Gukesh ने हराया डिंग लिरेन को, बने शतरंज के सबसे युवा चैंपियन!
नई दिल्ली, शतरंज की दुनिया में अब एक नया सितारा चमक रहा है, और वह है 18 वर्षीय भारतीय शतरंज खिलाड़ी डोमराजू Gukesh। Gukesh ने अपनी मेहनत और संकल्प के बल पर दुनिया का सबसे युवा शतरंज चैंपियन बनने का इतिहास रच दिया है। तीन सप्ताह तक चले विश्व चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में उन्होंने चीनी ग्रैंडमास्टर डिंग लिरेन को हराया, और इस कठिन मुकाबले में अपनी मानसिक और शारीरिक ताकत को साबित किया।
Gukesh का जुनून और संघर्ष
Gukesh का शतरंज के प्रति जुनून बचपन से ही देखा गया था। जब वह केवल 11 साल के थे, तब उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनका सपना दुनिया का सबसे युवा शतरंज चैंपियन बनना है। आज, सात साल बाद, गुकेश ने अपना यह सपना पूरा किया और इतिहास में नाम दर्ज करवा लिया। उनका यह सफर सरल नहीं था, बल्कि इसमें कई संघर्ष और चुनौतियाँ शामिल थीं। गुकेश ने पूरी मेहनत और संघर्ष के साथ शतरंज की बिसात पर खुद को साबित किया।
शतरंज में गुकेश की असाधारण क्षमता
Gukesh की शतरंज के प्रति गहरी समझ और खेल को लेकर उनका दृष्टिकोण वाकई अद्भुत है। वह अपनी युवा उम्र में भी शतरंज को अत्यंत गंभीरता से लेते हैं। उनके कोच ग्रैंडमास्टर विष्णु प्रसन्ना ने भी इस बात का जिक्र किया कि बचपन से ही गुकेश का शतरंज के प्रति लगाव और संकल्प अन्य बच्चों से कहीं अधिक था। गुकेश ने कभी भी अपने लक्ष्य से समझौता नहीं किया। उन्हें हमेशा अपना लक्ष्य साफ़ और स्पष्ट दिखाई देता था – विश्व चैंपियन बनना।
विश्व चैंपियनशिप में उनका प्रदर्शन
सिंगापुर में हुई शतरंज विश्व चैंपियनशिप में गुकेश ने जिस तरह से मानसिक और शारीरिक मजबूती दिखाई, वह काबिले तारीफ था। पहले गेम में वह हार गए थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने हार मानने का नाम नहीं लिया। उनके कोच ने कहा था कि गुकेश का दिमाग किसी चिप की तरह काम करता है। वह हर कदम सोच-समझकर और जोखिम उठाते हुए खेलते हैं। उनकी मानसिकता हमेशा सकारात्मक रहती है और यही बात उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाती है।
गुकेश की यात्रा और भविष्य की उम्मीदें
Gukesh ने कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड्स अपने नाम किए हैं। वह भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर हैं और वह कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के सबसे युवा विजेता भी बने हैं। इसके अलावा, वह विश्वनाथन आनंद के रिकॉर्ड को तोड़कर भारत के नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी बने। उनके कोच ने भी भविष्यवाणी की है कि अगर गुकेश ऐसे ही लगातार मेहनत करते रहे, तो वह आने वाले वर्षों में शतरंज की दुनिया में और भी बड़े मुकाम हासिल करेंगे।
Gukesh का शतरंज के प्रति प्यार और उनका समर्पण अन्य खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उनका यह सफर केवल एक शुरुआत है, और आने वाले समय में वह और भी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल करेंगे।