Ratan Tata Birthday: रतन टाटा की जिंदगी का सबसे बड़ा रहस्य, क्यों नहीं बन पाए सबसे अमीर!

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Ratan Tata Birthday: नई दिल्ली, रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था, और आज वह भारत के सबसे सम्मानित और आदर्श उद्योगपतियों में से एक माने जाते हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और टाटा समूह को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के कारण उन्हें दुनिया भर में सम्मान मिला है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रतन टाटा कभी भी भारत के सबसे अमीर उद्योगपति नहीं बन पाए? आइए जानें इसके पीछे का कारण और उनके समाजसेवा के प्रति समर्पण के बारे में।

रतन टाटा की शुरुआती जिंदगी और करियर

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रतन टाटा का करियर 1961 में टाटा समूह से शुरू हुआ था, जब उन्होंने आईबीएम की नौकरी ठुकराकर इस प्रतिष्ठित समूह को अपनी सेवाएं दीं। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हमेशा अपनी मेहनत और दूरदृष्टि से टाटा समूह को न केवल भारत बल्कि दुनिया में एक प्रमुख नाम बना दिया। टाटा समूह की कंपनियों ने व्यापार के हर क्षेत्र में नाम कमाया, चाहे वह सुई हो, स्टील हो, चाय हो या फिर हवाई जहाज। हालांकि, उनका उद्देश्य कभी सिर्फ व्यक्तिगत संपत्ति कमाना नहीं था।

रतन टाटा की संपत्ति और फोर्ब्स लिस्ट

IIFL वेल्थ हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2022 के अनुसार, रतन टाटा की कुल संपत्ति केवल 3,800 करोड़ रुपये है, और वह इस सूची में 421वें स्थान पर हैं। यह आंकड़ा उनके प्रभाव और योगदान के हिसाब से काफी कम दिखता है, क्योंकि टाटा समूह की कंपनियां एक से बढ़कर एक मुनाफे वाली हैं। फिर भी, रतन टाटा का नाम उन उद्योगपतियों में नहीं आता जो व्यक्तिगत संपत्ति के मामले में टॉप पर होते हैं।

टाटा ट्रस्ट और समाजसेवा

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रतन टाटा की संपत्ति में कमी का मुख्य कारण उनका समाजसेवा के प्रति समर्पण है। टाटा समूह की अधिकांश संपत्ति “टाटा संस” के पास होती है, जो समूह की मुख्य निवेश होल्डिंग कंपनी है। टाटा संस का मुनाफा एक बड़ा हिस्सा “टाटा ट्रस्ट” में जाता है, जो समाज की भलाई के लिए काम करता है। ये ट्रस्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और सांस्कृतिक संवर्धन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य करता है। रतन टाटा ने हमेशा समाज में स्थायी बदलाव लाने की कोशिश की और इसी कारण उन्होंने अपनी व्यक्तिगत संपत्ति की बजाय समाज की भलाई के लिए काम किया।

क्यों नहीं बन पाए भारत के सबसे अमीर व्यक्ति?

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मुकेश अंबानी और गौतम अडानी जैसे उद्योगपति अपनी व्यक्तिगत संपत्ति पर केंद्रित रहते हैं, जो उन्हें फोर्ब्स की अमीरों की सूची में शीर्ष स्थान दिलाती है। जबकि रतन टाटा ने अपनी अधिकांश संपत्ति टाटा ट्रस्ट को समर्पित कर दी, जो उनके व्यक्तिगत खाते में नहीं गिनी जाती। यही कारण है कि वह पारंपरिक रूप से अमीरों की सूची में दिखाई नहीं देते हैं। टाटा परिवार ने हमेशा समाज के कल्याण को प्राथमिकता दी है, और यही संस्कृति रतन टाटा के नेतृत्व में और मजबूत हुई। उनका उद्देश्य समाज की भलाई करना था, न कि अपनी व्यक्तिगत संपत्ति बढ़ाना।

रतन टाटा का आदर्श नेतृत्व

रतन टाटा ने जो नेतृत्व क्षमता और समाजसेवा का उदाहरण पेश किया, वह आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके योगदान को देखते हुए उन्होंने भारत और दुनिया भर में एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनका जीवन यह दर्शाता है कि सच्ची सफलता केवल धन और संपत्ति में नहीं होती, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने में होती है।

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