Beti Bachao Beti Padhao की सफलता: आंकड़े जो करेंगे आपको हैरान।
नई दिल्ली, भारत में Beti Bachao Beti Padhao पहल की 10वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इस अभियान ने समाज में लड़कियों के प्रति नजरिए को बदलने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई इस पहल का मुख्य उद्देश्य लिंग चयन जैसे संवेदनशील मुद्दों को हल करना और लड़कियों की शिक्षा व सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
अभियान की शुरुआत और उद्देश्य
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2015 में शुरू हुए Beti Bachao Beti Padhao का मकसद लड़कियों के अस्तित्व को बचाने और उनकी शिक्षा को बढ़ावा देना था। यह अभियान मुख्यतः उन जिलों में केंद्रित था जहाँ जन्म के समय लड़कियों और लड़कों का अनुपात बेहद असंतुलित था। पहल ने लोगों के बीच जागरूकता फैलाने, समुदायों को जोड़ने और नीति-निर्माण में सुधार लाने के लिए ठोस प्रयास किए।
लिंग अनुपात में सुधार
इस अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक जन्म के समय लिंग अनुपात में सुधार है। ऐसे जिलों में, जहाँ बालिका जन्म दर कम थी, अब सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। यह सामुदायिक प्रयासों और सरकार की योजनाओं का परिणाम है।
महिला सशक्तिकरण और शिक्षा पर जोर
लड़कियों की शिक्षा इस पहल की नींव रही है। जागरूकता बढ़ाने और संसाधन उपलब्ध कराने से लड़कियों के लिए नए अवसर खुले हैं। महिलाएँ अब पुलिस, उद्यमिता, और अन्य पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। महिला उद्यमिता में 1.4 मिलियन MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) का योगदान इस बदलाव को दर्शाता है।
सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव
Beti Bachao Beti Padhao ने सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि मानसिकता में भी बड़ा बदलाव लाया है। इस अभियान ने लड़कियों और उनके परिवारों को आत्मविश्वास और गर्व का एहसास कराया। अब समाज लड़कियों को भी समान अधिकार देने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है।
अभियान की सफलता के पीछे योगदान
इस अभियान की सफलता में सरकारी अधिकारियों, सामुदायिक नेताओं, शिक्षकों और कार्यकर्ताओं ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने सामूहिक प्रयासों से लैंगिक भेदभाव को दूर किया और लड़कियों को बेहतर भविष्य की राह दिखाई।
अभी भी बाकी है सफर
हालांकि यह पहल एक सकारात्मक शुरुआत रही है, लेकिन भारत में हर लड़की को भेदभाव और हिंसा से मुक्त जीवन देने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इस अभियान को और मजबूत बनाना और इसे हर गांव और कस्बे तक पहुँचाना जरूरी है।