जानिए ‘One Nation One Election’ से कैसे बचेंगे समय और संसाधन
नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ‘One Nation One Election’ (वन नेशन, वन इलेक्शन) के विचार को हरी झंडी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, यह विधेयक संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में अगले सप्ताह पेश किया जा सकता है। इसके लिए सरकार ने भाजपा के सभी सांसदों को 13 और 14 दिसंबर को उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है।
शिवराज सिंह चौहान ने उठाई मजबूत वकालत
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस योजना का पुरजोर समर्थन किया है। कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बार-बार चुनावों को देश की प्रगति में बाधा बताया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है और एक सशक्त और समृद्ध भारत का निर्माण हो रहा है।” शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि बार-बार चुनाव होने से न केवल संसाधन बर्बाद होते हैं, बल्कि विकास कार्यों में भी रुकावट आती है।
चुनावों का बोझ और विकास में बाधा
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “देश में जब एक चुनाव खत्म होता है, तो दूसरा चुनाव शुरू हो जाता है। लोकसभा चुनावों के बाद विधानसभा चुनाव आते हैं, और फिर स्थानीय निकाय चुनाव। इस प्रक्रिया से न केवल समय और धन की बर्बादी होती है, बल्कि यह प्रशासनिक कामकाज पर भी प्रभाव डालती है।”
रामनाथ कोविंद समिति की सिफारिशें
‘One Nation One Election’ योजना को लागू करने के लिए सरकार ने सितंबर में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति ने पूरे देश में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की है। कैबिनेट ने इस रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे दी है।
क्या है ‘One Nation One Election’ का उद्देश्य?
इस योजना का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाना और संसाधनों की बचत करना है। बार-बार चुनाव होने से भारी वित्तीय और प्रशासनिक बोझ पड़ता है। इसके अलावा, आचार संहिता लागू होने से कई सरकारी परियोजनाएं और नीतियां रुक जाती हैं। एक साथ चुनाव कराने से इन समस्याओं को हल किया जा सकता है और देश में स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
हालांकि, इस योजना पर विपक्षी दलों की मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ नेताओं का मानना है कि यह भारतीय लोकतंत्र की जटिलताओं और विविधता को प्रभावित कर सकता है। उनका कहना है कि इस पर गहन चर्चा और आम सहमति की आवश्यकता है।
नरेंद्र मोदी सरकार की तैयारी
आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, नरेंद्र मोदी सरकार इस योजना को जल्द लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। संसद में विधेयक पेश करने के बाद इसे पास कराने के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है। यह योजना भारतीय चुनावी प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव लाने का संकेत देती है।