Black Fungus क्या है? जानिए क्या हैं ब्लैक फंगस के लक्षण और क्यों हो रहीं हैं मौत
देश कोरोना संकट से तो जूझ ही रहा है इस बीच ब्लैक फंगस ने भी दस्तक दे दी है. कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों में Black Fungus के मामले दिखाई दे रहें हैं और इससे लोंगों की जानें तक जा रहीं हैं देश में बीते एक महीने में पांच हजार से ज्यादा मामलों की पहचान की गई है जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों से इसे महामारी रोग अधिनियम-1897 के तहत नोटिफाइड करने को कहा है।
वहीं पंजाब, हरियाणा, राजस्थान सहित कई राज्यों ने इसे महामारी रोग अधिनियम-1897 के तहत नोटिफाइड बीमारी घोषित कर भी दिया है। आइये जानते हैं कि आखिर ये ब्लैक फंगस क्या है और कैसे लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं?
क्या है ब्लैक फंगस?
ब्लैक फंगस का मेडिकल नाम “म्यूकॉरमायकोसिस” है। ये एक खतरनाक फंगल संक्रमण है जो वातावरण या मिट्टी में मौजूद म्यूकॉर्मिसेट्स नाम के सूक्ष्मजीवों की चपेट में आने से होता है। इन सूक्ष्मजीवों के सांस के द्वारा अंदर लेने या स्किन कॉन्टैक्ट में आने की आशंका होती है। ब्लैक फंगस ज्यादातर फेफड़े, साइनस, त्वचा और दिमाग पर हमला करता है।
Black Fungus के लक्षण
- नाक से खून आना या काला पदार्थ निकलना
- नाक बंद होना, सिर दर्द होना
- आंखों में जलन और दर्द होना, आंखों के आसपास सूजन होना। डबल विजन, आंखों का लाल होना, आंखें बंद करने में परेशानी होना, आंखें खोलने में दिक्कत होना
- दांतों में दर्द होना, या फिर चबाने में दिक्कत होना
- उल्टी और खांसने में खून आना
Black Fungus के लक्षण दिखाई देने पर क्या करें
ऊपर दिए गए लक्षण में से कोई लक्षण दिखाई देने पर तुरंत किसी नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
- नियमित इलाज कराएं और फॉलोअप लें।
- डायबिटीज के मरीज हैं तो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने की कोशिस करें और उसकी मॉनिटरिंग करें।
- कोई अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं तो समय – समय पर दवा लें और लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहें।
- स्टेरॉयड की कोई भी दवा खुद से न लें। ऐसा करना भारी पड़ सकता है।
ब्लैक फंगस संक्रमण के कारण
ब्लैक फंगस संक्रमण के लिए तीन कारणों को जिम्मेदार माना जा रहा है, जिसमें
- मधुमेह का संक्रमण
- स्टेराइड का अधिक इस्तेमाल और
- आक्सीजन आपूर्ति में हाइजीन की कमी शामिल है।
ब्लैक फंगस का संक्रमण तब होता है, जब इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और मधुमेह के रोगियों में यह तब कमजोर होता है जब उन्हें ज्यादा स्टेराइड दिया जाता है तो शुगर की मात्रा और भी बढ़ जाती है और इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। इसलिए स्टेडराइड का इस्तेमाल सीमित करना चाहिए और इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की अनुमति जरुर लेनी चाहिए।
इसके अलावा जो कोरोना मरीज ऑक्सीजन पर हैं, उन्हें आक्सीजन आपूर्ति के दौरान हाइजीन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ये संक्रामक बीमारी नहीं है लेकिन इस्तेमाल किए जा रहे उपकरणों को डिसइंफेक्ट करने से फंगल संक्रमण के प्रसार को रोका जा सकता है।
कोरोना के मरीज की ब्लैक फंगस से क्यों जा रही है जान?
सामान्यता हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम ब्लैक फंगस के संक्रमण से लड़ने में सक्षम होता है लेकिन कोरोना वायरस इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है और कोरोना संक्रमण में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयां भी इम्यून सिस्टम पर असर डालती हैं जिसके बाद कोरोना वायरस के मरीज का इम्यून सिस्टम इस वायरस से लड़ने में सक्षम नहीं रहता जिसके कारण इस वायरस से लोगों की जाने जा रही हैं.