Manmohan Singh Funeral: भारत ने खो दिया एक महान नेता!

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Manmohan Singh Funeral: नई दिल्ली, भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्रियों में से एक, मनमोहन सिंह, का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे और उन्हें भारतीय आर्थिक उदारीकरण का एक प्रमुख वास्तुकार माना जाता है। उनका निधन गुरुवार को हुआ, जिसके बाद देश भर में शोक की लहर दौड़ गई। शनिवार को दिल्ली में उनके राजकीय अंतिम संस्कार का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सदस्य उपस्थित थे।

राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई

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मनमोहन सिंह के निधन के बाद, दिल्ली में उनके अंतिम संस्कार में पूरे देश और विदेश से अनेक महत्वपूर्ण लोग पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भारत के सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक बताया और शोक व्यक्त किया। सिंह के ताबूत को श्मशान घाट तक ले जाते समय उनके प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दिल्ली की सड़कों पर लोग उमड़ पड़े। उनके परिवार की ओर से उनकी बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान भूटान के राजा और मॉरीशस के विदेश मंत्री सहित कई विदेशी गणमान्य व्यक्तियों ने भी श्रद्धांजलि दी।

मनमोहन सिंह का योगदान और नेतृत्व

मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अपार था। वे 1991 में देश के वित्त मंत्री बने थे, जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था। उन्होंने अपने पहले बजट भाषण में कहा था, “पृथ्वी पर कोई भी शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है”, और यही विचार उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए अपनाया। उन्होंने आर्थिक सुधारों की नींव रखी, जिससे भारत को एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

उनकी आर्थिक नीतियों ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला और भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना दिया। 2004 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने अपनी नीतियों को और भी मजबूती से लागू किया, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबों के कल्याण पर विशेष ध्यान दिया गया।

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कांग्रेस पार्टी और विपक्ष की श्रद्धांजलि

मनमोहन सिंह के निधन के बाद, कांग्रेस पार्टी के नेताओं और विपक्षी नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने एक गुरु और मार्गदर्शक खो दिया है, जो हमेशा उनके लिए प्रेरणा का स्रोत रहे। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने भी उनकी नेतृत्व क्षमता और भारत-अमेरिका संबंधों में उनके योगदान को सराहा। उन्होंने कहा कि सिंह की रणनीतिक दृष्टि और राजनीतिक साहस के बिना भारत और अमेरिका के बीच अभूतपूर्व सहयोग संभव नहीं हो पाता।

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सिंह का दूसरा कार्यकाल और चुनौतियाँ

हालाँकि, सिंह का दूसरा कार्यकाल भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा रहा। 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के पीछे कई लोग घोटालों को एक कारण मानते हैं। सिंह का कार्यकाल विवादों से भरा रहा, लेकिन फिर भी उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जो देश के विकास में योगदान देने वाले थे।

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