Grahan In March 2025: होली पर क्यों न मनाएं चंद्र ग्रहण? जानिए क्या है इसका असर!

0

Grahan In March 2025: नई दिल्ली, चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जो तब होती है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, और इस स्थिति में चंद्रमा की रोशनी पूरी या आंशिक रूप से अवरुद्ध हो जाती है। यह घटना हर साल होती है, लेकिन इस बार 2025 में पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को होली के दिन लगेगा। यह खगोलीय घटना कई धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं से जुड़ी हुई है, जिन्हें समझना जरूरी है। आइए जानते हैं इस ग्रहण के बारे में सब कुछ, जैसे कि इसका समय, सूतक काल, और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ।

चंद्र ग्रहण का समय और प्रकार

Sponsored Ad

चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 को होगा और इसका समय इस प्रकार होगा:

  • शुरुआत: 14 मार्च, सुबह 09 बजकर 29 मिनट
  • समाप्ति: 14 मार्च, दोपहर 03 बजकर 29 मिनट
  • मध्यकाल: 14 मार्च, दोपहर 01 बजकर 29 मिनट

यह ग्रहण खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा, जिसका मतलब है कि चंद्रमा का केवल एक हिस्सा पृथ्वी की छाया में आकर अंधेरे में डूबेगा। इस प्रकार के ग्रहण को खग्रास चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल और धार्मिक मान्यताएँ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। चंद्र ग्रहण को कई संस्कृतियों में एक नकारात्मक घटना माना जाता है, क्योंकि इस दौरान राहु और केतु के प्रभाव को बढ़ा हुआ माना जाता है। इन ग्रहों के प्रभाव से जीवन में विघ्न, कष्ट और समस्याएँ आ सकती हैं।

ग्रहण के दौरान किए जाने वाले कुछ प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

gadget uncle desktop ad
  1. सूतक काल: चंद्र ग्रहण के समय सूतक काल माना जाता है, जो कि विशेष रूप से धार्मिक कार्यों और पूजा-पाठ के लिए प्रतिबंधित होता है। हालांकि, भारत में 2025 के चंद्र ग्रहण का दृश्य दर्शन नहीं होगा, इसलिए सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा।
  2. शुभ कार्यों से बचना: इस दौरान किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, या घर में नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
  3. भोजन से बचना: ग्रहण के दौरान भोजन से बचने की सलाह दी जाती है, ताकि किसी प्रकार के धार्मिक प्रभाव से बचा जा सके।

भारत में चंद्र ग्रहण का दृश्य दर्शन नहीं होगा

हालांकि यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन यह उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, यूरोप और कुछ अन्य देशों में देखा जाएगा। चूंकि भारत में इसका कोई दृश्य प्रभाव नहीं होगा, इसलिए यह ग्रहण होली के त्योहार को प्रभावित नहीं करेगा। आप बिना किसी धार्मिक प्रतिबंध के होली का पर्व मना सकते हैं।

खग्रास चंद्र ग्रहण का महत्व

खग्रास चंद्र ग्रहण का एक अलग महत्व होता है। जब चंद्रमा का कुछ हिस्सा पृथ्वी की छाया में आता है, तो यह न केवल एक खगोलीय घटना होती है, बल्कि इसके साथ धार्मिक और ज्योतिषीय घटनाएँ भी जुड़ी होती हैं। कुछ लोग इस समय को ध्यान, साधना और आत्मनिरीक्षण का समय मानते हैं।

ग्रहण के दौरान क्या करें?

चंद्र ग्रहण के दौरान धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुभ कार्यों से बचना चाहिए। लेकिन चूंकि भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा और सूतक काल मान्य नहीं होगा, इसलिए आप होली का पर्व सामान्य रूप से मना सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग ग्रहण के दौरान ध्यान और साधना करने का भी सुझाव देते हैं, ताकि वे इस खगोलीय घटना का सकारात्मक रूप से लाभ उठा सकें।

Sponsored Ad

Read More: Latest Spiritual News

Leave A Reply

Your email address will not be published.