Tumko Meri Kasam: एक डॉक्टर की क्रांति और प्यार भरी संघर्ष की दिलचस्प कहानी!

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नई दिल्ली, बॉलीवुड में इन दिनों सच्ची घटनाओं और वास्तविक किरदारों पर आधारित फिल्मों का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। इस ट्रेंड के तहत निर्देशक विक्रम भट्ट ने अपनी नई फिल्म ‘Tumko Meri Kasam’ पेश की है। यह फिल्म IVF तकनीक के अग्रणी डॉक्टर अजय मुर्डिया के जीवन पर आधारित है। विक्रम भट्ट, जो मुख्य रूप से हॉरर फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, इस बार एक भावनात्मक और प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं, जो दर्शकों को जोड़ने में सफल हो रही है।

कहानी की शुरुआत

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फिल्म की कहानी डॉ. अजय मुर्डिया (अनुपम खेर) के जीवन से शुरू होती है, जो IVF तकनीक के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नाम बन चुके हैं। फिल्म की शुरुआत होती है अजय मुर्डिया के कोर्ट केस से, जहां उन पर राजीव खोसला (मेहरजान माजदा) की हत्या के प्रयास का आरोप लगाया जाता है। राजीव खोसला अजय के चपरासी के बेटे हैं, जिनको अजय ने अपने साथ कंपनी में अहम पद पर रखा था। कोर्ट केस में अजय अपनी बेगुनाही को साबित करने की कोशिश करते हैं, और इस दौरान उनकी जिंदगी के दो अलग-अलग पहलुओं की कहानी दर्शकों के सामने आती है।

1980 के दशक की रोमांटिक कहानी

फिल्म में एक और कहानी अजय मुर्डिया के युवावस्था के दिनों से जुड़ी है। अजय उस समय पैथोलॉजी की पढ़ाई कर रहे थे और अपने जीवन की साथी इंदिरा (अदा शर्मा) से बहुत प्यार करते थे। अजय और इंदिरा की प्रेम कहानी की शुरुआत होती है, जब अजय ने IVF तकनीक को लेकर समाज में बदलाव लाने का सोचा था। उस समय यह तकनीक न केवल विवादित थी, बल्कि समाज द्वारा स्वीकार्य भी नहीं थी। लेकिन इंदिरा का समर्थन और अजय की मेहनत ने IVF तकनीक को एक नई दिशा दी। हालांकि इस सफर में अजय और इंदिरा को कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, जो दर्शकों को काफी भावनात्मक तरीके से जोड़ता है।

फिल्म की समीक्षा

विक्रम भट्ट ने इस फिल्म को न केवल राइटर बल्कि डायरेक्टर के तौर पर भी निर्देशित किया है। फिल्म की कहानी मजबूत है, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने का प्रयास करती है। हालांकि, फिल्म में कुछ कमियां भी हैं। एक ओर जहां फिल्म का कोर्ट केस ड्रामा आकर्षक है, वहीं फिल्म का पहला हाफ थोड़ा धीमा है। साथ ही, फिल्म की दो टाइमलाइन कभी-कभी कंफ्यूजन पैदा करती है। हालांकि इन दोनों को अलग-अलग देखने पर यह दोनों कहानी इमोशनल रूप से असरदार हैं।

फिल्म में एक बड़ा सवाल यह भी है कि, राजीव खोसला को पाले-पोसे अजय मुर्डिया को आखिर क्यों हत्या के आरोप में फंसाता है। इस सवाल का उत्तर फिल्म के अंत तक नहीं मिलता है, जो एक तरह से अनसुलझा छोड़ दिया गया है।

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अभिनय का प्रभाव

फिल्म के अभिनय को लेकर कोई भी शिकायत नहीं है। अनुपम खेर ने डॉ. अजय मुर्डिया के वृद्ध किरदार को शानदार तरीके से निभाया है। उन्होंने किरदार में गहरी भावनाओं और ताजगी को लाने में कामयाबी हासिल की है। इसके अलावा इश्वाक सिंह ने अजय के युवा रूप में बेहतरीन अभिनय किया है और अदा शर्मा ने इंदिरा के किरदार को सजीव किया है। उनके और इश्वाक के बीच की केमिस्ट्री बेहद आकर्षक है।

ईशा देओल ने मीनाक्षी के रूप में एक दमदार लॉयर का किरदार निभाया है और उनकी भूमिका को बहुत सराहा गया है। मेहरजान माजदा ने फिल्म में राजीव खोसला के निगेटिव किरदार को बखूबी निभाया है। इसके अलावा, सुशांत सिंह और दुर्गेश कुमार जैसे सपोर्टिंग कास्ट ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है।

संगीत और सिनेमैटोग्राफी

फिल्म में संगीत का भी भरपूर इस्तेमाल किया गया है, हालांकि इसके गाने लंबे समय तक याद नहीं रहते। विशेषकर ‘इश्का इश्का’ गाना ही प्रमुख रूप से ध्यान आकर्षित करता है। इसके अलावा, फिल्म की सिनेमैटोग्राफी बहुत अच्छी है और यह फिल्म के भावनात्मक दृश्यों को और प्रभावशाली बनाती है।

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