नई दिल्ली, मराठा साम्राज्य के इतिहास में Maharani Yesubai Bhonsale का नाम अद्वितीय स्थान रखता है। उनकी कहानी साहस, समर्पण और नेतृत्व की मिसाल है। वे सिर्फ एक रानी नहीं थीं, बल्कि मराठा स्वराज्य की संरक्षक, योद्धा और प्रशासन की नायिका थीं। आइए, उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को करीब से जानें।
Maharani Yesubai: कौन थीं वे?
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Maharani Yesubai छत्रपति संभाजी महाराज की पत्नी और मराठा साम्राज्य की दूसरी आधिकारिक रूप से राज्याभिषेकित महारानी थीं। उनका नाम मराठा इतिहास में साहस और नेतृत्व की प्रतीक के रूप में लिया जाता है। Maharani Yesubai को न केवल रानी के रूप में जाना गया, बल्कि उन्होंने स्वराज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक निर्णयों में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
सत्ता में साझेदारी और स्वतंत्रता
संभाजी महाराज ने Maharani Yesubai को स्वराज्य के सभी राजनीतिक निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी थी। जब संभाजी युद्ध के लिए राजधानी से बाहर होते थे, तो येसूबाई ही स्वराज्य के प्रशासन और निर्णयों की जिम्मेदारी संभालती थीं। उन्हें “कुलमुख्तियार” की उपाधि दी गई थी, जो उनके अधिकारों का प्रतीक थी।
स्वराज्य की रक्षा में उनका योगदान
संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद, Maharani Yesubai ने स्वराज्य की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने रायगढ़ किले को मुगलों से बचाने के लिए करीब 7-8 महीने तक संघर्ष किया। हालांकि, हालात के चलते उन्हें किला सौंपना पड़ा, लेकिन उन्होंने सुनिश्चित किया कि शाही परिवार की सुरक्षा पर कोई आंच न आए।
मुगलों की कैद में 29 साल
संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद, Maharani Yesubai और उनके बेटे छत्रपति शाहू महाराज को मुगलों ने बंदी बना लिया। Maharani Yesubai ने 29 साल तक कठिन परिस्थितियों में मुगलों की कैद में समय बिताया। इनमें से 17 साल महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में और 12 साल दिल्ली के लाल किले में गुजरे। इस दौरान भी उन्होंने मराठा साम्राज्य के लिए अपनी निष्ठा बनाए रखी।
रिहाई और मराठा साम्राज्य की पुनर्स्थापना
1719 में, मराठा साम्राज्य जब छत्रपति शाहू महाराज और पेशवा बालाजी विश्वनाथ के नेतृत्व में पुनः मजबूत हुआ, तब Maharani Yesubai को रिहा किया गया। उनकी रिहाई मराठा साम्राज्य के राजनीतिक कौशल और कूटनीति का नतीजा थी।
Maharani Yesubai: मराठा इतिहास की प्रेरणास्त्रोत
Maharani Yesubai का जीवन संघर्ष और नेतृत्व का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने एक मां, पत्नी और एक शासक के रूप में अपनी भूमिकाओं को बखूबी निभाया। मराठा इतिहास में उनका योगदान हमेशा अमूल्य रहेगा। उनका जीवन यह सिखाता है कि साहस और समर्पण से किसी भी परिस्थिति का सामना किया जा सकता है।