बस्तर जिला में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी जीत, 4 आतंकवादी ढेर!
नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला के जंगलों में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच एक बड़ी मुठभेड़ हुई, जिसमें सुरक्षाबलों ने 4 वर्दीधारी नक्सलियों को ढेर कर दिया। इस ऑपरेशन में करीब एक हजार जवानों ने हिस्सा लिया और जंगल को घेरकर एंटी नक्सल अभियान चलाया। बस्तर रेंज के महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने इस मुठभेड़ की पुष्टि की और बताया कि मारे गए नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। उनके पास से AK47 राइफल और SLR जैसे खतरनाक हथियार भी बरामद हुए हैं।
शहीद हुआ एक जवान, सुरक्षा बलों ने दिखाया साहस
हालांकि, इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों को भी नुकसान हुआ। दंतेवाड़ा जिला रिजर्व गार्ड (DRG) के हेड कांस्टेबल सन्नू कारम शहीद हो गए। उनकी शहादत से सुरक्षा बलों के बीच दुख की लहर दौड़ गई, लेकिन उन्होंने अपनी साहसिक कार्रवाई जारी रखी। जवानों ने मुठभेड़ के बाद सर्च ऑपरेशन चलाकर नक्सलियों के शव बरामद किए। यह ऑपरेशन सुरक्षाबलों की दृढ़ता और नक्सलियों के खिलाफ उनके संकल्प का प्रतीक है।
चार जिलों की टीमों ने मिलकर चलाया एंटी नक्सल ऑपरेशन
सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच यह मुठभेड़ 5 जनवरी को सुबह समाप्त हुई, जबकि ऑपरेशन शुक्रवार रात 3 जनवरी को शुरू हुआ था। नारायणपुर, दंतेवाड़ा, जगदलपुर और कोंडागांव जिलों की DRG और STF टीमों ने मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। चारों टीमों ने जंगल को चारों ओर से घेर लिया था और नक्सलियों को घेरकर जवाबी कार्रवाई की। जैसे ही गोलीबारी बंद हुई, सुरक्षाबलों ने शवों की बरामदगी के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू किया, जो सुबह तक पूरा हुआ।
नक्सलियों के खिलाफ पिछले डेढ़ साल से चल रहा अभियान
नारायणपुर के एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि दक्षिणी अबूझमाड़ क्षेत्र में नक्सलियों के छिपे होने की सूचना सुरक्षाबलों को मिली थी। सूचना के बाद DRG और STF ने मिलकर ऑपरेशन को शुरू किया। इस क्षेत्र में पिछले डेढ़ साल से नक्सलियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। इस दौरान 300 से ज्यादा नक्सली मारे जा चुके हैं, जबकि 1000 से ज्यादा नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 800 से अधिक ने आत्मसमर्पण किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने 15 दिसंबर 2024 को छत्तीसगढ़ के नक्सल मुक्त बनने का संकल्प लिया था और 2026 तक राज्य को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है।
नक्सल विरोधी अभियान में सुरक्षाबलों की सफलता
सुरक्षाबलों के लिए यह ऑपरेशन एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि बस्तर के जैसे संवेदनशील इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाना बहुत कठिन होता है। इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि सुरक्षा बल पूरी तरह से नक्सलियों को अपने नियंत्रण में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उनका मनोबल ऊंचा है।