क्या HMPV बनेगा भारत में अगली महामारी? जानिए सच्चाई।
नई दिल्ली, भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) संक्रमण के सात मामले सामने आए हैं। ये मामले बेंगलुरु, नागपुर, तमिलनाडु और अहमदाबाद में दर्ज किए गए हैं। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने जनता को आश्वस्त किया है कि स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कोई नया वायरस नहीं है और इसकी पहचान पहली बार 2001 में की गई थी।
अहमदाबाद और नागपुर के मामलों की जानकारी
अहमदाबाद में राजस्थान के डूंगरपुर से आए दो महीने के बच्चे का HMPV टेस्ट पॉजिटिव आया। शिशु को सांस संबंधी बीमारी के कारण भर्ती किया गया था। नागपुर में सात और तेरह साल के दो बच्चों में संक्रमण की पुष्टि हुई। दोनों का इलाज आउट पेशेंट के रूप में किया गया और वे पूरी तरह ठीक हो गए।
तमिलनाडु में मामले और सरकार की प्रतिक्रिया
तमिलनाडु में चेन्नई और सलेम से जुड़े दो मामलों की पुष्टि हुई। राज्य के स्वास्थ्य सचिव सुप्रिया साहू ने बताया कि दोनों बच्चों की स्थिति स्थिर है। उन्होंने कहा कि यह संक्रमण आमतौर पर सहायक देखभाल से ठीक हो जाता है।
HMPV: वायरस को समझें
HMPV पहली बार 2001 में नीदरलैंड में पहचाना गया था। यह एक श्वसन संक्रमण है, जो हल्की बीमारियों से लेकर गंभीर ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया का कारण बन सकता है। यह मुख्य रूप से सर्दियों और शुरुआती वसंत के मौसम में सक्रिय रहता है। वायरस श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है और बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को अधिक प्रभावित करता है।
भारत में HMPV की निगरानी और शोध
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बेंगलुरु, अहमदाबाद और अन्य स्थानों पर संक्रमण के मामलों की पुष्टि की है। ICMR के एक अध्ययन में पाया गया कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों में श्वसन रोगजनकों का 4% हिस्सा HMPV के कारण होता है। इसके अलावा, यह वयस्कों में निमोनिया के 10% मामलों का कारण बनता है।
निवारक उपाय और जागरूकता
HMPV से बचाव के लिए लोगों को बुनियादी श्वसन संक्रमण प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। इनमें छींकते या खांसते समय मुंह और नाक को ढंकना, बार-बार हाथ धोना और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर मास्क पहनना शामिल है। तमिलनाडु सरकार ने पुष्टि की है कि राज्य में श्वसन संबंधी बीमारियों में कोई बड़ी वृद्धि नहीं हुई है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
HMPV मामलों की खबरों का असर वित्तीय बाजारों पर भी पड़ा है। सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, विशेषज्ञों ने बताया कि घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह संक्रमण अधिकांश मामलों में लक्षणात्मक देखभाल से ठीक हो जाता है।