P Jayachandran का निधन: 16,000 गानों की विरासत छोड़ गए ‘भाव गायकन’

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नई दिल्ली, भारतीय सिनेमा के जाने-माने पार्श्व गायक P Jayachandran, जिन्हें उनके भावपूर्ण गायन के लिए “भाव गायकन” कहा जाता था, का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। गुरुवार शाम को केरल के त्रिशूर में एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। जयचंद्रन की गायकी ने छह दशकों तक संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया और उनकी मधुर आवाज़ भारतीय संगीत में सदैव याद की जाएगी।

अंतिम समय और निधन का कारण

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P Jayachandran लंबे समय से अस्वस्थ थे। गुरुवार को अपने आवास पर बेहोश होने के बाद उन्हें त्रिशूर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन शाम 7:55 बजे उनका निधन हो गया। परिवार और अस्पताल सूत्रों ने यह जानकारी दी।

भारतीय संगीत में अनमोल योगदान

P Jayachandran ने मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी में 16,000 से अधिक गाने रिकॉर्ड किए। उनकी गायकी में प्रेम, लालसा और भक्ति जैसे भावों को अभूतपूर्व ढंग से प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते, जिनमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, केरल सरकार का जे. सी. डैनियल पुरस्कार, और पांच बार केरल राज्य फिल्म पुरस्कार शामिल हैं।

उनका गाना “शिव शंकर शरण सर्व विभो” फिल्म “श्री नारायण गुरु” में उनके करियर का अहम पड़ाव रहा, जिसने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया।

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बचपन और प्रारंभिक जीवन

P Jayachandran का जन्म 3 मार्च 1944 को केरल के एर्नाकुलम में हुआ था। उनका परिवार त्रिपुनिथुरा कोविलकम और चेंदमंगलम पालियम हाउस से जुड़ा था। हाई स्कूल में मृदंगम बजाने और हल्के शास्त्रीय संगीत गाने से उनकी संगीत यात्रा शुरू हुई।

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1958 में, उन्होंने राज्य स्तरीय मृदंगम प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया और यहीं उनकी मुलाकात प्रसिद्ध गायक के. जे. येसुदास से हुई।

फिल्मी करियर की शुरुआत

P Jayachandran ने 1965 में फिल्म “कुंजली मरक्कर” के गाने “ओरु मुल्लाप्पू मलयुमई” से डेब्यू किया। हालाँकि, उनका पहला रिलीज़ गाना फिल्म “कलितोज़ान” का “मंजलायिल मुंगीथोर्थी” था।

उनके करियर में संगीतकार इलैयाराजा के साथ सहयोग का विशेष स्थान है। उन्होंने तमिल गानों में “रसाथी उन्ना कनाथा” जैसे कई हिट गाने दिए।

परिवार और अंतिम संस्कार

P Jayachandran के परिवार में उनकी पत्नी ललिता, बेटी लक्ष्मी और बेटा दीनानाथन हैं। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर त्रिशूर स्थित उनके निवास पर लाया जाएगा और जनता के दर्शन के लिए साहित्य अकादमी हॉल में रखा जाएगा। उनका अंतिम संस्कार शनिवार दोपहर 3 बजे उनके पैतृक घर चेंदमंगलम में किया जाएगा।

श्रद्धांजलि और शोक संदेश

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केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने जयचंद्रन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी गायन शैली ने मलयालम भाषा को वैश्विक पहचान दिलाई।

विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन ने उन्हें “संगीत की दुर्लभ आवाज़” बताते हुए कहा कि उनकी अद्वितीय गायन शैली पीढ़ियों तक याद रखी जाएगी।

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