Cryptocurrency के खुलासे को लेकर भारत सरकार का बड़ा फैसला।
Indian Government और Cryptocurrency के पारदर्शिता मुद्दे को लेकर युँ तो चर्चा लंबे समय से चली आ रही है पर इस मुद्दे पर अब सरकार ने अपनी चुप्पी तोड़ दी है। भारतीय सरकार ने Bitcoin और अन्य दूसरी cryptocurrency को रेगुलेट करने के लिए अब हर कंपनी के लिए ये ज़रूरी कर दिया है कि यदि उनके पास किसी भी तरह की Virtual Currency या Cryptocurrency है तो वे उसे अपनी बैलेंस शीट में जरूर दिखाएंगे।
किसने दिए डायरेक्टिव?
बीते वीरवार को, ये डायरेक्टिव मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स/कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) द्वारा पारित किया गया है। गवर्नमेंट के द्वारा लिया गया ये स्टेप न केवल Cryptocurrency की डीलिंग को बदलने बल्कि इन्वेस्टर्स के साथ हुई लेन देन में भी पारदर्शिता लाने में मदद करेगा। इसी मामले से सबंधित एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि यदि कंपनियां Cryptocurrency में व्यापार कर रही है तो इस व्यापार में पारदर्शिता होनी चाहिए और यह जानकारी भी अवश्य दी जानी चाहिए कि इस तरह के व्यापार से कितना पैसा बनाया गया है।
क्या कहा MCA ने?
MCA ने अपने एक ब्यान में कहा है कि उन्होंने Companies Act, 2013 के scheduled III में संशोधन करके इस डायरेक्टिव को लागू करने का फैसला किया है MCA के अनुसार ये बदलाव 1st April से ही लागू कर दिये जायेंगे। MCA के अनुसार गवर्नमेंट ने यह निर्णय Cryptocurrency की लेन-देन में पारदर्शिता लाने और कुछ लेन-देन पर बैन लगाने हेतु लिया है।
कम्पनीज़ को क्या करना होगा डिस्क्लोज़?
इस डायरेक्टिव के अनुसार, कंपनी को Virtual Currency और Cryptocurrency से संबंधित हुई लेन-देन, प्रॉफिट-लॉस, उससे जुड़ी ट्रांजैक्शन्स और कंपनी के द्वारा की गयी होल्डिंग्स आदि सभी को डिस्क्लोज़ करना होगा। यदि किसी कंपनी ने ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट के लिए कहीं भी या किसी व्यक्ति के पास भी कोई Cryptocurrency या Virtual Currency में डिपोज़िट या एडवांस दिया है तो उन्हें उसे भी डिस्क्लोज़ करना होगा।
भारत में 7 मिलियन इनवेस्टर्स ने लगभग $1 बिलियन के क़रीब crypto-currencies में इनवेस्ट किया हुआ है। यह इकलौता ऐसा कारण बन गया जिसकी वज़ह से गवर्नमेंट इस परिक्रया में पूरी तरह से बैन नहीं लगा सकती और इसी के चलते गवर्नमेंट ने ये फैसला लिया है कि अब इस लेन-देन पर आरबीआई ही नज़र रखेगी और इसे कंट्रोल करेगी।