Arun Roy: कैंसर से जूझते हुए बांग्ला सिनेमा के महान निर्देशक का निधन!

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नई दिल्ली, बांग्ला सिनेमा के मशहूर और उत्कृष्ट निर्देशक Arun Roy का 56 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे और उनका निधन एक सरकारी अस्पताल में हुआ। उनकी मृत्यु से बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री में गहरा शोक है। इस लेख में हम उनके जीवन और कार्यों पर एक नजर डालेंगे।

कैंसर से जूझते हुए अंतिम समय तक संघर्ष किया

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Arun Roy ने अपनी आखिरी सांस एक सरकारी अस्पताल में ली, जहां वह पिछले डेढ़ साल से कैंसर का इलाज करा रहे थे। हाल ही में उन्हें फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण आरजी कर अस्पताल में भर्ती किया गया था। अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक, उनका स्वास्थ्य हाल के दिनों में काफी खराब हो गया था और वह संक्रमण से नहीं लड़ सके। उनकी मृत्यु ने उनके चाहने वालों और सिनेमा के प्रशंसकों को गहरा शोक में डुबो दिया।

फिल्म ‘बाघा जतिन’ में देव के साथ की थी खास साझेदारी

Arun Roy की निधन की खबर को अभिनेता देव ने सबसे पहले सोशल मीडिया पर साझा किया। देव ने ‘बाघा जतिन’ फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी, जो बांग्ला क्रांतिकारी जतींद्रनाथ मुखर्जी के जीवन पर आधारित थी। देव ने पोस्ट करते हुए लिखा, “तुम बहुत जल्दी चले गए, दोस्त। आप 24 कैरेट सोने के दिल वाले व्यक्ति थे।” देव के इस भावनात्मक संदेश से यह साफ था कि अरुण रॉय उनके लिए केवल एक निर्देशक नहीं, बल्कि एक प्रिय दोस्त भी थे।

Arun Roy का सिनेमाई सफर

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Arun Roy ने 2011 में अपनी पहली फिल्म ‘एगारो – द इम्मोर्टल इलेवन’ से सिनेमाई दुनिया में कदम रखा। इस फिल्म को दर्शकों ने खूब सराहा और रॉय की पहचान बन गई। इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन फिल्में बनाई, जिनमें ‘चोलाई’ (2016), ‘हीरालाल’ (2018), ‘8/12 बिनय बादल दिनेश’ और ‘बाघा जतिन’ शामिल हैं। इन फिल्मों में रॉय ने ऐसे सामाजिक और ऐतिहासिक मुद्दों को उठाया, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करते थे।

प्रोसेनजीत चटर्जी का भावनात्मक संदेश

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बंगाली सुपरस्टार प्रोसेनजीत चटर्जी ने भी Arun Roy के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि रॉय की हर फिल्म, ‘एगारो’ से लेकर ‘बाघा जतिन’ तक, ने हमें एक नई दिशा दिखाई। प्रोसेनजीत ने यह भी कहा, “कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद, वह शारीरिक रूप से हार गए, लेकिन वह हमारे दिलों में हमेशा विजेता रहेंगे।” उन्होंने अरुण रॉय के परिवार और करीबी लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

Arun Roy की सिनेमाई धरोहर

Arun Roy का योगदान बांग्ला सिनेमा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं को अपनी फिल्मों के माध्यम से उजागर किया और हमेशा अपने दर्शकों को सोचने के लिए प्रेरित किया। उनकी फिल्मों ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि सामाजिक बदलाव की आवश्यकता को भी दर्शाया। उनका योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।

निधन के बाद उनकी फिल्मों का महत्व

Arun Roy का निधन भले ही बांग्ला सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति हो, लेकिन उनकी बनाई हुई फिल्मों का महत्व आज भी कायम है। उनकी फिल्मों में छिपे संदेश और विषयवस्तु हमेशा दर्शकों को प्रेरित करती रहेंगी। उनका काम हमेशा जीवित रहेगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करता रहेगा।

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