नई दिल्ली, प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान एक नई उथल-पुथल मच गई है। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने आचार्य महामंडलेश्वर Laxmi Narayan Tripathi को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। साथ ही ममता कुलकर्णी को भी अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। इस कदम से माहौल में हलचल मच गई है और Laxmi Narayan Tripathi ने इसका प्रतिवाद किया है। आइए, जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम के बारे में विस्तार से।
Laxmi Narayan Tripathi को महामंडलेश्वर पद से हटाया गया
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महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े में अचानक विवाद खड़ा हो गया जब Laxmi Narayan Tripathi और ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर के पद से हटा दिया गया। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने एक पत्र जारी कर कहा कि Laxmi Narayan Tripathi और ममता कुलकर्णी ने सनातन परंपरा और नियमों का पालन नहीं किया और इसलिए उन्हें पद से हटा दिया गया। अजय दास ने यह भी कहा कि त्रिपाठी ने अपने निजी स्वार्थ के लिए काम किया और अपने कर्तव्यों से भटक गए थे।
ऋषि अजय दास ने निष्कासन की वजह बताई
ऋषि अजय दास ने Laxmi Narayan Tripathi को हटाने की वजह बताते हुए कहा कि Laxmi Narayan Tripathi ने किन्नर अखाड़े की परंपराओं और उद्देश्यों का उल्लंघन किया है। उन्होंने ड्रग्स से जुड़े मामले में आरोपी ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में शामिल किया, जिससे अखाड़े की छवि पर असर पड़ा। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि Laxmi Narayan Tripathi अपनी जिम्मेदारियों से दूर हो गए थे और खुद के निजी हितों में व्यस्त हो गए थे।
Laxmi Narayan Tripathi ने दिया कड़ा जवाब
Laxmi Narayan Tripathi ने इस कार्रवाई का विरोध करते हुए ऋषि अजय दास को सीधी चुनौती दी। त्रिपाठी ने कहा कि अजय दास कौन होते हैं उन्हें हटाने वाले। उन्होंने यह भी कहा कि अजय दास तो अब गृहस्थ आश्रम में रह रहे हैं और उन्होंने अपने किन्नर अखाड़े के कार्यों से किनारा कर लिया है। त्रिपाठी ने कानूनी कार्रवाई करने की भी बात की। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि उन्हें हटाना एक राजनीतिक कदम है और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने भी इस पर नाराजगी जताई है।
Laxmi Narayan Tripathi: किन्नर समाज की महत्वपूर्ण आवाज
Laxmi Narayan Tripathi किन्नर समाज की एक प्रमुख हस्ती हैं। उनका जन्म 13 दिसंबर 1980 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले में हुआ था। उन्होंने मीठीबाई कॉलेज से स्नातक किया और फिर भरतनाट्यम में पोस्ट-ग्रैजुएशन किया। 2002 में उन्होंने ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना की। उनकी कोशिशों से ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को ‘तीसरे लिंग’ के रूप में मान्यता दी। 2015 में उन्हें किन्नर अखाड़े का पहला महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया था।
निष्कासन पर अखाड़ा परिषद का रुख
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने ऋषि अजय दास के निर्णय पर नाराजगी जताई है और कहा कि उन्हें पहले कभी अजय दास का नाम नहीं सुना था। उन्होंने Laxmi Narayan Tripathi को सभी अखाड़ों का समर्थन मिलने की बात कही और इस फैसले को गलत ठहराया। यह मामला अब और भी गहरा हो सकता है, क्योंकि त्रिपाठी ने कानूनी रास्ता अपनाने की धमकी दी है।