अब एक व्यक्ति को भी अपने साथ उड़ा सकेगा Drone | छात्रों ने किया सफल परीक्षण

0

Pilot Drone : कंबोडिया में इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने एक ऐसे ड्रोन का प्रोटोटाइप तैय्यार किया है जो न सिर्फ कम्यूनिटी बल्कि फायर फाईटर्स के लिए भी लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इस ड्रोन को उड़ाने के लिए एक पायलट को इस पर बैठना पड़ता है।

Pilot Drone कम्बोडिया के छात्रों द्वारा निर्मित

Sponsored Ad

यह ड्रोन नैशनल पॉलीटेक्नीक इंस्टीट्यूट ऑफ कम्बोडिया (NPIC) के छात्रों द्वारा बनाया गया है। इसे बनाने के लिए छात्रों ने प्रोपेलर्स का इस्तेमाल किया है और इसके साथ ही पायलट की सीट के लिए उन्होंने एक कुर्सी का भी इस्तेमाल किया है जिसे उन्होंने अपने इंस्टीट्यूट से ही लिया है।

60 KG तक का वज़न उठा सकता है Drone

इस पायलट ड्रोन का प्रोटोटाइप 60 किलोग्राम तक का वज़न आसानी से उठा सकता है। इसके साथ ही यह ड्रोन 10 मिनट में 1 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। ड्रोन बनाने वाले स्टूडेंट्स ने बताया कि इस पायलट ड्रोन को बनाने में उन्हें तकरीबन 3 साल का समय लगा और इसके साथ ही इसे बनाने में कुल $20,000 का खर्च आया।

साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि फिलहाल यह प्रोटोटाइप ड्रोन केवल 4 मीटर, यानि कि 13.1 फीट की ऊँचाई तक ही उड़ पाता है पर उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में यह ड्रोन और भी ऊँची उड़ान भर सकेगा।

ड्रोन की उड़ान ज्याद स्टेबल

Drone के पायलट Lonh Vannsith जो कि अभी केवल 21 साल के ही है, ने बताया कि, “जब भी हम कोई ड्रोन बिना पायलट के हवा मे उड़ते देखते है तो पाते हैं कि ड्रोन बहुत ज्यादा शेक यानि की हिल रहा है पर जब मैं ड्रोन पर बैठा और मैंने इसे उड़ाया तो मुझे ऐसा ऐहसास हुआ कि ड्रोन बहुत स्टेबल है जिस वजह से मैं ड्रोन उड़ाते समय काफी उत्सुक यानि कि एक्साइटेड था”.

gadget uncle desktop ad

साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस ड्रोन को बनाने के पीछे हमारा यह मकसद था कि हम अपनी सोसाइटी की कुछ मदद कर सकें।

Lonh ने कहा कि “हम टैक्सी ड्रोन के माध्यम से सोसाइटी की समस्याओं को दूर करने और साथ ही फायर फाईटर्स की मदद करना चाहते हैं” साथ ही उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते है कि यह ड्रोन बिल्डिंग्स के उन ऊँचे-ऊँचे फ्लोर्स तक पहुंचने में कामयाब रहेगा जहां तक फायर ट्रक नहीं पहुंच पाते।

कोरोना की वजह से प्रोजेक्ट में हुई देरी

नैशनल पॉलीटेक्नीक इंस्टिट्यूट ऑफ कम्बोडिया के रिसर्च एंड डेवलपमेंट टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड, Sarin Sereyvatha ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि कोरोना और लॉकडाउन की वजह यह पायलट ड्रोन प्रोजेक्ट बहुत ज्यादा डिलेय हो गया क्योंकि हमने इसे बनाने के लिए जिन प्रोपेलर्स का इस्तेमाल किया है उसे विदेश से मंगवाया गया था लेकिन कोरोना की वजह से उन्हें आने में बहुत देरी हो गई।

यह ड्रोन कैस उड़ान भरता है देखिये ये विडियो CLICK HERE

साथ ही Sarin ने यह कहा कि “इस ड्रोन को बनाने का खर्चा काफी ज्यादा है पर यदि हम इस ड्रोन को बना कर बाज़ार में बेचते है तो इसकी कॉस्ट काफी कम हो जाएगी”

Leave A Reply

Your email address will not be published.