijay Mallya के वकील?
Vijay Mallya की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने कोर्ट में दलील दी कि किंगफिशर एयरलाइंस और UBHL के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट समेत सभी अदालतों में फैसले आ चुके हैं। उन्होंने दावा किया कि 2017 से अब तक ₹10,200 करोड़ वसूले जा चुके हैं, जबकि वित्त मंत्री ने संसद में ₹14,000 करोड़ वसूली जाने की जानकारी दी थी।
बैंकों से किन जानकारियों की मांग की गई?
Vijay Mallya ने अदालत से अनुरोध किया कि बैंक यह जानकारी दें कि किन संपत्तियों को बेचकर कर्ज की वसूली की गई है। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि जो संपत्तियां अभी तक बेची नहीं गई हैं, वे किनके नाम पर हैं और क्या उनका इस्तेमाल आगे वसूली के लिए किया जाएगा।
क्या है परिसमापक की भूमिका?
Vijay Mallya की दलील में परिसमापक (Liquidator) का जिक्र किया गया है। परिसमापक वह व्यक्ति होता है, जो किसी कंपनी की बंदी के दौरान उसकी संपत्तियों का निपटारा करता है। माल्या का कहना है कि परिसमापक ने भी यह स्पष्ट किया है कि बैंकों का कर्ज चुका दिया गया है, फिर भी वसूली जारी है।
Vijay Mallya की राहत की मांग
माल्या का कहना है कि यदि कर्ज पूरी तरह चुका दिया गया है, तो UBHL पर किसी भी प्रकार की वित्तीय देनदारी नहीं बनती। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि वसूली अधिकारी को यह प्रमाण पत्र देने का निर्देश दिया जाए कि अब कोई राशि बकाया नहीं है।
आगे क्या होगा?
अब सभी की नजरें 13 फरवरी को बैंकों की ओर से दिए जाने वाले जवाब पर टिकी हैं। यदि माल्या की दलील सही साबित होती है, तो बैंकों को जवाब देना मुश्किल हो सकता है।
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