Income Tax Relief: वेतनभोगी वर्ग के लिए सरकार का क्या है प्लान?
Income Tax Relief: नई दिल्ली, केंद्रीय बजट 2025 की घोषणा 1 फरवरी को होने की उम्मीद है। देश के लोग इस बजट से बड़े बदलावों की उम्मीद कर रहे हैं, खासकर आयकर में राहत के क्षेत्र में। महंगाई और बढ़ती जीवन-यापन की लागत ने आम लोगों के घरेलू बजट पर बड़ा असर डाला है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार अगर आयकर दरों में कटौती करती है तो लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और बाजार में मांग को भी मजबूती मिलेगी।
वेतनभोगी वर्ग के लिए राहत की उम्मीद
वेतनभोगी वर्ग के लिए केंद्रीय बजट 2025 से कर राहत की सबसे ज्यादा अपेक्षा है। मुद्रास्फीति के बढ़ते प्रभाव और जीवन की बढ़ती लागत ने आयकर प्रणाली में बदलाव की मांग को और तेज कर दिया है। पिछली बार बजट में पुरानी कर व्यवस्था में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ था, लेकिन नई कर व्यवस्था को आकर्षक बनाने के लिए संशोधन किए गए थे।
हाल के बजट में क्या हुआ बदलाव?
2023 के बजट में मानक कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया गया। इसके अलावा, व्यक्तिगत करदाताओं को नई कर व्यवस्था के तहत पहली बार इस कटौती का लाभ दिया गया। यह कदम वेतनभोगी वर्ग के लिए एक बड़ी राहत थी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इसी तरह की और पहल की जाती है, तो लोगों की बचत और खर्च करने की क्षमता में सुधार होगा।
पिछली आयकर राहत की समीक्षा
2020-21 के केंद्रीय बजट में आयकर व्यवस्था में एक वैकल्पिक प्रणाली लाई गई थी। इसमें कम कर दरों की पेशकश की गई थी, लेकिन इसके लिए करदाताओं को कुछ कटौतियों और छूटों को छोड़ना पड़ा। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य मध्यम आय वर्ग को लाभ देना था। इसके अलावा, 2024 के वित्त अधिनियम में भी मूल कर-मुक्त आय सीमा को बढ़ाया गया और कर की दरों में कमी की गई।
वैश्विक तुलना में भारत की कर प्रणाली
भारत की वर्तमान शीर्ष आयकर दर 39% है, जो कि वैश्विक मानकों के करीब है। अमेरिका, यूके, जर्मनी और जापान जैसे देशों में यह दर 37% से 45% तक है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार कर दरों को और तर्कसंगत बनाती है, तो इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
क्या बजट 2025 करदाताओं को राहत देगा?
केंद्रीय बजट 2025 से करदाताओं को बड़ी उम्मीदें हैं। आयकर दरों में संभावित कटौती और मानक कटौती में वृद्धि जैसे कदम वेतनभोगी वर्ग के लिए राहत ला सकते हैं। अगर सरकार इस दिशा में कदम उठाती है, तो यह न केवल लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाएगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।