पाकिस्तान के सिंध में श्रीराम मंदिर ध्वस्त | अब 428 में 20 मंदिर बचे

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पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों के खिलाफ बर्बरता कोई पहली बार नहीं है। इसी कड़ी में शनिवार को पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में एक ओर हिन्दू मंदिर, श्रीराम मंदिर में तोड़फोड़ की गई। इस घटना पर लंदन स्थित पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता अनिला गुलज़ार ने इसकी कड़ी निंदा की है और अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि पाकिस्तान में 428 में से अब केवल 20 मंदिर ही बचे हैं।

उन्होने अपने पोस्ट में कहा कि 10 अक्तूबर को श्रीराम मंदिर के खिलाफ बर्बरतापूण कृत्य की कड़ी निंदा करता हूं।

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मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान में सिंध के ​बाडिन प्रांत के करियो घनवार क्षेत्र में श्रीराम मंदिर में तोड़फोड़ की गई। हिन्दू समुदाय ने इस हमले पर कड़ी निंदा और गुस्सा व्यक्त किया है। ये घटना पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की गंभीर स्थिति का एक जीता जागता उदाहरण है। पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों में तोड़फोड़ की इस तरह की घटनाओं की रिपोर्ट बार—बार आती रही हैं।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है और इस घटना के संबंध में एक मामला भी दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि, शिकायतकर्ता अशोक कुमार के मुताबिक संदिग्ध मुहम्मद इस्माइल ने बाडिन जिले में मंदिर में रखी मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया और भाग गया।

आपको बता दें कि सिंध में अल्पसंख्यक हिन्दू लोगों के विश्वास पर लगातार हमले होते रहे हैं। हिन्दू महिलाओं का यौन उत्पीड़न और जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। पाकिस्तान में मानवाधिकार आयोग (HRCP87) ने मई के महीने में ईसाई और हिन्दू लोगों के घरों की अनदेखी की कड़ी निंदा भी की थी।

HRCP87 ने एक ट्वीट में ये कहा कि बहावलपुर में हिन्दू और ईसाई समुदाय के घरों को घ्वस्त कर दिया गया इससे संम्बधित साल की शुरूआत में एक विडियो भी वायरल हुआ था जिसमें हिन्दू अल्पसंख्यक समुदाय की एक बस्ती हो घ्वस्त होते देखा जा सकता है।

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ये बर्बर काम इमरान खान की कैबिनेट में गृहमंत्री तारिक बशीर चीमा और पाकिस्तान के प्रधान सूचना अधिकारी शाहिद खोखर की देखरेख में हुआ।

इस्लामाबाद में भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव होता है। इससे सम्बधित हिंसा, सामूहिक हत्याऐं, अपहरण, जबरदस्ती धर्म परिवर्तन आदि की घटनाऐं सामने आती रहीं है। इनमें हिन्दू, सिक्ख, ईसाई, अ​हमदिया और शिया अल्पसंख्यक उत्पीड़न की शिकार होते रहे हैं।

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