Nitish Kumar Reddy Father: नई दिल्ली, 21 वर्षीय नितीश रेड्डी ने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट में अपनी पहली टेस्ट सेंचुरी लगाकर क्रिकेट इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया। यह सिर्फ एक क्रिकेट पारी नहीं, बल्कि संघर्ष और बलिदान से भरी एक प्रेरणादायक कहानी का हिस्सा थी।
दबाव के बीच शानदार प्रदर्शन
भारत की पारी 191/6 के संकट में थी जब नितीश बल्लेबाजी करने आए। ऑस्ट्रेलिया के विशाल 474 रन के जवाब में टीम फॉलोऑन के खतरे में थी। ऐसे में निचले क्रम के बल्लेबाज वाशिंगटन सुंदर के साथ नितीश ने 127 रनों की अहम साझेदारी की। इस पारी ने न केवल भारत को संकट से निकाला, बल्कि रेड्डी ने अपना पहला टेस्ट शतक भी पूरा किया।
उनकी पारी में धैर्य, तकनीक और आत्मविश्वास झलकता था। यह दिखाता है कि रेड्डी जैसे युवा खिलाड़ी दबाव के समय में भी उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं।
पिता का बलिदान और रेड्डी की प्रेरणा
नितीश रेड्डी के क्रिकेट करियर में उनके पिता मुत्याला रेड्डी का योगदान बेहद खास है। अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी। रेड्डी ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता ने उनके लिए कितने त्याग किए।
“एक दिन मैंने अपने पिता को हमारी आर्थिक स्थिति के कारण रोते हुए देखा। तब मैंने ठान लिया कि मुझे अपने क्रिकेट करियर को गंभीरता से लेना है,” रेड्डी ने बीसीसीआई.टीवी को बताया।
उनके पिता ने नितीश को हर कदम पर समर्थन दिया। जैसे ही नितीश ने अपना शतक पूरा किया, कैमरों ने उनके पिता को स्टैंड्स में प्रार्थना और खुशी में झूमते हुए दिखाया। उनके आंसू उस गर्व और संतोष का प्रतीक थे, जो अपने बेटे की उपलब्धि से जुड़े थे।
ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरुआत और लगातार प्रदर्शन
यह दौरा नितीश रेड्डी के लिए एक नई शुरुआत थी। शुरुआत में उन्हें टीम में नौसिखिया के रूप में लाया गया, लेकिन उन्होंने पहले तीन टेस्ट मैचों में छोटे लेकिन महत्वपूर्ण योगदान दिए। निचले क्रम के साथ बल्लेबाजी करते हुए, उन्होंने 30 और 40 के दशक में उपयोगी पारियां खेलीं।
चौथे टेस्ट में, उनकी शतकीय पारी ने उनके खेल को अगले स्तर तक पहुंचा दिया। वाशिंगटन सुंदर के साथ उनकी साझेदारी भारत के लिए मैच का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई।
रेड्डी की पारी के पीछे की कहानी
नितीश रेड्डी की इस सेंचुरी ने दिखाया कि मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी संभव है। यह पारी सिर्फ रन बनाने तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह उनके संघर्ष और बलिदान की कहानी भी बयां करती है।
उन्होंने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत साधारण संसाधनों के साथ की, लेकिन अपनी लगन और अपने पिता के समर्थन के कारण आज वह एक बड़े मंच पर चमक रहे हैं।