Chhaava Movie Reviews: ‘छावा’ का क्लाइमेक्स इतना डरावना कि दर्शकों के उड़ गए होश!

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Chhaava Movie Reviews: नई दिल्ली, इस हफ्ते बॉक्स ऑफिस पर दो बड़ी फिल्मों की टक्कर देखने को मिली—भारतीय ऐतिहासिक फिल्म छावा और हॉलीवुड सुपरहीरो फिल्म कैप्टन अमेरिका: ब्रेव न्यू वर्ल्ड। दिलचस्प बात यह रही कि दोनों फिल्मों के प्रेस शो एक ही समय पर रखे गए, जिससे यह साफ हो गया कि यह सिर्फ रिलीज़ की जंग नहीं, बल्कि अहं की भी टकराव था। इस विवाद के पीछे जियो स्टूडियोज और डिज्नी इंडिया के बीच नया गठबंधन भी एक वजह हो सकता है, क्योंकि हाल ही में डिज्नी प्लस हॉटस्टार और जियो सिनेमा मिलकर जियो हॉटस्टार बने हैं।

संभाजी महाराज की वीर गाथा पर बनी फिल्म

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मराठा योद्धा संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित यह फिल्म महाराष्ट्र के दर्शकों में खासा उत्साह पैदा कर रही है। संभाजी, छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र थे, जिनका जीवन संघर्षों और युद्धों से भरा था। फिल्म मुख्य रूप से 1680 से 1689 तक के उनके जीवन को दर्शाती है, जिसमें औरंगजेब के खिलाफ उनका संघर्ष दिखाया गया है।

हालांकि, यह एक ऐतिहासिक फिल्म है, लेकिन इसे रोमांटिक मूड में देखने न जाएं। कई दर्शकों के लिए यह फिल्म भावनात्मक रूप से झकझोर देने वाली साबित हुई।

फिल्म की कहानी और ऐतिहासिक सच्चाई

फिल्म की कहानी शिवाजी सावंत के मशहूर उपन्यास छावा पर आधारित है। शिवाजी सावंत ने इससे पहले मृत्युंजय और युगंधर जैसे ऐतिहासिक उपन्यास भी लिखे हैं, जिनमें तथ्य और कल्पना का बेहतरीन मिश्रण देखा गया था।

छावा में संभाजी को एक निडर और आक्रामक योद्धा के रूप में दिखाया गया है। फिल्म में कई जगहों पर ऐतिहासिक तथ्यों के साथ कल्पना का मिश्रण किया गया है, जिससे कुछ दृश्यों की प्रामाणिकता पर सवाल उठ सकता है।

वीभत्स क्लाइमेक्स और गद्दारी की कहानी

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फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत ही हिंसक और वीभत्स है, जिसे देखकर कमजोर दिल वाले दर्शकों को परेशानी हो सकती है। इसमें दिखाया गया है कि किस तरह औरंगजेब की सेना संभाजी को यातनाएं देकर मारती है। औरंगजेब की बेटी को भी एक निर्दयी किरदार के रूप में पेश किया गया है, जो संभाजी को तड़पाने में आनंद महसूस करती है।

फिल्म यह भी दिखाती है कि संभाजी के खिलाफ उनके ही अपनों ने गद्दारी की थी। उनकी पत्नी येसूबाई के भाई और मराठा साम्राज्य के कुछ सूबेदारों ने औरंगजेब का साथ दिया। यहां तक कि शिवाजी की दूसरी पत्नी सोयराबाई भी संभाजी के खिलाफ थीं और उन्होंने औरंगजेब को चिट्ठी तक लिखी थी।

विक्की कौशल की दमदार एक्टिंग, लेकिन कहानी में कमी

विक्की कौशल ने संभाजी महाराज के किरदार को पूरे जुनून के साथ निभाया है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, हावभाव और संवाद अदायगी दमदार है। यह फिल्म उनके बेहतरीन अभिनय के लिए जानी जाएगी, जैसे सरदार उधम और सैम बहादुर में हुआ था।

रश्मिका मंदाना ने येसूबाई का किरदार निभाया है, लेकिन उनका रोल बहुत सीमित रखा गया है। इसके मुकाबले दिव्या दत्ता का किरदार ज्यादा प्रभावी रहा। उन्होंने सोयराबाई की भूमिका निभाई है और हर सीन में अपनी छाप छोड़ी है।

फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी: बैकग्राउंड म्यूजिक और तकनीकी पक्ष

फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक बेहद कमजोर है। ए आर रहमान का जादू इस बार फीका पड़ता दिखा। न तो गाने प्रभावी हैं, न ही बैकग्राउंड स्कोर में कोई दम है।

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फिल्म की सिनेमैटोग्राफी औसत है और प्रोडक्शन डिजाइन में भी कई खामियां नजर आती हैं। युद्ध के दृश्यों में 300 जैसी हॉलीवुड फिल्मों की कॉपी करने की कोशिश की गई है, लेकिन असर वैसा नहीं बन पाया।

सिर्फ विक्की कौशल के लिए देख सकते हैं

अगर आप संभाजी महाराज की वीरता की कहानी बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म एक बार देखने लायक हो सकती है। हालांकि, कमजोर बैकग्राउंड स्कोर, कुछ ऐतिहासिक तथ्यों की गड़बड़ी और वीभत्स क्लाइमेक्स इसे हर वर्ग के दर्शकों के लिए कठिन बना सकता है।

रेटिंग: 3/5

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