Who can Defeat Lord Shiva | कौन भगवान ‘शिव’ को हरा सकता है?
ब्रह्मा, विष्णु और महेश। सनातन संस्कृति में इन तीन देवों का सर्वप्रथम स्थान है। इन्ही तीन देवताओं में से एक हैं शिव शंकर जिसे हम महादेव के नाम से भी जानते हैं। इन्हें देवों के देव महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा इनके कई नाम हैं, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार, भैरव और भी कई नामों से इन्हे जाना जाता। इस आर्टिकल को हम इसलिए लिख रहे हैं क्योंकि हमने इंटरनेट पर पाया कि हजारों लोग एक सवाल को जानना चाहते हैं वो ये है कि Who can Defeat Lord Shiva. मतलब ये कि लोग जानना चाहते हैं कि क्या भगवान शिव को कोई हरा सकता है। तो विषय की खोज करते हुए हम अपने इस आर्टिकल को आप तक पहुंचाना चाहते हैं।
यदि आप सनातन धर्म को मानने वाले हैं तो आप को मालूम ही होगा कि भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। वे रोद्ररूप और सौम्य रूप दोनों में देखे जाते हैं। हांलांकि भगवान शिव को कल्याणकारी देव माना गया है लेकिन लय एवं प्रलय दोनों ही भगवान शिव के आधीन हैं।
Who can Defeat Lord Shiva, भगवान ‘शिव’ को कौन हरा सकता है?
सनातन धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को हराया नहीं जा सकता। ब्रह्मांड की सभी शक्तियां उन्ही के आधीन हैं और काफी रिसर्च करने के बाद हमने भी यही पाया है लेकिन एक किताब जिसका नाम “नवनाथ भक्तिसार” है उसके 39वें अध्याय में बताया गया है कि भगवान शिव नौ ऋषियों में से एक महान ऋषि “नवनाथ” से पराजित हो गऐ थे।
इसके अलावा भी कई कहानियां है जिनसे ज्ञात होता है कि भगवान शिव कई बार कुछ विपत्तियों से घिरे और उन्हे ऐसी विपत्तियों से पीछे हटना पड़ा, परन्तु वे कभी भी पूरी से परास्त नहीं हुए हैं। हमने आपकी जानकारी के लिए कुछ कथाऐं इस अर्टिकल में सम्मिलित की हैं उम्मीद है आपको अपने प्रश्न (Who can Defeat Lord Shiva) का उत्तर मिल सकेगा।
भगवान शिव, चरपतिनाथ से हारे
इस लेख में हम सबसे पहले चरपतिनाथ की कथा का जिक्र करना चाहते हैं। एक बार नौ महान संत हुए जिन्हे नवनाथ के रूप में जाना जाता है। इन्होने कभी भगवान दत्तात्रेय द्वारा शुरू किए गए ‘नवनाथ संप्रदाय’ का प्रसार किया था। एक धार्मिक पुस्तक ‘नवनाथ भक्तिसार’ में इस घटना के बारे में बताया गया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे नवनाथ, त्रिदेवों से भी शक्तिशाली थे। इसी पुस्तक के 39वें अध्याय में ये कहा गया है कि कैसे भगवान शिव, महान ऋषि चरपतिनाथ से हार गये थे।
पूरी कहानी इस प्रकार है, कि एक बार इंद्रदेव ने नारद मुनि का अपमान कर दिया और नारद भगवान, अपने अपमान का बदला लेना चाहते थे। इस कारण वे चरपतिनाथ को स्वर्ग ले जाते हैं। वहां पहुंच कर वे कुछ फल खाते हैं और कुछ फूल तोड़ते हैं। ऐसा करने पर ये बात स्वर्ग के रक्षकों को मालूम होती है और वे चरपतिनाथ को पकड़ने के लिए आते हैं। स्थिति को भांपते हुए नारद मुनि वहां से गायब हो जाते हैं लेकिन चरपतिनाथ सैनिकों को हरा देते हैं क्योंकि वे काफी शक्तिशाली थे।
इस पूरे वाक्ये की खबर देवराज इंद्र को मिलती है और वे कुछ अन्य देवताओं को युद्ध के लिए भेजते हैं लेकिन अंत फिर वही, देवता भी चरपतिनाथ के हाथों परास्त होते हैं। देवताओं के परास्त होने की खबर पर इंद्र समझ जाते हैं कि चरपतिनाथ को परास्त करना आसान नहीं है। देवराज इंद्र अब भगवान शिव के पास पहुंचते हैं और उनसे मदद मांगते हैं। इस पर भगवान शिव और उनके गण घटनास्थल पर जाते हैं लेकिन चरपतिनाथ काफी शक्तिशाली थे, उन्होने भगवान शिव के गणों पर “वातकर्षण विद्या” का प्रयोग कर दिया जिसके परिणामस्वरूप सभी गणों की सांसें रूक जाती है और वे सब बेहोश हो जाते हैं।
इसके बाद इस युद्ध में भगवान विष्णु को आमंत्रित किया जाता है किन्तु वे भी चरपतिनाथ ने परास्त होते हैं। एक अन्य देवता ‘पिप्पलायन’ को इस बारे में ज्ञात होता है तो वे इसमें हस्तक्षेप करके भगवान शिव और अन्य देवताओं बचाते हैं।
बाणासुर और श्रीकृष्ण का युद्ध
बाणासुर एक बहुत ही शक्तिशाली असुर था जिसने भगवान शिव को प्रसन्न करके एक हजार भुजाओं का वरदान प्राप्त कर लिया था। बाणासुर ने कहा कि जरूरत पड़ने पर भगवान शिव मेरी रक्षा भी करें। कुछ समय के बाद, बाणासुर की बेटी को भगवान श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध से प्रेम हो गया और दोनों ने शादी कर ली।
बाणासुर को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया और उसने अपनी बेटी और अनिरुद्ध, दोनों का अपहरण कर लिया। अत: भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर पर आक्रमण कर दिया। बाणासुर का भगवान श्रीकृष्ण से कोई मुकाबला नहीं था, इसलिए बाणासुर ने भगवान शिव के पास पहुंचते हैं और स्वयं की रक्षा करने का अनुरोध करते हैं। ऐसे में भगवान शिव को बाणासुर की बात माननी पड़ी और फिर भगवान श्रीकृष्ण और भगवान शिव के बीच भयंकर युद्ध शुरू हो गया, जो कई दिनों तक चलता रहा। चूंकि दोनों समान रूप से शक्तिशाली थे, इसलिए युद्ध का कोई अंत नहीं हुआ।
ऐसे में, भगवान श्रीकृष्ण ने भगवान शिव से कहा कि यदि भगवान शिव बाणासुर का समर्थन करते रहेगें तो वह धर्म की रक्षा नहीं कर सकेंगे। श्रीकृष्ण की बात को समझते हुए भगवान शिव ने भगवान कृष्ण को कहा कि वे ‘जुरुमनास्त्र’ का उपयोग करें, जिससे वे कुछ समय के लिए गहरी नींद में सो जाऐंगे। भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसा ही किया और भगवान शिव कुछ समय के लिए गहरी नींद में चले गऐ और पीछे से श्रीकृष्ण ने बाणासुर की एक हजार भुजाएं काट दीं और उस राक्षस ने अपनी हार स्वीकार कर ली। इसके बाद भगवान शिव भी नींद से जाग गये। ये भगवान शिव की हार (Who can Defeat Lord Shiva) थी या नहीं ये फैसला आप करें। बताते हैं अगली कथा के बारे में।
भस्मासुर और भगवान शिव की कथा
एक समय, भस्मासुर बहुत शक्तिशाली असुर था जो भगवान शिव के शरीर की राख से पैदा हुआ था। भस्मासुर ने कठोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया। उसने भगवान शिव से वरदान मांगा कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखे वो जलकर वहीं भस्म हो जाऐ, ऐसे में भगवान शिव ने प्रसन्न होकर भस्मासुर को ये वरदान दे दिया। वरदान प्राप्त करने के बाद, भस्मासुर ने वरदान का परीक्षण लेने का निर्णय किया और वो भगवान शिव के सिर पर ही अपना हाथ रखकर ये देखना चाहता था कि वरदान काम करता है कि नहीं।
भस्मासुर के मन को भांपते हुए, भगवान शिव वहां से भाग खड़े हुए और वैकुंठधाम पहुंच गए, लेकिन भस्मासुर ने वहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा। भगवान शिव ने भगवान विष्णु से राक्षस से स्वंय की रक्षा करने का अनुरोध किया। तब, भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की एक अत्यंत सुंदर स्त्री का रूप धारण किया। जब भस्मासुर ने मोहिनी को देखा तो वह उसकी खूबसूरती से अचंभित रह गया और उसके साथ झूमकर नृत्य करने लगा। भस्मासुर, मोहिनी की हर हरकत की नकल करने लगा। कुछ देर बाद जब वह नृत्य में मदहोश हो गया और अपना पूरा होश खो बैठा तो मोहिनी ने अपना हाथ अपने सिर पर रख लिया। चूंकि भस्मासुर, मोहिनी की नकल कर रहा था तो उसने भी अपना हाथ अपने सिर पर रख लिया। इस प्रकार वह जलकर वहीं राख हो गया।
भगवान राम और भगवान शिव के बीच युद्ध
चौदह वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद और अयोध्या का राजा बनने के बाद भगवान श्रीराम ने अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया। उस यज्ञ के दौरान एक पवित्र घोड़ा छोड़ा गया जो कुछ समय बाद देवपुर पहुंचा, अश्वमेघ यज्ञ के पवित्र घोड़े को देवपुर के राजा वीरमणि के पुत्र ने पकड़ लिया, जिस पर अयोध्या की सेना और देवपुर की सेना के बीच युद्ध शुरू हो गया। जब देवपुर की सेना पराजित होने वाली थी, तब राजा वीरमणि ने भगवान शिव से अपने राज्य की रक्षा करने का अनुरोध किया क्योंकि भगवान शिव ने पहले ही एक वादा किया हुआ था।
तत्पश्चात, भगवान शिव ने देवपुर की रक्षा के लिए अपनी सेना भेजी। भगवान शिव की सेना, अयोध्या की सेना से बहुत शक्तिशाली थी इसलिए अयोध्या की सेना ने भगवान श्रीराम से युद्ध में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया तब जाकर भगवान राम ने युद्ध में प्रवेश किया और शिव की सेना के खिलाफ एक दिव्य हथियार का इस्तेमाल किया। ऐसा होने पर शिव की सेना ने भी, भगवान शिव से अपनी रक्षा करने का अनुरोध किया।
इस तरह, भगवान श्रीराम और भगवान शिव के बीच भयंकर युद्ध शुरू हो गया। युद्ध अंतहीन था, क्योंकि भगवान शिव के विरुद्ध कोई भी हथियार प्रभावी नहीं था। इसलिए, भगवान राम ने ‘पाशुपतास्त्र’ का उपयोग करने का फैसला किया और कहा, “हे भगवन! आपने मुझसे वादा किया था कि जो कोई भी इस हथियार का इस्तेमाल करेगा उसे हराया नहीं जा सकेगा। इसलिए, मैं आपकी अनुमति से इसका उपयोग, आपके विरुद्ध कर रहा हूं।“
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‘पाशुपतास्त्र’ भगवान शिव के हृदय में जाकर स्थित हो गया। इससे भगवान शिव संतुष्ट हुए और उन्होंने भगवान श्रीराम से वरदान मांगने को कहा। इसके बाद भगवान राम ने युद्ध में मारे गये सभी योद्धाओं को जीवित करने का आग्रह किया। महादेव ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया और सभी मृत योद्धाओं को पुनर्जीवित कर दिया।
भगवान शिव को कौन हरा सकता है?
तो ये वो कथाऐं थी जिनमें भगवान शिव हारे या नहीं हारे (Who can Defeat Lord Shiva ये आप तय करें लेकिन हां इसमें कुछ बातें अवश्य महत्वपूर्ण है जो इस प्रकार हैं।
1. यदि कोई व्यक्ति तपस्या करके भगवान शिव को उनके मूल स्वरूप में पराजित करने का वरदान प्राप्त कर ले तो भगवान शिव को हराना संभव है।
2. यदि भगवान शिव स्वयं पराजित होना चाहते हैं तो ये संभव है अन्यथा नहीं।
निष्कर्ष
भगवान शिव की पराजय के बारे में अधिकांश कहानियाँ वैष्णव साहित्य से ली गई हैं। ये कहानियाँ 100% विश्वसनीय हैं या नहीं हैं इसका कोई प्रमाण हमारे पास नहीं है क्योंकि पुराने समय में शैव और वैष्णवों के बीच कुछ समय के लिए संघर्ष हुआ था। विद्वानों का मानना है कि उनके भक्तों ने अपने देवताओं की सर्वोच्चता साबित करने के लिए भगवान विष्णु द्वारा भगवान शिव को हराने की और इसके विपरीत की कहानियाँ गढ़ीं।
तो आपको हमारा ये आर्टिकल who can Defeat Lord Shiva कैसा लगा हमें कमेंट करके अवश्य बताऐं। यदि हमारे इस लेख में आपको कोई गलती मिले तो कृपया हमें अवश्य सूचित करें।