Mohini Mohan Datta: रतन टाटा के निधन के बाद बड़ा खुलासा – इस अनजान व्यक्ति को मिला 500 करोड़!
नई दिल्ली, भारत के महान उद्योगपति और समाजसेवी रतन टाटा के निधन के बाद उनकी वसीयत में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। उनकी अंतिम इच्छाओं में एक ऐसा नाम शामिल है, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। यह नाम है Mohini Mohan Datta, जिन्हें रतन टाटा की संपत्ति से 500 करोड़ रुपये मिलने वाले हैं। इस खबर ने व्यापार और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है।
कौन हैं Mohini Mohan Datta?
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Mohini Mohan Datta एक अनुभवी ट्रैवल एंटरप्रेन्योर हैं, जिनकी उम्र अब 80 साल हो चुकी है। वे जमशेदपुर के रहने वाले हैं और रतन टाटा से उनकी मुलाकात 1960 के दशक में हुई थी। उस वक्त रतन टाटा सिर्फ 24 साल के थे और अपने पारिवारिक व्यवसाय की बारीकियों को समझना शुरू कर रहे थे। यह मुलाकात उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और दोनों के बीच गहरी दोस्ती बन गई।
कैसे जुड़ा दत्ता का सफर टाटा समूह से?
Mohini Mohan Datta ने अपने करियर की शुरुआत ताज ग्रुप ऑफ होटल्स से की थी और बाद में उन्होंने स्टैलियन ट्रैवल एजेंसी की स्थापना की। उनकी यह कंपनी 2013 में ताज सर्विसेज के साथ विलय हो गई, जिससे उनका टाटा समूह से और गहरा नाता जुड़ गया। यही नहीं, टाटा कैपिटल और थॉमस कुक (इंडिया) से भी उनका सीधा संबंध रहा।
उनका नाम अब भी टीसी ट्रैवल सर्विसेज के निदेशक मंडल में है और वे टाटा कैपिटल सहित कई टाटा कंपनियों में हिस्सेदारी रखते हैं। दिलचस्प बात यह है कि टाटा कैपिटल जल्द ही सार्वजनिक लिस्टिंग की तैयारी कर रहा है, जिससे दत्ता को बड़ा लाभ हो सकता है।
रतन टाटा की वसीयत से परिवार और सहयोगी हैरान
रतन टाटा हमेशा से सादगी और परोपकार के लिए जाने जाते थे, लेकिन उनकी वसीयत में Mohini Mohan Datta को 500 करोड़ रुपये दिए जाने की खबर ने टाटा परिवार और उनके करीबी सहयोगियों को चौंका दिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस फैसले को लेकर टाटा परिवार में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि, यह साफ नहीं है कि यह धनराशि किसी विशेष उद्देश्य के लिए दी गई है या फिर यह केवल व्यक्तिगत संबंधों का प्रतीक है।
क्या था रतन टाटा और Mohini Mohan Datta का संबंध?
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि रतन टाटा और Mohini Mohan Datta के बीच इतनी गहरी मित्रता कैसे विकसित हुई कि उन्होंने अपनी वसीयत में उनका नाम शामिल किया। कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि रतन टाटा ने दत्ता के करियर को आकार देने में मदद की थी, जबकि कुछ लोग इसे एक भावनात्मक फैसले के रूप में देख रहे हैं।
रतन टाटा की वसीयत के इस हिस्से को लेकर बाजार और उद्योग जगत में चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि इससे यह भी संकेत मिलता है कि वे सिर्फ व्यापारिक रिश्तों से आगे बढ़कर व्यक्तिगत रिश्तों को भी अहमियत देते थे।