उर्दू के प्रख्यात शायर Rahat Indori की आज पहली पुण्यतिथि

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Rahat Indori Death Anniversary : उर्दू के मशहूर शायर राहत इंदौरी की आज पहली पुण्यतिथि है। पिछले वर्ष 10 अगस्त 2020 को उन्हे कोरोना संक्रमित पाया गया था और 11 अगस्त 2020 को इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी दिल छू जाने वाली शयरी और अलग तरह का शेर कहने का अंदाज श्रेताओं को दिवाना बना देता था।

राहत कुरैशी जिन्हे बाद में राहत इंदौरी के नाम से जाना गया, उन्होने 40 से 45 वर्षों तक देश विदेशों में कई मुशायरे और कवि सम्मेलनों में भाग लिया और बॉलीवुड की कई फिल्मों के लिए गीत और गज़लें भी दी हैं।

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डॉ. कुमार विश्वास ने किया या​द

उनकी पहली पुण्यतिथि पर मशहूर हिन्दी कवि डॉ. कुमार विश्वास ने ट्वीटर पर श्रद्धांजलि दी है। डॉ. कुमार विश्वास ने (Dr. Kumar Vishwas) राहत इंदौरी जी की तस्वीरों का कोलाज बनाकर ट्वीट किया है। “मुशायरे के मंचों से लेकर निजी ज़िंदगी तक, मेरी सभी महत्वपूर्ण यात्राओं में साथ सफ़र करने वाले, बाकमाल शायर और बेहतरीन दोस्त, बड़े भाई राहत साहब की आज पुण्यतिथि है।व्यथित मन से इतना ही कहूँगा कि यह बात इस वक्त नहीं लिखनी थी! यह वक्त तो मुशायरों में आपके साथ ठहाके साझा करने का था”

Twitter : Dr. Kumar Vishwas

द कपिल शर्मा शो पर किया गया आमन्त्रित

बाकमाल शायर राहत इंदौरी को मशहूर स्टेंडअप कॉमेडियन कपिल शर्मा ने भी 2 बार अपने शो पर आमन्त्रित किया। पहली बार 1 जुलाई 2017 को जब उन्होने हिन्दी के प्रख्यात कवि कुमार विश्वास और शबीना जी के साथ मंच साझा किया था और दूसरी बार 21 जुलाई 2019 को जब राहत इंदौरी जी को हिन्दी के ही हास्य कवि अशोक चक्रधर के साथ आमन्त्रित किया गया था।

1973 में राहत इंदौरी ने उर्दू साहित्य में गोल्ड मैडल हासिल किया और 1985 में उन्होने पी.एच.डी पूरी की। वैसे उनका हर एक शेर दिल की गहराईयों से निकलता है लेकिन कुछ एक ऐसे हैं​ जो सोशल मिडिया पर जबर्दस्त तरीके से वायरल हुऐ जैसे कि “बुलाती है मगर जाने का नहीं” और “किसी के बाप का हिन्दूस्तान थोड़े है।”

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राहत इंदौरी का साहित्यिक सफर

राहत इंदौरी का साहित्यिक सफर बहुत ही लम्बा है जिसे एक ही लेख में बताना असंभव सा काम है लेकिन हम कुछ का ही जिक्र करेंगे जैसे कि उनकी लिखी गज़लों और शायरी की 7 किताबें प्रकाशित हुई हैं और लगभग 16 ​बॉलीबुड फिल्मों में गीत लिखे हैं जिनमें “चोरी चोरी जब नज़रें मिली”, “बुमरो बुमरो”, “कोई जाए तो ले आऐ मेरी लाख दुआऐं पाऐं”, “देखो देखो जानम हम दिल अपना तेरे लिये लाऐ” जैसे कई नग्में सुपरहिट साबित हुए।

1 जनवरी 1950 को इं​दौर में जन्में राहत इंदौरी 11 अगस्त 2020 को 70 साल की आयु में इस संसार को छोड़ गऐ और दे गये अपनी अनमोल शायरी, गज़लों और गीतों की सौगात।

Source : Wikipedia

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