नई दिल्ली, भारत में सैलून होम सर्विस स्टार्ट-अप, YesMadam, इन दिनों विवादों में घिरी हुई है। दरअसल, कंपनी ने हाल ही में अपने कर्मचारियों से तनाव स्तर के बारे में एक सर्वेक्षण किया था। इस सर्वे में कर्मचारियों ने अपनी कार्य स्थिति और काम के दबाव के बारे में अपनी चिंताएं साझा की थीं। लेकिन जैसे ही सर्वे के परिणाम सामने आए, कंपनी ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए उन कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का निर्णय लिया, जिन्होंने उच्च तनाव का अनुभव किया था। यह कदम कई सवालों को जन्म दे रहा है, और सोशल मीडिया पर कंपनी की आलोचना शुरू हो गई है।
वायरल हुआ ईमेल: कर्मचारियों को निकालने का संदेश
YesMadam के मानव संसाधन विभाग के प्रबंधक द्वारा भेजे गए एक ईमेल का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस ईमेल में कहा गया कि कंपनी ने कर्मचारियों के तनाव के स्तर का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण किया था। इसके नतीजों के आधार पर, जिन कर्मचारियों ने “गंभीर तनाव” का अनुभव किया, उन्हें तुरंत कंपनी से अलग कर दिया गया। ईमेल में लिखा था:
“प्रिय टीम,
हाल ही में, हमने काम पर तनाव के बारे में आपकी भावनाओं को समझने के लिए एक सर्वेक्षण किया। आप में से कई लोगों ने अपनी चिंताएँ साझा कीं, जिन्हें हम बहुत महत्व देते हैं और सम्मान देते हैं। एक स्वस्थ और सहायक कार्य वातावरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध कंपनी के रूप में, हमने फीडबैक पर सावधानीपूर्वक विचार किया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी व्यक्ति काम पर तनावग्रस्त न रहे, हमने उन कर्मचारियों से अलग होने का कठिन निर्णय लिया है, जिन्होंने महत्वपूर्ण तनाव का संकेत दिया है।”
इस फैसले को लेकर कंपनी पर सोशल मीडिया में तीव्र आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या किसी कंपनी को कर्मचारी के तनाव के कारण उन्हें नौकरी से निकालने का अधिकार है?
सोशल मीडिया पर बढ़ी आलोचनाएं
कई यूजर्स ने इस फैसले पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। एक यूजर ने लिखा, “कंपनी कर्मचारियों से तनाव पर सर्वे करती है, और जिन कर्मचारियों ने कहा कि वे तनावग्रस्त हैं, उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। यह तो बिल्कुल अजीब है!” एक अन्य यूजर ने कहा, “क्या अब कंपनियों को अपने कर्मचारियों के तनाव को इस तरह से देखना चाहिए कि जो तनावग्रस्त हैं, उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाए? यह एक गंभीर विषय है, जिसे कंपनी को गंभीरता से देखना चाहिए था।”
क्या कंपनियां कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखती हैं?
यह मामला मानसिक स्वास्थ्य और कर्मचारी कल्याण के महत्व पर भी सवाल उठाता है। क्या कंपनियों को कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में और अधिक जागरूकता पैदा करनी चाहिए? इस फैसले से यह साफ है कि कर्मचारियों को तनाव महसूस होने पर किस प्रकार की कार्य संस्कृति में काम करना पड़ता है। कई विशेषज्ञों ने इस मामले में कहा है कि तनावपूर्ण कार्य वातावरण से कर्मचारियों की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ता है, और ऐसे फैसले कंपनियों को लंबे समय में नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कर्मचारी की भलाई के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
मानसिक स्वास्थ्य के मामले में कंपनियों को कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति दिखाने की जरूरत है। यह जरूरी है कि कंपनियां कर्मचारियों के मानसिक दबाव को समझे और उसे कम करने के उपायों पर विचार करें। इसके बजाय, अगर किसी कर्मचारी को तनाव के कारण काम में कठिनाई हो रही है, तो कंपनी को उसे सहायता और मार्गदर्शन देने की दिशा में कदम उठाने चाहिए, न कि उसे निकालने का निर्णय लेना चाहिए।
निष्कर्ष
YesMadam के इस फैसले ने साबित कर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को नजरअंदाज करना कितना खतरनाक हो सकता है। कंपनियों को अपनी कार्यशैली में बदलाव करने और कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है। कर्मचारियों को केवल काम की मशीन नहीं, बल्कि इंसान समझने की जरूरत है, ताकि वे अपने कार्यस्थल पर मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल महसूस करें।