Matt Gilkes को बचाने वाला तीसरा अंपायर: क्या ये फैसला सही था?

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नई दिल्ली, क्रिकेट एक ऐसा खेल है, जिसमें कभी-कभी फैसले बेहद पेचीदा हो जाते हैं। एक ऐसा ही मामला हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में देखने को मिला, जब तेज गेंदबाज पीटर सिडल को लगा कि उन्होंने थंडर के बल्लेबाज Matt Gilkes को आउट कर दिया है। यह घटना बुधवार रात के मैच के चौथे ओवर में घटी, जब टॉम कुरेन ने कवर पर एक शानदार कैच लपका। लेकिन क्या यह कैच सच में आउट था? इस फैसले को लेकर क्रिकेट जगत में काफी चर्चा हुई।

क्या हुआ था मैदान पर?

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चौथे ओवर में, सिडल ने Matt Gilkes की गेंद को बाउंसर फेंका और इस पर Matt Gilkes ने कट शॉट खेला। टॉम कुरेन ने बेहतरीन तरीके से कैच लपक लिया। इस दौरान, अंपायर ने सॉफ्ट सिग्नल के रूप में आउट का निर्णय दिया। हालांकि, Matt Gilkes अपने आउट होने पर अडिग रहे, और उन्होंने इस फैसले के खिलाफ अपील की। इसके बाद अंपायर ने इस मामले को तीसरे अंपायर के पास भेज दिया।

तीसरे अंपायर ने क्या कहा?

इस फैसले को लेकर तीन स्लो-मोशन रिप्ले और कई मिनटों की समीक्षा की गई। तीसरे अंपायर माइक ग्राहम-स्मिथ ने अंततः ऑन-फील्ड निर्णय को पलट दिया और Matt Gilkes को बख्श दिया। इस दौरान, क्रिकेट विशेषज्ञों ने इस फैसले पर अपने विचार साझा किए। महान विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट ने कहा कि इस फैसले में कई बार ऐसे मुद्दे सामने आते हैं, जहां खिलाड़ियों की उंगलियां घास के नीचे छुपी होती हैं और इन्हें सही से देखना मुश्किल होता है।

खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया

इसके बाद, सिक्सर्स के बल्लेबाज हिल्टन कार्टराइट ने फॉक्स क्रिकेट के साथ इस फैसले पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह फैसला बहुत कठिन था, क्योंकि बल्लेबाज की उंगलियों का सही स्थिति देखना संभव नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक उंगलियों का स्पष्ट संकेत नहीं मिलता, तब तक क्रिकेट में इस तरह के विवादों का होना स्वाभाविक है। कार्टराइट ने यह भी माना कि यदि वह इस स्थिति में बल्लेबाज होते तो शायद वह भी यही सोचते कि क्या गेंद के नीचे उंगलियां थीं या नहीं।

आखिरी फैसला और तकनीकी सहायता

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इस तरह के फैसले खेल में तकनीकी मदद की अहमियत को दर्शाते हैं। क्रिकेट में अब अधिक से अधिक तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि फैसले सही और निष्पक्ष हो सकें। हालाँकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि खिलाड़ी और अंपायर दोनों एक दूसरे के फैसलों का सम्मान करें और खेल की भावना को बनाए रखें। इस मामले में, तीसरे अंपायर ने अपने फैसले को सही ठहराया, लेकिन इससे यह स्पष्ट हुआ कि कभी-कभी क्रिकेट के फैसले काफी जटिल हो सकते हैं।

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