Uniform Civil Code: उत्तराखंड ने क्यों लिया ऐतिहासिक कदम? जानिए UCC के बारे में सब कुछ!
Uniform Civil Code: नई दिल्ली, उत्तराखंड ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए Uniform Civil Code (UCC) को लागू करने का निर्णय लिया है। अब यह राज्य गोवा के बाद दूसरा राज्य बन जाएगा जहां सभी नागरिकों के लिए समान कानूनी ढांचा लागू होगा। UCC का उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार और कर्तव्यों का निर्धारण करना है, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से हों।
Uniform Civil Code का महत्व
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उत्तराखंड सरकार ने इस कानून को लागू करने के लिए लगभग एक साल पहले विधानसभा में विधेयक पारित किया था। यह भाजपा के चुनावी वादों में एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। Uniform Civil Code के तहत विवाह, तलाक, संपत्ति, विरासत, गोद लेने और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मामलों को एक समान ढंग से नियंत्रित किया जाएगा। इसके माध्यम से, सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं हो और सभी को समान अधिकार मिलें।
लिव-इन रिलेशनशिप और पंजीकरण
Uniform Civil Code में लिव-इन रिलेशनशिप के लिए एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। इसके तहत, लिव-इन रिलेशनशिप को अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। खास बात यह है कि 21 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अपने माता-पिता की सहमति प्राप्त करनी होगी। पंजीकरण में देरी करने पर जुर्माना या जेल हो सकता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी नागरिक कानून का पालन करें।
विवाह और बाल विवाह पर सख्त प्रावधान
Uniform Civil Code में विवाह के लिए न्यूनतम आयु सीमा तय की गई है। पुरुषों के लिए यह आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष होगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग विवाह से पहले अपनी शिक्षा पूरी कर सकें। साथ ही, बाल विवाह, बहुविवाह और तीन तलाक पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।
समान अधिकार और विरासत
Uniform Civil Code का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह विरासत के मामलों में समानता सुनिश्चित करेगा। इससे बेटों और बेटियों को समान अधिकार मिलेंगे और किसी भी तरह के लिंग भेद को समाप्त किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, UCC के तहत, लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को वैध संतान के रूप में मान्यता मिलेगी और उन्हें समान विरासत अधिकार प्राप्त होंगे।
पैनल और सार्वजनिक सिफारिशें
UCC के मसौदे को तैयार करने के लिए एक पैनल का गठन किया गया था, जिसका नेतृत्व सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने किया था। इस पैनल ने 749 पृष्ठों की रिपोर्ट तैयार की, जिसमें 2.33 लाख लोगों से फीडबैक प्राप्त किया गया। इसके अलावा, 70 से अधिक सार्वजनिक मंचों का आयोजन भी किया गया, जिससे आम नागरिकों और विशेषज्ञों की राय ली गई।
गोवा का उदाहरण
गोवा में पहले से ही एक Uniform Civil Code लागू है, जो 1867 के पुर्तगाली नागरिक संहिता पर आधारित है। वहां के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इसे समाज में समानता लाने का एक मजबूत कदम बताया। उत्तराखंड के बाद अब अन्य राज्य भी इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।