World Sleep Day: नींद न आने से बढ़ रही है इन समस्याओं का खतरा! क्या आप भी हो सकते हैं शिकार?
World Sleep Day: नई दिल्ली, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, देर रात तक मोबाइल या लैपटॉप पर काम करने की आदत ने लोगों की नींद और स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालना शुरू कर दिया है। यह आदत न केवल हमारी नींद को प्रभावित कर रही है, बल्कि इससे हमारी याददाश्त में भी कमी आने लगी है। व्यक्ति का व्यवहार भी बदलने लगा है—उन्हें जल्द गुस्सा आना, अचानक मूड स्विंग्स और अन्य मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
नींद का महत्व और मानसिक स्वास्थ्य
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विशेषज्ञों का मानना है कि अच्छी नींद हमारे शरीर और मस्तिष्क के लिए संजीवनी के समान होती है। एक सामान्य व्यक्ति को रात में 7 से 8 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है, ताकि शरीर और मस्तिष्क रिचार्ज हो सकें। जब हम सोते हैं, तो मस्तिष्क में ऐसे रसायन उत्पन्न होते हैं जो हमारी याददाश्त को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसके बावजूद, भागदौड़ भरी जिंदगी और मोबाइल-लैपटॉप के अत्यधिक उपयोग के कारण लोग पर्याप्त नींद नहीं ले पा रहे हैं, जिसका असर उनकी मानसिक स्थिति पर भी पड़ रहा है।
मोबाइल और लैपटॉप की सफेद रोशनी का प्रभाव
एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर मंजरी त्रिपाठी का कहना है कि देर रात तक मोबाइल और लैपटॉप की सफेद रोशनी से नींद पर गहरा असर पड़ रहा है। ऐसे मामलों में लोग बहुत अधिक परेशानी महसूस कर रहे हैं, और एम्स में आने वाले मरीजों में इसका बढ़ता हुआ प्रतिशत देखा गया है। डॉक्टर के मुताबिक, मोबाइल और लैपटॉप के स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मस्तिष्क को जागृत रखती है और व्यक्ति की नींद को प्रभावित करती है।
डिमेंशिया और याददाश्त में कमी का खतरा
नींद के दौरान हमारे मस्तिष्क से टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकलते हैं, जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। अगर ये टॉक्सिक पदार्थ मस्तिष्क से बाहर नहीं निकलते हैं, तो डिमेंशिया जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आमतौर पर, उम्र बढ़ने के साथ भूलने की समस्या होती है, लेकिन देर रात तक मोबाइल या लैपटॉप देखने की आदत ने कम उम्र में ही ऐसी समस्याओं को जन्म देना शुरू कर दिया है।
इन्सोम्निया (Insomnia): नींद की गंभीर समस्या
अगर कोई व्यक्ति रात में ठीक से सो नहीं पाता है, तो उसे इन्सोम्निया (Insomnia) का शिकार माना जा सकता है। यह एक गंभीर नींद की समस्या है, जिसमें व्यक्ति को नींद आने में या गहरी नींद सोने में कठिनाई होती है। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जैसे तनाव, चिंता, अवसाद, और खराब नींद की आदतें। जब व्यक्ति को लगातार नींद न आने की समस्या होती है, तो उसे आराम की कमी महसूस होती है, जो उसकी कार्यक्षमता को प्रभावित करती है।
इन्सोम्निया के लक्षण
इन्सोम्निया के लक्षणों में अक्सर निम्नलिखित समस्याएं देखी जाती हैं:
- रात में बार-बार उठ जाना
- सुबह जल्दी उठ जाना
- खर्राटों के कारण नींद में व्यवधान आना
- सप्ताह में तीन से अधिक बार नींद का खराब होना
यदि सप्ताह में तीन दिन या उससे अधिक समय तक नींद में समस्या बनी रहती है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। ऐसे लक्षणों का इलाज तुरंत डॉक्टर से करवाना चाहिए, क्योंकि यह क्यूट इन्सोम्निया का संकेत हो सकता है।
समय पर उपचार आवश्यक
इन्सोम्निया या नींद की अन्य समस्याओं का समय पर इलाज बेहद जरूरी है। इस इलाज में नींद की आदतों को सुधारना, व्यवहार थेरेपी और किसी भी अंतर्निहित कारण का उपचार शामिल हो सकता है। कभी-कभी डॉक्टर नींद की गोलियाँ भी लिख सकते हैं, लेकिन इनका उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए।
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नींद की कमी से संबंधित रोग
नींद की कमी से सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य ही प्रभावित नहीं होता, बल्कि शारीरिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। खराब नींद से निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:
- मधुमेह (Diabetes)
- उच्च रक्तचाप (Hypertension)
- मोटापा (Obesity)
इन समस्याओं का समय रहते इलाज करना आवश्यक है, ताकि शरीर और मस्तिष्क दोनों स्वस्थ रहें।