Netaji Subhas Chandra Bose की रहस्यमयी मृत्यु का खुलासा! जानिए क्या था सच?

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नई दिल्ली, Netaji Subhas Chandra Bose भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे, जिनकी जयंती 23 जनवरी को “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाई जाती है। उनका जीवन साहस, संघर्ष और देशभक्ति से भरा हुआ था। उनका दिया हुआ “जय हिंद” का नारा आज भारत का राष्ट्रीय नारा बन चुका है, और “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” जैसे शब्दों ने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

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Netaji Subhas Chandra Bose का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। वे एक संपन्न बंगाली परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था और उनकी मां का नाम प्रभावती था। नेताजी के परिवार में कुल 14 संतानें थीं, जिनमें वे नौवीं संतान थे। Netaji Subhas Chandra Bose ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने कलकत्ता के प्रेजिडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की।

सिविल सर्विस छोड़कर कांग्रेस से जुड़ना

Netaji ने इंग्लैंड के केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था, लेकिन 1921 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की घटनाओं को देखकर उन्होंने सिविल सर्विस की नौकरी छोड़ दी और कांग्रेस से जुड़ गए। Netaji ने 1928 में कोलकाता में साइमन कमीशन के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया और भारतीय संविधान के निर्माण के लिए मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में एक आयोग का हिस्सा बने।

गांधीजी से मतभेद और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

Netaji का विचार था कि भारत की स्वतंत्रता के लिए युद्ध की आवश्यकता है, जबकि महात्मा गांधी अहिंसा के मार्ग पर चलने में विश्वास रखते थे। गांधीजी के साथ मतभेद होने के बावजूद, Netaji ने अपनी विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया। 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में Netaji ने पट्टाभि सीतारामैया को हराया, लेकिन गांधीजी ने उन्हें पद से हटाने का प्रयास किया। इसके बाद, Netaji ने 3 मई 1939 को “फॉरवर्ड ब्लॉक” नामक एक पार्टी की स्थापना की।

आज़ाद हिंद फौज और स्वतंत्रता संग्राम

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Netaji ने अपनी पूरी ताकत भारत को स्वतंत्र करने में लगाई। उन्होंने जर्मनी और जापान के सहयोग से आज़ाद हिंद फौज का गठन किया। 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष चंद्र बोस ने “आजाद हिंद सरकार” की स्थापना की, जिसे कई देशों ने मान्यता दी। उनकी सेना ने 1944 में बर्मा में ब्रिटिश सेना पर आक्रमण किया और अंग्रेजों के कब्जे वाले कुछ भारतीय प्रदेशों को मुक्त कराया। Netaji ने “दिल्ली चलो” का नारा दिया और भारतीयों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

Netaji की रहस्यमयी मृत्यु

Netaji की मृत्यु के संबंध में कई विवाद और रहस्य बने हुए हैं। 18 अगस्त 1945 के बाद उनके जीवन और मृत्यु के बारे में कई अनसुलझे सवाल उठे। हालांकि उनकी मृत्यु की सच्चाई आज तक एक रहस्य बनी हुई है, उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हमेशा याद किया जाएगा।

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