Green House Effect in Hindi | ग्रीनहाउस के फायदे और नुकसान क्या हैं?

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हैलो दोस्तों, आज हम लाऐं हैं एक ओर जानकारी से भरपूर आर्टिकल Green House Effect in Hindi. जी हां दोस्तों आज के समय में प्रदूषण की समस्या लगभग हर देश की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है और यही प्रदूषण हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है। यदि किसी क्षेत्र का Green House प्रभावित होता है तो ये हमारे लिए बहुत ही चिंता का विषय बन जाता है। तो आईये जानते हैं Green House Effect के बारे में।

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क्या आप जानते हैं की ग्रीन हाउस क्या होता है? अगर नहीं तो परेशानी की कोई बात नहीं है हम आपको बताते हैं कि आखिर ये ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?

Green House Effect क्या है?

दोस्तो, ग्रीनहाउस को ग्लासहाउस (Glasshouse) और हरितगृह भी कहा जाता है। ग्रीनहाउस एक ऐसी बिल्डिंग है जिसे मौसम के बाहर (Out of Season) वाले पौधों की सुरक्षा के लिए बनाया जाता है ताकि उन पौधों को बाहर की अत्यधिक सर्दी या गर्मी से बचाया जा सके।

सत्रहवी सदी (17th century) में ग्रीनहाउस साधारण लकड़ी या ईटो के शरणस्थल हुआ करते थे जिसमे सामान्य खिड़की हुआ करती थी जिससे कुछ गर्माहट बनी रहे। जैसे जैसे कांच (Glass) सस्ता होता गया और जैसे जैसे हीटिंग के अधिक रूप उपलब्ध होते गए, ग्रीनहाउस लकड़ी या किसी धातु के साथ कांच से बनी छत और दीवारों के साथ बनाए जाने लगे।

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उन्नीसवीं सदी (19th century) के मध्य तक, ग्रीनहाउस ऐसे आश्रय में विकसित हो गया जिसमें वातावरण को नियंत्रित (Temprature Control) किया जा सकता था जो विशेष पौधों की जरूरतों के लिए उचित था।

19वी शताब्दी में विदेशी पौधों (Exotic Plants) की उपलब्धता में भारी वृद्धि होने के कारण इंग्लैंड और अन्य जगहों में भी ग्लासहाउस में ज्यादा से ज्यादा बढ़ोतरी होने लगी।

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कृषि (Agriculture), बागवानी (Gardening) और वनस्पति विज्ञान (Botanical Science) के लिए बड़े ग्रीनहाउस को उपयोग में लाया जाता था तथा शौकिया तौर पर बागवानी और घर के माली द्वारा छोटे ग्रीनहाउस इस्तेमाल में लाए जाते है।

तो अब आपको ग्रीनहाउस के बारे में तो काफी हद तक जानकारी मिल चुकी है अब हम आपको ग्रीन हाउस से होने वाले फायदे और नुकसान भी बता देते हैं।

Greenhouse Effect Meaning in Hindi

ग्रीन हाउस इफेक्ट एक प्राकृतिक घटना है जो पृथ्वी की सतह (ऊपरी भाग) को गरम बनाए रखता है, इसी कारण पृथ्वी पर जीवन संभव है। सूर्य की ओर से आने वाली ऊर्जा (Energy) प्रकाश किरणे ग्रीन हाउस की एक सतह को पार करते हुए अंदर प्रवेश करती हैं।

इस तरह सूर्य से आने वाली ऊर्जा का कुछ भाग ग्रीन हाउस में मौजूद पेड़, पौधे, मिट्टी अपने अंदर समाहित (Absorb) कर लेते हैं। इस सूर्य की ऊर्जा प्रकाश का ज्यादातर भाग ऊष्मा (Heat) में परिवर्तित हो जाता है जो ग्रीन हाउस को गरम बनाए रखता है।

ग्रीन हाउस में उपस्थित गैस (Gases) गर्मी को सोख (Absorb) लेती है जिसके कारण पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी होती है। अन्य ग्रहों की तुलना में पृथ्वी का तापमान ज्यादा होने के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। ग्रीन हाउस की सबसे जरूरी गैस पानी से उत्पन्न होने वाली भाप है जो ग्रीन हाउस इफेक्ट के लिए बहुत ही उपयोगी है।

ग्रीन हाउस में पानी की भाप (Water Vapour) के अलावा और भी गैस शामिल होती हैं जो कि बहुत अहम भूमिका निभाती हैं जैसे ऑक्सीजन (Oxygen), कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide), नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrus), मिथेन (Mithen) आदि। हांलाकि ये सब गैस बहुत ही कम प्रतिशत में होती हैं।

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अगर धरती (Earth) पर पर ग्रीन हाउस इफेक्ट ना होता तो धरती का तापमान (Temperature) बहुत ही ठंडा होता। धरती पर जलवायु में गर्माहट का रहना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारी पृथ्वी का तीन चौथाई भाग पानी है और यह पानी 3 रूप में धरती पर मौजूद है और वो 3 रूप है :– बर्फ (Ice) जो सॉलिड फॉर्म में होती है, द्रव यानी लिक्विड (Liquid) फॉर्म और पानी की भाप (Water Vapour) जो गैस के फॉर्म में होती है।

पृथ्वी पर होने वाले जल चक्र (Water Cycle) के कारण पानी इन तीन रूपों में बदलता रहता है और साथ ही पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करने के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ग्रीन हाउस प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग क्या है?

Green House Effect एक प्राकृतिक क्रिया है जो हमारी पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने का काम करती है। जब सूर्य किरणें धरती पर पड़ती हैं तो उस प्रकाश का कुछ हिस्सा अंतरिक्ष में वापिस चला जाता है और बचा हुआ कुछ हिस्सा ग्रीन हाउस द्वारा सोख (Absorb) कर लिया जाता है।

जब वातावरण में ग्रीनहाउस गैसेस में वृद्धि होने लगती है तब सूर्य की किरणों का ज्यादातर भाग वातावरण सोख लेता है और अंतरिक्ष में वापिस जाने वाला भाग कम होता जाता है।

Green House Effect in Hindi

ग्रीन हाउस गैस में वृद्धि होने के कारण ही पृथ्वी का तापमान बहुत ज्यादा गरम होने लगा है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न होने लगी है। ग्लोबल वार्मिंग होने का एक बड़ा कारण ग्रीन हाउस प्रभाव है।

हर दिन सूर्य से आने वाले रेडिएशन के कारण पृथ्वी का तापमान बेहद बढ़ता चला जा रहा है। जैसे जैसे ग्रीन हाउस गैस का प्रभाव बढ़ता रहेगा वैसे ही पृथ्वी और गरम होने लगेगी और ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ती चली जाएगी।

7 ग्रीनहाउस गैस क्या है?

पिछले कुछ सालों में ग्रीन हाउस गैस में बढ़ोतरी होने के कारण पृथ्वी के जलवायु में बहुत परिवर्तन आए हैं। यह सब परिवर्तन वातावरण के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं। ग्रीन हाउस गैस बढ़ने के कारण पृथ्वी बहुत गरम होने लगी है और साथ ही मौसम में बहुत बदलाव भी देखने को मिले हैं। ग्लोबल वार्मिंग होने का एक बड़ा कारण ग्रीन हाउस गैस में वृद्धि होना है।

जैसे की हमने आपको बताया था कि ग्रीन हाउस गैस में बहुत सी गैसेस शामिल होती है जो अलग अलग मात्रा में पाई जाती है, तो चलिए आपको ग्रीन हाउस में उपस्थित 7 गैसेस के नाम और उनके बारे में कुछ जरूरी जानकारी दे देते हैं।

ग्रीन हाउस में सबसे अधिक उत्सर्जन (Excreation) कार्बन डाई आक्साइड (Carbon Dioxide), नाइट्रस आक्साइड (Nitrus Oxide), मीथेन (Methane), क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (Chlorofluorocarbon), भाप (Vapour), ओजोन (Ozone) आदि करती हैं।

इन सब गैसिस का उत्सर्जन हमारे रोज़ में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों (Appliances) जैसे वातानुकूलक (Air Conditioner), फ्रिज (Refrigerator), कंप्यूटर (Computer), स्कूटर (Scooter), कार (Car) आदि में भी होता है। कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत (Source) पेट्रोलियम ईंधन (Petroleum fuel) चूल्हे हैं। पिछले 10–15 सालों में कार्बन डाइऑक्साइड गैस में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

ग्रीन हाउस की 2 प्रमुख गैस

उपर हमने आपको बताया ग्रीन हाउस में उपस्थित 7 गैसेस के बारे में अब हम आपको बताते हैं कि इन 7 गैसों में सबसे प्रमुख गैस कौन सी हैं? तो ये हैं:

  • वाष्प
  • कार्बन डाइऑक्साइड

सबसे अधिक क्रियाशील ग्रीन हाउस गैस कौन है?

वाष्प और कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीन हाउस की सबसे अधिक क्रियाशील गैस है। आईये अब इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

वाष्प (Water Vapour)

वाष्प ग्रीन हाउस की सबसे प्रबल गैस है। वाष्प की व्यवहार प्रक्रिया मूलरूप से ग्रीन हाउस की बाकी गैसों में से अलग है। वाष्प की अहम भूमिका विकिरण बल (Radiative Forcing) के प्रत्यक्ष एजेंट के रूप में नहीं है, बल्कि एक जलवायु प्रतिक्रिया (Climate Feedback) के रूप में है, अर्थात जलवायु प्रणाली के भीतर एक प्रतिक्रिया के रूप में जो सिस्टम की निरंतर गतिविधि को प्रभावित करती है।

यह अंतर इसलिए उत्पन होते हैं क्योंकि वायुमंडल में वाष्प की मात्रा केवल मानव व्यवहार (Human Nature) द्वारा संशोधित नहीं की जा सकती बल्कि हवा के तापमान के द्वारा भी निर्धारित की जाती है।

सतह जितनी ज्यादा गर्म होगी उतना ही ज्यादा सतह से पानी का वाष्पीकरण (Evaporation) दर ज्यादा होगा। वाष्पीकरण में वृद्धि से निचले वातावरण में जल वाष्प की अधिक सांद्रता (Concentration) होती है जो अवरक्त विकिरण को अवशोषित करने और इसे वापस सतह पर उत्सर्जित करने में सक्षम होती है।

कार्बन डाइऑक्साइड

कार्बन डाइऑक्साइड गैस, ग्रीन हाउस की सबसे सार्थक गैस है। वायुमंडलीय CO2 के प्राकृतिक स्रोतों में ज्वालामुखियों से बाहर निकलना, कार्बनिक पदार्थों का दहन और प्राकृतिक क्षय और एरोबिक (ऑक्सीजन का उपयोग करने वाले) जीवों द्वारा श्वसन (Cellular Respiration) शामिल हैं।

ये स्रोत, औसतन, भौतिक, रासायनिक या जैविक प्रक्रियाओं के एक समूह द्वारा संतुलित होते हैं, जिन्हें “सिंक” कहा जाता है, जो वातावरण से CO2 को हटाते हैं। महत्वपूर्ण प्राकृतिक सिंक में स्थलीय वनस्पति (Vegetation) शामिल है, जो प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के दौरान CO2 लेती है।

हमारे आर्टिकल Green House Effect in Hindi में अब हम आपको अन्य जानकारी देने जा रहे हैं।

सौर ग्रीन हाउस क्या है?

सौर ग्रीन हाउस को सोलर ग्रीन हाउस (Solar Green House) कहते हैं। सौर ग्रीनहाउस वे बाड़े हैं जहां फसलों, सब्जियों या फूलों को पौधों की वृद्धि और उत्पादन के लिए प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में उचित वातावरण प्रदान किया जाता है। निश्चित रूप से सभी ग्रीनहाउस में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के लिए आवश्यक सूर्य की धूप प्राप्त करते हैं और सूर्य से ठंड के महीनों के दौरान पूरक गर्मी भी प्राप्त करते हैं।

उष्णकटिबंधीय देशों (Tropical Countries) में, सौर सूर्यातप (Solar Isolation) और परिवेश का तापमान काफी अधिक होता है और इसलिए गर्मियों के ग्रीनहाउस को इस तरह से डिज़ाइन किया जा सकता है कि अंदर का तापमान कम रहे और पौधों को प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक उर्जा प्राप्त हो।

ग्रीनहाउस भी अब साल भर सब्जियों और फूलों को उगाने के लिए उपयोग किया जाता है, भले ही उनका मौसम नहीं भी हो क्योंकि ग्रीनहाउस में प्रकाश और तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ ग्रीनहाउस को जल संसाधनों के संरक्षण के लिए भी डिज़ाइन किया गया है।

स्वाभाविक रूप से, प्रत्येक पौधे के प्रकार को सर्वोत्तम उत्पादन के लिए थोड़ा अलग प्रकार के वातावरण की आवश्यकता होती है लेकिन मूल रूप से वांछनीय आवश्यकताएं मध्यम तापमान, प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन, खनिज पोषक तत्व, वायु संचलन और पानी हैं। ग्रीनहाउस आमतौर पर दो ऊर्जा संबंधी जरूरतों को प्रदान करने के लिए बनाए जाते हैं जो मध्यम तापमान और प्रकाश हैं। आशा है आपको हमारे आर्टिकल Green House Effect in Hindi में अच्छी जानकारी प्राप्त हो रही है। बढ़ते हैं आगे।

ग्रीन हाउस के लाभ और हानि

Green House Effect in Hindi में हमने आपको सारी जानकारी बता दी है अब हम आपको ग्रीन हाउस से होने वाले लाभ और हानि भी बता देते हैं।

ग्रीन हाउस के लाभ

  • Green House Effect के कारण ही पृथ्वी का तापमान सामान्य बना रहता है। तापमान सामान्य होने के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है।
  • Green House Effect के कारण ही पृथ्वी पर ऋतुएं (Season) बदलते हैं।
  • इस प्रभाव के कारण ही सूर्य से आने वाली प्रकाश किरणों का हानिकारक भाग जो मनुष्य के स्वास्थ के लिए अच्छा नहीं होता है, ग्रीन हाउस उन किरणों को समाहित कर लेता है तथा सुरक्षित प्रकाश ही पृथ्वी तक पहुंचा है।
  • Green House Effect के कारण ही पृथ्वी पर पानी तीनों रूप में पाया जाता है। बर्फ पानी में परिवर्तित होता है और पानी वाष्प में परिवर्तित हो जाता है तथा वाष्प के कारण ही बारिश होती है जिससे जल चक्र भी संभव है।
  • ग्रीन हाउस के कारण ही पृथ्वी का तापमान नियंत्रित रहता है।

ग्रीन हाउस की हानियां

  • ग्रीन हाउस गैस में वृद्धि होने के कारण पृथ्वी के तापमान में भी वृद्धि हो रही है जो कई रूप में मनुष्य के लिए हानिकारक है।
  • लगातार तापमान के बढ़ने से हर जीव जंतु को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जैसे बरसात का कम होना, पृथ्वी पर पानी की कमी होना, सूखा पड़ना, रेगिस्तान में बाढ़ आना आदि।
  • ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण ही ग्लेशियर की बर्फ पिघलती जा रही है।
  • अगर इसी प्रकार पृथ्वी पर ग्रीन हाउस गैस का प्रभाव बढ़ता रहा तो समुंद्र में जल का स्तर कम हो जाएगा और पानी की भारी मात्रा में कमी होने लगेगी और गरम हवाएं भी चलने लगेंगी।

ये भी पढ़ें: Corn Flour in Hindi, कॉर्नफ्लोर और मक्का के आटे में क्या अंतर है?

तो दोस्तों ये था हमारा आर्टिकल Green House Effect in Hindi. यदि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करें और यदि इस जानकारी में कोई त्रुटि हो तो कृपया हमें कमेंट अवश्य करें।

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