Ajab Gajab News: नवरात्रों में खौफ से बचने के लिए यहां राक्षस की होती है पूजा, क्यों होता है ‘नौरता खेल’
बुंदेलखंड, आपने पहले कई तरह की अजब गजब खबरें (Ajab Gajab News) सुनी होंगी और इसी कड़ी में आज हम आपको एक ओर विचित्र परम्परा के बारे में बताने रहे हैं जो शायद ही आपने कभी सुनी होगी। ये विचित्र परम्परा ‘नवरात्रों’ से जुड़ी है। बुंदेलखंड के महोबा में नवरात्रि के दिनों में एक राक्षस की पूजा अर्चना की जाती है। सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग सकता है परन्तु ये बिल्कुल सच है। सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व इसलिए मनाया जाता है कि इन दिनों में मॉं दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का संहार किया था लेकिन बुंदेलखंड के गांव में नवरात्रि के दिनों में एक राक्षस की पूजा की जाती है।
नवरात्रि में कुंवारी कन्याएं करती हैं पूजा (Ajab Gajab News)
बुंदेलखंड के इस गांव में नवरात्रि शुरू होने के 3 या 4 दिन पहले ही इस कार्यक्रम का आयोजन शुरू हो जाता है जिसे ‘नौरता खेल’ के नाम से जाना जाता है। इस खेल में ‘सुअटा’ नाम के राक्षस का चित्र एक दीवार पर बनाया जाता है और फिर इसकी पूजा कुंवारी कन्याओं के द्वारा फूल समर्पित करके की जाती है।
9 दिन तक चलने वाले ‘नौरता खेल’ में केवल कुंवारी कन्याएं ही भाग लेती हैं। बालिकाएं सफेद रंग का पत्थर (पन्ना पत्थर) इकट्ठा करती हैं और उसे 3 से 4 दिन तक पीसती हैं। पीसने के बाद इस पत्थर के पाउडर से रंगोली सजाने का कार्य किया जाता है।
कैसे होती है राक्षस की पूजा
गांव की कन्याऐं पहले एक समूह बनाती हैं और उसके बाद एक घर को चुन लिया जाता है जहां 9 दिनों तक इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। पहले दीवार पर राक्षस का चित्र बनाया जाता है और उसके दाईं और बाईं तरफ चंद्रमा और सूर्य भी बनाये जाते हैं। तत्पश्चात, चित्र पर धूप, दीप और फूल समर्पित किऐ जाते हैं और पारम्परिक गीत गाते हुए पूजा अर्चना की जाती है।
पूजा अर्चना के साथ ही पास के चबूतरे को गोबर से लीप कर ‘चौक’ (पूजा करने के लिए) बनाया जाता है और उस पर सफेद पत्थर के पाउडर से रंगोली बनाई जाती है। जैसे जैसे नवरात्रि के दिन बढ़ते चले जाते हैं उसी तरह इस चबूतरे पर ‘चौक’ की संख्या भी बढ़ाई जाती है। इन दिनों राक्षस की आरती और उस पर जल चढ़ाने का रिवाज़ है।
नोवें दिन विसर्जन महोत्सव
आठ दिन पूर्ण होने के बाद, नौवें दिन विसर्जन महोत्सव मनाया जाता है। इसके लिए कन्याऐं एक घड़े में कई छेद करती हैं और उसके अंदर एक दीपक रखा जाता है और दूसरा दीपक घड़े के उपर रखा जाता है। कन्याओं का समूह एक एक घड़े को अपने सिर पर रखती हैं और पारम्परिक गीत गाते हुए विसर्जन के लिए जाती हैं। रास्ते में गांव के लोगों द्वारा इन्हे पैसा और अनाज भी दिया जाता है।
क्यों मनाया जाता है ‘नौरता खेल’
इस विचित्र परम्परा (Ajab Gajab News) को जानकर अब आप ये जानना चाहते होंगे कि आखिर इस परम्परा का इतिहास क्या है? तो अब आपको इसके इतिहास के बारे में बताते हैं। इस परम्परा (Ajab Gajab News) का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा एक वृतांत है। आप जानते होंगे कि महाभारत काल में पांच पांडवों को अज्ञातवास का सामना करना पड़ा था। कहा जाता है कि पांडव इसी गांव में कुछ दिनों के लिए आऐ थे।
उस काल में, गांव के निवासी ‘सुअटा’ राक्षस से परेशान थे और ये कहा जाता है कि वो राक्षस कुंवारी कन्याओं को खा जाता था। इस पर भीम ने इस राक्षस को मार कर कन्याओं और गांव वासियों को बचाया था। इस परम्परा के सम्बध में ये कथा भी प्रचलित है कि भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस के प्रकोप से बचने के लिए उसकी पूजा अर्चना का रास्ता बताया था ताकि बालिकाओं के जीवन की रक्षा और जीवन सुखमय हो सके, तभी से राक्षस की पूजा अर्चना की परम्परा चली आ रही है।