Guillain-Barre Syndrome: पुणे के नागरिकों के लिए चेतावनी, क्या आप सुरक्षित हैं?
नई दिल्ली, महाराष्ट्र के पुणे शहर में Guillain-Barre Syndrome (GBS) के मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखने को मिली है। सिर्फ एक हफ्ते में इस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या 67 तक पहुँच गई है, और इनमें से 13 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। इस बढ़ती चिंता के बीच, स्वास्थ्य विभाग ने हालात का जायजा लेने के लिए रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) गठित की है और प्रभावित मरीजों के नमूनों को जांच के लिए आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा गया है।
Guillain-Barre Syndrome (GBS) क्या है?
Guillain-Barre Syndrome (GBS) एक दुर्लभ तंत्रिका संबंधी रोग है, जो सामान्यत: वायरस या बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्तियों में देखा जाता है। इस स्थिति में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही तंत्रिका तंत्र को हमला करती है, जिससे मांसपेशियां और तंत्रिका तंत्र ठीक से कार्य नहीं कर पाते। GBS के लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों की कमजोरी, श्वसन समस्याएं और पेट संबंधी समस्याएं शामिल हो सकती हैं।
पुणे में अचानक मामले बढ़ने का कारण
पुणे में Guillain-Barre Syndrome के मामलों में अचानक बढ़ोतरी के पीछे ‘कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी’ बैक्टीरिया को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यह बैक्टीरिया सामान्यत: संक्रमित मांस, बिना पाश्चुरीकृत दूध और दूषित पानी के माध्यम से फैलता है। खासकर मुर्गे के आंतों में इस बैक्टीरिया का प्रमुख रूप से पाया जाना आम है।
पुणे के कुछ इलाकों, जैसे सिंहगढ़ रोड, धायरी और किरकटवाड़ी में GBS के कई मरीज पाए गए हैं, और इनमें से अधिकांश मरीजों ने दूषित पानी और खाने से जुड़ी समस्याएं बताई हैं। इस संक्रमण के बाद, कुछ मरीजों को मांसपेशियों में कमजोरी, श्वसन समस्याओं और पेट दर्द जैसी शिकायतें हुई हैं, जिसके चलते उन्हें ICU में भर्ती कराया गया।
क्या यह एक गंभीर स्थिति है?
यह एक गंभीर स्थिति है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि उचित इलाज से अधिकांश मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। पुणे के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नीना बोराडे का कहना है कि यह कोई महामारी का रूप नहीं ले सकता, हालांकि जीबीएस के मामलों में वृद्धि निश्चित रूप से चिंताजनक है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने इस मुद्दे पर निगरानी और आवश्यक उपाय करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है।
इस रोग को कैसे रोका जा सकता है?
Guillain-Barre Syndrome के प्रसार को रोकने के लिए कुछ साधारण कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, मांस को पूरी तरह से पकाना जरूरी है, ताकि बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं। इसके अलावा, हाथों को अच्छे से धोना और साफ पानी का सेवन करना भी महत्वपूर्ण है। दूषित पानी और खाद्य पदार्थों से बचना भी जीबीएस जैसी स्थितियों से बचने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।
इस स्थिति का इलाज और बचाव
डॉ. पद्मनाभ केसकर ने बताया कि इस रोग के लिए एंटीबायोटिक्स जैसे एज़िथ्रोमाइसिन और सिप्रोफ्लोक्सासिन का उपयोग किया जा सकता है। यदि रोगी को गंभीर संक्रमण या निर्जलीकरण जैसी समस्याएं होती हैं तो इन दवाइयों की जरूरत हो सकती है। हालांकि, अधिकांश मामले स्वाभाविक रूप से ठीक हो जाते हैं।