पुरानी और नई पीढ़ी की सोच का टकराव – The Mehta Boys में देखें अनोखा ड्रामा!

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नई दिल्ली, बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता बोमन ईरानी अब निर्देशन की दुनिया में कदम रख चुके हैं। उनकी पहली फिल्म The Mehta Boys एक दिल छू लेने वाली पिता-पुत्र की कहानी है, जो रिश्तों में आई दूरियों, पुराने जख्मों और नई समझ को खूबसूरती से बयां करती है। यह फिल्म न केवल भावनात्मक रूप से जुड़ने वाली है बल्कि दर्शकों को सोचने पर भी मजबूर कर देती है।

भावनाओं से भरी एक सरल कहानी

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फिल्म की कहानी शिव मेहता (बोमन ईरानी) और उनके बेटे अमय मेहता (अविनाश तिवारी) के इर्द-गिर्द घूमती है। शिव, जो नवसारी (गुजरात) के एक 71 वर्षीय विधुर हैं, अपनी पत्नी के निधन के बाद अकेले रह गए हैं। उनकी बेटी अनु (पूजा सरूप) उन्हें अमेरिका ले जाना चाहती है, लेकिन अपने घर, यादों और बीते समय को छोड़ना उनके लिए आसान नहीं है।

दूसरी तरफ, अमय एक युवा आर्किटेक्ट है, जो मुंबई में अपने करियर को संवारने में लगा हुआ है। पिता और पुत्र के बीच दूरियां बढ़ चुकी हैं, वे एक-दूसरे को समझ नहीं पाते। लेकिन हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि शिव को कुछ दिन मुंबई में अपने बेटे के साथ गुजारने पड़ते हैं। बस यही कुछ दिन उनकी टूटी हुई भावनाओं को जोड़ने का काम करते हैं।

पिता-पुत्र के रिश्ते में आई दूरियां

शिव मेहता, जो एक समय पर टाइपराइटिंग स्कूल चलाते थे और क्रिकेट अंपायरिंग करते थे, अब अपने बेटे की ज़िंदगी में एक बाहरी व्यक्ति बन चुके हैं। अमय अपने पिता से दूरी बनाए रखना चाहता है और उनके विचारों से सहमत नहीं है।

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फिल्म के सबसे गहरे क्षणों में से एक तब आता है जब शिव अपने बेटे के घर पहुंचते हैं और वहां उनकी दिवंगत पत्नी की एक तस्वीर देखते हैं, जिसमें वे केंद्र में हैं लेकिन शिव नहीं हैं। यह सीन उनके रिश्ते में आई खटास को दर्शाने के लिए काफी है।

आधुनिकता बनाम परंपरागत सोच

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फिल्म का एक और महत्वपूर्ण पहलू है पुरानी और नई पीढ़ी की सोच का टकराव। शिव का मानना है कि सबसे बड़े विचार तब जन्म लेते हैं जब इंसान कागज और कलम का इस्तेमाल करता है। लेकिन अमय एक आर्किटेक्ट होने के नाते तकनीक पर निर्भर है। जब बिजली चली जाती है और उसका कंप्यूटर बंद हो जाता है, तो वह खुद को असहाय महसूस करता है, जबकि उसके पिता इसे एक अवसर के रूप में देखते हैं।

The Mehta Boys फिल्म दर्शाती है कि किस तरह दो पीढ़ियों के बीच सोचने और काम करने के तरीके अलग होते हैं, लेकिन जब दिलों के बीच की दूरियां मिट जाती हैं, तो यही फर्क समझदारी में बदल जाता है।

क्या शिव और अमय के रिश्ते में बदलाव आएगा?

फिल्म के अंत तक आते-आते, शिव और अमय दोनों को एहसास होता है कि जो बीत गया उसे बदला नहीं जा सकता, लेकिन जो बाकी है उसे बेहतर बनाया जा सकता है। अमय की ज़िंदगी में एक बड़ा बदलाव आता है और वह अपने पिता के महत्व को समझने लगता है।

बोमन ईरानी ने न सिर्फ इस फिल्म का निर्देशन किया है बल्कि इसमें शानदार अभिनय भी किया है। वहीं, अविनाश तिवारी और श्रेया चौधरी ने भी अपने किरदारों को जीवंत बना दिया है।

देखने लायक फिल्म!

The Mehta Boys सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक गहरी, भावनात्मक यात्रा है। अगर आप पारिवारिक कहानियों और रिश्तों की जटिलताओं को पसंद करते हैं, तो यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

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