Yash Rathod का रणजी सीजन, क्या वह भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बना पाएंगे?

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नई दिल्ली, 2019 के अंत में Yash Rathod भारतीय अंडर-19 टीम में अपनी जगह बनाने के काफी करीब थे, लेकिन उन्हें टीम में स्थान नहीं मिल पाया। इस समय कोरोना महामारी भी आ गई और उनकी क्रिकेट यात्रा में लगभग दो साल का ब्रेक आ गया। इन दो सालों में Yash Rathod को निराशा का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2021 में विदर्भ क्रिकेट टीम में शामिल होने के बाद, Yash Rathod ने अपनी पूरी मेहनत और लगन से अपनी खोई हुई पहचान वापस पाई और क्रिकेट की दुनिया में अपनी वापसी की।

रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन

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Yash Rathod का यह साल उनके करियर का सबसे बेहतरीन सीजन रहा है। यह उनका रणजी ट्रॉफी का दूसरा सीजन है, और उन्होंने इस दौरान शानदार प्रदर्शन किया है। इस सीजन में उन्होंने 52 की औसत से 728 रन बनाए, जिसमें चार शतक शामिल हैं। इसके साथ ही उन्होंने छह बार 50 से ऊपर का स्कोर किया और चार बार उसे शतक में बदलने में सफल रहे। इन चार शतकों में से तीन लगातार मैचों में आए, जिसमें से दो शतक ऐसे समय पर आए, जब उनकी टीम संघर्ष कर रही थी। Yash Rathod ने तमिलनाडु के खिलाफ सेमीफाइनल में भी 112 रन बनाकर अपनी टीम को संकट से उबारा।

बड़ी शुरुआत को बड़े स्कोर में बदलने का मनोबल

Yash Rathod ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी सोच और रणनीति को दिया। उन्होंने इस सीजन के शुरुआत में ही तय किया था कि वो अपनी अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में बदलेंगे। उन्होंने बताया, “मैं जानता था कि अगर मुझे आगे बढ़ना है तो अर्धशतक नहीं, बल्कि शतक बनाने होंगे। यही मेरी प्राथमिकता थी।” उनके इस सोच ने उन्हें निरंतर सफलता दिलाई, और उन्होंने कई मुश्किल स्थितियों में अपनी टीम को मैच में वापस लाया।

कड़ी मेहनत और निरंतरता का परिणाम

Yash Rathod के लिए 2021-22 का रणजी ट्रॉफी सीजन काफी चुनौतीपूर्ण था। शुरुआत में वह टीम से बाहर थे और कंधे की चोट ने उनके पहले-class क्रिकेट डेब्यू में रुकावट डाल दी। हालांकि, सीनियर खिलाड़ियों के संन्यास के बाद उन्हें एक मौका मिला और उन्होंने उसे पूरी तरह से भुनाया। अब तक, राठौड़ ने न केवल अपनी तकनीकी कौशल को साबित किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि वह आक्रामक क्रिकेट खेल सकते हैं।

कभी निराशा, कभी संघर्ष, लेकिन अंत में सफलता

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Yash Rathod की यात्रा सिर्फ संघर्ष से भरी नहीं रही है, बल्कि इसमें निरंतर सुधार और मेहनत की भी कहानी है। उन्होंने साबित कर दिया कि निराशा के बाद सफलता मिलती है, बशर्ते इंसान खुद पर विश्वास रखें। उन्होंने आक्रामक क्रिकेट की नई दिशा अपनाई और खुद को एक मजबूत बल्लेबाज के रूप में स्थापित किया।

सीजन की सबसे बड़ी चुनौती: रणजी सेमीफाइनल

अब Yash Rathod की नज़रें रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल पर हैं, जहां उन्हें मुंबई जैसी मजबूत टीम का सामना करना है। उनके प्रदर्शन से यह साबित हो चुका है कि वह केवल एक रक्षात्मक बल्लेबाज नहीं, बल्कि आक्रामक खेल में भी माहिर हैं। विजय हज़ारे ट्रॉफी में उन्होंने 95 के स्ट्राइक रेट से दो शतकों के साथ 406 रन बनाए, और उनकी टीम ने फाइनल तक पहुंचने में सफलता पाई।

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