Emergency Movie Review: नई दिल्ली, फिल्में समाज के सामने इतिहास को प्रस्तुत करने का एक प्रभावशाली माध्यम हैं। हाल ही में, कंगना रनौत द्वारा निर्देशित और अभिनीत फिल्म Emergency ने दर्शकों और आलोचकों के बीच खासा ध्यान आकर्षित किया है। यह फिल्म भारतीय इतिहास के एक सबसे विवादास्पद दौर – 1975 के Emergency- पर आधारित है। हालांकि, इस फिल्म को कई जगहों पर सराहना के साथ-साथ आलोचना का सामना करना पड़ा है।
फिल्म की कहानी और पात्र
फिल्म में इंदिरा गांधी के जीवन और उनके राजनीतिक सफर को एक काल्पनिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यह कहानी उनकी सत्ता की लालसा और उनके बेटे संजय गांधी के लिए उनकी कमजोरी के इर्द-गिर्द घूमती है। अनुपम खेर ने जयप्रकाश नारायण, श्रेयस तलपड़े ने अटल बिहारी वाजपेयी, और सतीश कौशिक ने बाबू जगजीवन राम का किरदार निभाया है।
फिल्म की शुरुआत इंदिरा गांधी के बचपन से होती है। एक दुखद और संघर्षपूर्ण बचपन के चित्रण के जरिए यह दिखाया गया है कि कैसे उनका व्यक्तित्व विकसित हुआ। फिल्म में उनके राजनीतिक सफर के बड़े मोड़ों, जैसे तुर्कमान गेट विध्वंस और जनसंख्या नियंत्रण अभियान को भी शामिल किया गया है।
ऐतिहासिक तथ्यों की अनदेखी
कई आलोचकों का मानना है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को नाटकीय उद्देश्यों के लिए तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। Emergency के दौरान घटित घटनाओं को संवेदनशीलता और सटीकता से पेश करने के बजाय, फिल्म में उन्माद और कल्पना को अधिक स्थान दिया गया है। उदाहरण के लिए, फिल्म में इंदिरा गांधी को एक ऐसी महिला के रूप में दिखाया गया है जो परिस्थितियों से जूझ रही है, लेकिन यह चित्रण उनके वास्तविक राजनीतिक व्यक्तित्व से मेल नहीं खाता।
कंगना का प्रदर्शन
कंगना रनौत ने इंदिरा गांधी के किरदार को निभाने के लिए बहुत मेहनत की है। हालांकि, दर्शकों का मानना है कि उनका प्रदर्शन कहीं-कहीं कमजोर पड़ गया। उनके द्वारा निभाया गया किरदार एक सशक्त नेता के बजाय एक भ्रमित और कमजोर महिला के रूप में उभरकर सामने आता है।
फिल्म का तकनीकी पक्ष
फिल्म के सिनेमेटोग्राफर टेटसुओ नागाटा, जो पहले ला वी एन रोज जैसी प्रतिष्ठित फिल्म में काम कर चुके हैं, ने यहां भी अपनी कला का प्रदर्शन किया है। हालांकि, फिल्म के सीमित प्रोडक्शन और खराब निर्देशन ने उनके प्रयासों को पूरी तरह से उजागर नहीं होने दिया।
Emergency एक ऐसा प्रयास है जो भारतीय राजनीति के एक अहम अध्याय को दर्शाने की कोशिश करता है। हालांकि, यह फिल्म इतिहास को सही रूप में पेश करने में असफल रही है। इसे मनोरंजन के दृष्टिकोण से देखा जा सकता है, लेकिन ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह अधूरी और अतिरंजित कहानी पेश करती है।