Soodhu Kavvum 2 Review: क्या यह फिल्म अपने पहले भाग को पछाड़ पाई?
Soodhu Kavvum 2 Review: नई दिल्ली, 2024 को सीक्वल और फ्रैंचाइज़ी फिल्मों का साल कहा जा सकता है। यदि कोई फिल्म सीक्वल नहीं है, तो वह अक्सर पहले भाग के वादे के साथ खत्म होती है, जिससे दर्शकों के मन में एक सवाल उठता है: क्या सीक्वल हमेशा पैसों की उम्मीदों के लिए होते हैं, या फिर इनका उद्देश्य कुछ अलग होता है? इसी सवाल का जवाब “सुधु कव्वुम 2” में मिलता है, जो एक सीक्वल होने के बावजूद अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह से नाकाम साबित होती है।
सीक्वल का जाल और इसकी निराशाजनक शुरुआत
सुधु कव्वुम 2, मूल रूप से एक राजनीतिक व्यंग्य फिल्म है, जो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री राधा रवि की कहानी से शुरू होती है। हालांकि, यह फिल्म पहले भाग की घटनाओं से जुड़े कुछ दृश्यों का इस्तेमाल करती है, जो दर्शकों को पुराने दिनों की याद दिलाती हैं। ये दृश्य फिल्म को एक तरह से दोनों दुनिया का मिश्रण बनाते हैं – एक ओर जहां वे पुराने दृश्य मनोरंजन प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी ओर ये फिल्म को पुराने पार्ट से तुलना करने के लिए मजबूर करते हैं। परिणामस्वरूप, दर्शकों को यह एहसास होता है कि पिछली फिल्म कहीं बेहतर थी।
सीक्वल और प्रीक्वल का मिश्रण
“सुधु कव्वुम 2” एक समय में एक प्रीक्वल, स्टैंडअलोन फिल्म और सीक्वल के रूप में काम करती है। यही बात इसे और भी भ्रामक बनाती है। फिल्म में गुरु (शिव) का किरदार अपनी समस्याओं का हल निकालने के लिए अपने पुराने अपराधियों से अलग होता है और पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करता है। लेकिन इस बार गुरु को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वे बिल्कुल वैसी ही हैं जो दास को पहले भाग में थीं। फिल्म की इस संरचना से यह सवाल उठता है कि यह सीक्वल क्यों है, जबकि यह मूल फिल्म का ही रीमेक लगती है।
अपर्याप्त किरदार और लापरवाह स्क्रिप्ट
फिल्म का सबसे बड़ा दोष इसके मुख्य किरदारों की दिशाहीन हरकतें हैं। जिन किरदारों को हम पहले भाग में देख चुके थे, वही अब इस फिल्म में भी बिना किसी सही दिशा के आगे बढ़ते हैं। फिल्म में कई बेतरतीब घटनाएं दिखती हैं, जो कहानी में कोई स्पष्टता नहीं लातीं। हर एक दृश्य पर आधारित सीन का कोई खास उद्देश्य नहीं होता, और यह फिल्म के सस्पेंस को खत्म कर देता है। जबकि इस फिल्म में कुछ हंसी के पल हैं, फिर भी यह पर्याप्त नहीं है और दर्शकों को जोड़ने में नाकाम रहती है।
मूल फिल्म के जैसे संगीत और दृश्य
इस फिल्म में संगीत और बैकग्राउंड स्कोर भी मूल फिल्म से बहुत मिलते-जुलते हैं। इससे यह सवाल उठता है कि जब फिल्म में कुछ नया दिखाने का प्रयास नहीं किया गया, तो इसे सीक्वल क्यों कहा जाए? संगीतकार एडविन लुइस विश्वनाथ ने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन चूंकि फिल्म मूल से इतनी प्रेरित है, इसलिए इसका असर ज्यादा नहीं पड़ता।
सीक्वल की जरूरत और अंत
सुधु कव्वुम 2 यह बताने का एक अच्छा उदाहरण है कि क्यों कुछ सीक्वल असफल हो जाते हैं। कभी-कभी यह अच्छा होता है कि एक अच्छी फिल्म को फिर से रिलीज़ किया जाए, लेकिन यह फिल्म यह साबित करती है कि यदि सीक्वल में कुछ नया और बेहतर नहीं होता, तो उसकी सफलता केवल पुराने शेड्स पर निर्भर रहती है।