गानों के बिना Satya नहीं होती इतनी हिट! जानिए कैसे भरे गए फिल्म में गाने!

0

नई दिल्ली, राम गोपाल वर्मा की 1998 की फिल्म Satya को आज भी लोग याद करते हैं, खासकर फिल्म के मुख्य किरदार भीकू म्हात्रे के कारण। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की एक मील का पत्थर साबित हुई थी और इसने मनोज बाजपेयी के करियर को एक नई दिशा दी थी। 17 जनवरी को जब यह फिल्म फिर से रिलीज हुई, तो फिल्म के निर्माता और अभिनेता दोनों ही पुराने दिनों को याद करते हुए अपनी यात्रा साझा कर रहे हैं।

मनोज बाजपेयी का संघर्ष: कैसे Satya ने बदला सब कुछ

Sponsored Ad

मनोज बाजपेयी के लिए Satya एक सपना सच होने जैसा था। वह बताते हैं कि इस फिल्म से पहले उन्होंने कई छोटी भूमिकाएं की थीं, लेकिन यह फिल्म उनके लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुई। बाजपेयी ने कहा कि राम गोपाल वर्मा के साथ काम करने की उनकी इच्छा ही उन्हें Satya के किरदार तक ले आई। उनका कहना था, “रामू से मिलने के बाद मुझे महसूस हुआ कि वह मुझसे कुछ खास करवाना चाहते हैं।”

राम गोपाल वर्मा और ‘भीकू म्हात्रे’: एक आदर्श किरदार का निर्माण

राम गोपाल वर्मा ने Satya के किरदारों को इस तरह से बनाया कि हर एक भूमिका दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ने में कामयाब रही। फिल्म के सबसे यादगार किरदारों में से एक भीकू म्हात्रे को मनोज बाजपेयी ने निभाया था, जो एक गैंगस्टर के रूप में फिल्म में दिखाई दिए। राम गोपाल वर्मा ने स्वीकार किया कि इस किरदार के लिए मनोज बाजपेयी सबसे उपयुक्त थे, क्योंकि उनका अभिनय और उनकी शख्सियत ही इसे जीवंत बना सकती थी।

सेट पर मनोज बाजपेयी की असुरक्षा और जेडी चक्रवर्ती से जलन

Sponsored Ad

Sponsored Ad

मनोज बाजपेयी ने खुलासा किया कि फिल्म के सेट पर उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती जेडी चक्रवर्ती से जलन थी, क्योंकि वह फिल्म के मुख्य किरदार थे। बाजपेयी ने बताया, “मुझे डर था कि पोस्टर पर सिर्फ़ उनकी ही तस्वीर होगी और मैं बस सीन पर निर्भर था।” वह हर दिन निर्देशक अनुराग कश्यप से पूछते थे कि उनका सीन होगा या नहीं, क्योंकि उन्हें डर था कि उनकी मेहनत कहीं नजर न आए।

उर्मिला मातोंडकर और Satya: ग्लैमर से ज्यादा कुछ और

gadget uncle desktop ad

उर्मिला मातोंडकर, जो Satya में जेडी चक्रवर्ती की प्रेमिका का किरदार निभा रही थीं, को शुरुआत में ग्लैमरस रूप में लिया गया था। हालांकि, फिल्म में उनके किरदार ने साबित कर दिया कि वे केवल एक ग्लैमरस चेहरा नहीं हैं। उर्मिला ने अपनी भूमिका को लेकर कहा, “मैं जानती थी कि इस फिल्म से मुझे अपनी इमेज को बदलने का मौका मिलेगा, और यही कारण था कि मैंने पूरी मेहनत की।”

Satya का संगीत: फिल्म में गानों का महत्व

शुरुआत में, Satya में कोई गाना नहीं था, लेकिन फिल्म के फाइनेंसर भरत शाह ने जोर दिया कि संगीत फिल्म की सफलता के लिए जरूरी है। इसके बाद फिल्म में गाने जोड़े गए और ये गाने जैसे ‘कल्लू मामा’ और ‘सपने में मिलती है’ आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। राम गोपाल वर्मा बताते हैं कि अगर यह गाने न होते, तो शायद फिल्म उतनी सफल न होती।

Satya का प्रभाव और फिल्म इंडस्ट्री पर असर

Satya ने न सिर्फ़ मनोज बाजपेयी को स्टार बना दिया, बल्कि इसने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी। यह फिल्म अब भी अपराध ड्रामा के सबसे बेहतरीन उदाहरणों में से एक मानी जाती है। इसके बाद कई फिल्मों ने Satya की शैली को अपनाया और यही कारण है कि Satya आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा है।

Read More: Latest Entertainment News

Leave A Reply

Your email address will not be published.