FSSAI: भारतीय मसालों में ज़हर? जांच में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई!
नई दिल्ली, अप्रैल 2024 में हांगकांग के स्वास्थ्य अधिकारियों ने भारतीय मसालों में कैंसरकारी रसायन एथिलीन ऑक्साइड की मौजूदगी का पता लगाया। इसके बाद भारतीय मसाला मिश्रणों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से वापस मंगाया गया और भारत के मसाला निर्यात पर सवाल उठने लगे। यह मुद्दा न केवल उपभोक्ताओं की सेहत से जुड़ा था, बल्कि इससे भारत की वैश्विक साख पर भी असर पड़ा।
FSSAI की जांच और चौंकाने वाले खुलासे
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मसालों की गुणवत्ता पर उठे सवालों के बाद, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने देशभर में मसालों की गुणवत्ता जांचने का निर्णय लिया। मई 2024 से जुलाई 2024 के बीच 4,054 मसालों के सैंपल लिए गए और इनकी गहन जांच की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, 12% से अधिक मसाले भारतीय खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे। यह निष्कर्ष चौंकाने वाला था, क्योंकि भारतीय मसाले न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बेहद लोकप्रिय हैं।
सरकार और FSSAI की कड़ी कार्रवाई
FSSAI ने खाद्य सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर कड़ी निगरानी रखने का फैसला किया है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि खाद्य उत्पादों में मिलावट और खराब गुणवत्ता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
FSSAI ने मसाला निर्माताओं को कड़े दिशानिर्देश जारी किए हैं और गुणवत्ता परीक्षण को और सख्त बनाने की योजना बनाई है। इससे भारतीय मसालों की गुणवत्ता में सुधार होगा और उपभोक्ताओं को सुरक्षित उत्पाद मिलेंगे।
मसाला उद्योग में बढ़ी चिंता
FSSAI की इस कड़ी कार्रवाई से मसाला उद्योग में हलचल मच गई है। कई बड़े ब्रांड अब अपनी उत्पादन प्रक्रिया की समीक्षा कर रहे हैं ताकि भविष्य में किसी भी समस्या से बचा जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन नए नियमों से उपभोक्ता भारतीय मसालों पर फिर से भरोसा कर सकेंगे। हालांकि, कड़े नियमों के कारण कई छोटे मसाला उत्पादकों के लिए व्यवसाय चलाना मुश्किल हो सकता है।
भारतीय मसालों की वैश्विक साख पर असर
भारत दुनिया में मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक है, लेकिन इस हालिया विवाद के कारण कई देशों ने भारतीय मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। ऐसे में, अगर सरकार और निर्माता मिलकर गुणवत्ता सुधारते हैं, तो भारत की मसाला इंडस्ट्री को लंबे समय में फायदा होगा।
उपभोक्ताओं के लिए राहत
नए नियमों और सख्त जांच के कारण भारतीय उपभोक्ताओं को सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले मसाले मिलेंगे। सरकार का यह कदम भारत की खाद्य सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाएगा।