गुरुग्राम, 25 मार्च। कश्मीर के रहने वाले एक माता-पिता ने अपनी बेटी की जान बचाने के लिए खुद की किडनी व लीवर दान करके (Parents Donates Kidney and Liver) उम्र के इस पड़ाव पर भी फिर से माता-पिता होने का फर्ज निभाया है। डॉक्टरों के लिए यह बड़ी चुनौती थी। शरीर में दोनों अंगों का एक साथ प्रत्यारोपण और बुजुर्गों से अंग लेना बहुत मुश्किल काम था।
Parents Donates Kidney and Liver
आम तौर पर एक अंग प्रत्यारोपण की बजाय दो अंग प्रत्यारोपण काफी कठिन काम है। इसमें रोगियों की मृत्यु दर भी काफी ज्यादा है लेकिन फिर भी गुरुग्राम में दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी से पीडि़त महिला के दोनों अंग एक साथ प्रत्यारोपित किए गए।
कश्मीर के सोपोर में रहने वाली ये 37 वर्षीय महिला मरीज़ को हमेशा सिर दर्द और उल्टी की शिकायत होती थी। पहले तो यह पता लगाना मुश्किल था कि बिमारी क्या है लेकिन जांच के बाद सामने आया कि महिला आनुवांशिक गंभीर बीमारी से पीडि़त है। जन्म के समय से ही महिला दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी हाइपरॉक्सालुरिया (Hyperoxalgia) से ग्रस्त थी।
आर्टेमिस अस्पताल में हुआ आपरेशन
महिला मरीज़ के मां-बाप ने कहा कि वे अपनी बेटी को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। बेटी की जान बचाना ही उनके जीवन का लक्ष्य था। माता पिता अपनी बेटी को उनकी आंखों के सामने इस बीमारी से जूझते नहीं देख सकते थे। इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी (महिला मरीज के माता-पिता) के साथ किडनी और लीवर बेटी को दान करने का फैसला लिया और आर्टेमिस अस्पताल में 16 घंटे का चुनौतीपूर्ण आपरेशन करके महिला की किडनी व लीवर (Parents Donates Kidney and Liver) दोनों का ट्रांसप्लांट किया।
गुरूग्राम के आर्टेमिस अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के सीनियर कंसल्टेंट डा. वरुण मित्तल व चीफ लीवर ट्रांसप्लांट डा. गिरिराज बोरा के अनुसार इस बीमारी में लीवर, आवश्यकता से ज्यादा मात्रा में ऑक्सालेट्यू (Oxalate U) नामक एक प्राकृतिक रसायन का उत्पादन करता है जो एक एंजाइम दोष की वजह बनता है। इस बीमारी में लीवर व किडनी सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं।
अतिरिक्त ऑक्सालेट कैल्शियम के साथ मिलकर किडनी में पथरी और क्रिस्टल बनाता है, जो उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। किडनी काम करना बंद कर सकती है। महिला रोगी कई वर्षों तक अपनी बिमारी से अनजान रही।
डॉक्टरों के मुताबिक लिवर-किडनी ट्रांसप्लांट में मरीज की मृत्यु दर बहुत अधिक होती है। संयुक्त लीवर-किडनी प्रत्यारोपण, मेडिकल क्षेत्र में सबसे कठिन सर्जरी प्रक्रियाओं में से एक है। मरीज, डोनर और डॉक्टरों की पूरी टीम के अथक प्रयासों से इस जटिल कार्य में सफलता मिली।