Skyforce Review: नई दिल्ली, फिल्म इंडस्ट्री में युद्ध पर आधारित फिल्में हमेशा ही दर्शकों का ध्यान आकर्षित करती रही हैं। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आधारित फिल्म ‘स्काई फोर्स’ भी कुछ ऐसी ही एक फिल्म है, जो भारतीय वायुसेना की वीरता और साहस को दर्शाती है। हालांकि, फिल्म की प्रस्तुति को लेकर कुछ मिश्रित प्रतिक्रियाएँ हैं। इस लेख में हम ‘स्काई फोर्स’ की कहानी, इसके मुख्य पात्रों और फिल्म की पेशकश पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
फिल्म की कहानी और सेटअप
‘स्काई फोर्स’ का मुख्य ध्यान 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना की एक खास स्क्वाड्रन के अभियानों पर केंद्रित है। फिल्म में अक्षय कुमार ने भारतीय वायुसेना के अधिकारी ओम आहूजा की भूमिका निभाई है, जो एक अनुभवी और साहसी पायलट होते हैं। उनके साथ नवोदित पायलट टी. कृष्ण विजया (वीर पहारिया) की कहानी भी साथ चलती है। यह फिल्म उनके गुरु-शिष्य संबंधों और युद्ध के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों को दिखाती है।
फिल्म की शुरुआत कुछ धीमी है, जहां दर्शकों को पायलटों की एक टीम के बारे में बताया जाता है। लेकिन जब फिल्म के दूसरे भाग की शुरुआत होती है, तो इसकी गति तेज हो जाती है, खासकर जब हवाई लड़ाइयाँ और पायलटों के संघर्ष को दिखाया जाता है। हालांकि, फिल्म के पहले भाग में बहुत अधिक शोर और कंप्यूटर जनरेटेड एयर कॉम्बैट सीक्वेंस होते हैं, जो कहानी को सही दिशा में नहीं ले जाते।
कमजोर पृष्ठभूमि और शोर-शराबा
फिल्म का पहला भाग अत्यधिक शोर और तेज बैकग्राउंड स्कोर से भरा हुआ है, जो संवादों और पात्रों के बीच बातचीत को प्रभावित करता है। कई बार यह शोर इतनी अधिक होती है कि शब्दों का सही से समझ पाना भी मुश्किल हो जाता है। इसके कारण, फिल्म के पात्रों के बीच हो रहे भावनात्मक और मानवीय संघर्षों को पूरी तरह से नहीं दिखाया जा सका।
फिल्म के मुख्य पात्र और उनका संघर्ष
अक्षय कुमार ने ओम आहूजा के किरदार में अच्छा प्रदर्शन किया है। उनकी भूमिका में एक सख्त और समर्पित पायलट की छवि है, जो अपने प्रशिक्षित पायलट के लापता होने के बाद उसे खोजने के लिए निकलता है। यह खोजी मिशन फिल्म में एक अहम मोड़ लाता है और इसमें एक भावनात्मक पहलू जुड़ता है। फिल्म की कहानी में पायलटों की परिवारिक जिंदगी भी दिखाई जाती है, जैसे कि विजय (वीर पहारिया) की गर्भवती पत्नी, जो अपने पति की वापसी का इंतजार करती है।
हवाई लड़ाइयाँ और युद्ध की रणनीतियाँ
फिल्म में कई हवाई लड़ाइयों को बड़े प्रभावी तरीके से दिखाया गया है, जहां भारतीय वायुसेना के पायलट पाकिस्तान के एयरबेस पर हमले करते हैं। इन हमलों को लेकर फिल्म में एक युद्ध रणनीति का संकेत मिलता है, जहां भारतीय पायलटों की कुशलता और साहस दिखाए जाते हैं। हालांकि, इन हवाई हमलों को दिखाते हुए फिल्म कुछ ज्यादा ही ड्रामेटिक हो जाती है और कड़ी हवाई लड़ाई के बीच कहानी का ध्यान भटकने लगता है।
फिल्म की कमजोरी और अंत
फिल्म का अंत कुछ अच्छा होता है, जहां एक महत्वपूर्ण खोज और समझ का मोड़ आता है। हालांकि, इस मोड़ का प्रभाव थोड़ा कम महसूस होता है क्योंकि फिल्म के दौरान ही कई संकेत दिए गए थे। ‘स्काई फोर्स’ में ऐसे तत्वों की कमी है, जो फिल्म को गहराई और उत्साह दे सकें। इसकी कमजोर साउंड डिज़ाइन और संवादों के उच्च शोर के कारण फिल्म का कुल प्रभाव कमजोर पड़ता है।