नई दिल्ली, भारतीय सिनेमा के दिग्गज फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और निर्माता Shyam Benegal का सोमवार को मुंबई में निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी बेटी पिया बेनेगल ने यह जानकारी साझा की। 14 दिसंबर को ही उन्होंने अपना 90वां जन्मदिन मनाया था। Shyam Benegal के निधन से भारतीय सिनेमा में एक युग का अंत हो गया।
अद्वितीय योगदान: नेशनल अवॉर्ड्स के बादशाह
Shyam Benegal के नाम सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड है। उन्हें 8 अलग-अलग फिल्मों के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला। उनकी फिल्मों ने भारतीय समाज के जटिल मुद्दों को उजागर किया और सिनेमा को एक नया आयाम दिया।
हिंदी सिनेमा को दिए अनमोल कलाकार
Shyam Benegal ने भारतीय सिनेमा को नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, स्मिता पाटिल और शबाना आजमी जैसे बेहतरीन कलाकार दिए। उनकी फिल्मों में “अंकुर,” “मंथन,” “नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो,” और “जुबैदा” जैसी अद्वितीय कृतियाँ शामिल हैं।
दस्तावेजी फिल्में और धारावाहिकों का अनोखा सफर
Shyam Benegal ने जवाहरलाल नेहरू और सत्यजीत रे पर डॉक्यूमेंट्री बनाई। इसके साथ ही दूरदर्शन के लिए उन्होंने “भारत एक खोज,” “यात्रा,” और “कथा सागर” जैसे धारावाहिकों का निर्देशन किया। उनके इन कार्यों ने भारतीय सिनेमा और टेलीविजन में नई सोच को बढ़ावा दिया।
प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत
Shyam Benegal को 1976 में पद्मश्री, 1991 में पद्म भूषण और 2005 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान, दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया। उनकी रचनात्मकता और समर्पण के लिए उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया।
अंतिम फिल्म और शुरुआती जीवन
1974 में अपनी पहली फिल्म “अंकुर” से श्याम बेनेगल ने आंध्र प्रदेश के किसानों की समस्याओं को सामने लाया। उनकी आखिरी फिल्म “मुजीब – द मेकिंग ऑफ ए नेशन” थी, जो बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की जिंदगी पर आधारित थी।
Shyam Benegal का जन्म 14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद में हुआ। वे प्रसिद्ध फिल्मकार गुरुदत्त के कजिन थे। अर्थशास्त्र में एम.ए. करने के बाद उन्होंने फोटोग्राफी और विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा।
हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि
Shyam Benegal के निधन पर कई दिग्गज हस्तियों ने गहरा शोक व्यक्त किया। फिल्म निर्देशक शेखर कपूर ने कहा, “श्याम बेनेगल ने भारतीय सिनेमा की दिशा बदली।” वहीं, सुधीर मिश्रा ने कहा, “उनकी फिल्मों ने साधारण चेहरे और साधारण जीवन की कविता को सबसे सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया।”