Shanti Devi Reincarnation: पुनर्जन्म की कहानी जिसमें महात्मा गाँधी को करनी पड़ी जांच
Shanti Devi Reincarnation: क्या आपको मालूम है कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी एक पुनर्जन्म से जुड़ा रहस्य (Shanti Devi Reincarnation) सुलझाने में भी शामिल थे? इस पूरे वाक्ये को जानकर आप हैरान हो जाएंगे। पूरा मामला दिल्ली से शुरू हुआ जिसका तार मथुरा से जुड़ा था। दरअसल ये पूरी घटना शांति देवी से संबंधित है जिसे सुनकर महात्मा गाँधी जी भी हैरान हो गए थे और उन्होंने इस मामला की सत्यता जाचने के लिए 15 लोगों की एक कमेटी का गठन किया। तो आइये जानते हैं क्या था पूरा मामला?
Shanti Devi Reincarnation (कौन थी शांति देवी)
दिल्ली में 11 दिसंबर 1926 को एक छोटे मोहल्ले में बाबूरंग बहादुर माथुर के यहां एक पुत्री का जन्म हुआ जिसका नाम शांति देवी रखा गया शांति देवी ने बचपन में जब बोलना शुरू किया, तभी से कहती थी कि वो शदीशुदा है लेकिन कोई उसकी बातों पर ध्यान नहीं देता था। उससे उसके पति का नाम पूछने पर वो शर्मा जाती थी और बोलती थी कि वो अपने पति का नाम नहीं ले सकती लेकिन वो अपने ससुराल का पता सही-सही बताती थी।
मथुरा की स्थानीय भाषा में बात करती थी
Shanti Devi ऐडमिशन पास के ही एक स्कूल में करवा दिया गया जहाँ वो मथुरा की स्थानीय भाषा में बात करती थी। उसके पिता ने स्कूल के हेड मास्टर को सारी बात बताई कि शांति देवी स्वयं को शादी शुदा बताती है। जब हेड मास्टर ने उस बच्ची से अकेले में पूछा तो वो भी जानकर हैरान रह गए शांति देवी ने बताया कि पिछले जन्म में उसका नाम लुगदी देवी था (Shanti Devi Reincarnation) और उसका ससुराल, मथुरा में द्वार्काधीश मंदिर के पास था। उसका पति एक कपड़ा व्यापारी था। वो चश्मा लगाता था और उसके गाल पर एक मस्सा भी था।
एक बेटा होने का भी दावा किया
उसने बताया कि पिछले जन्म में उनका बच्चा होने के 10 दिन बाद उसकी मौत हो गई और उनका एक जीवित बेटा भी था। मास्टर साहब ने उसके पति का नाम पूछा तो वह शर्मा गई और बताने से इंकार कर दिया। उन्होंने शांति देवी को प्रलोभन दिया और तब उन्होने अपने पति का नाम केदारनाथ चौबे बताया। हेड मास्टर जी ने उस लड़की द्वारा बताए गए पते पर केदारनाथ चौबे को एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने सारी घटना का जिक्र किया।
केदारनाथ जी ने पत्र का उत्तर देकर बताया कि Shanti Devi जो भी कह रही है, वह बिलकुल सत्य है इसके बाद केदारनाथ अपने चचेरे भाई पंडित कांजिवन से मिलें। पंडित कांजिवन शांति देवी से मिलने जब उनके घर आए तो शांति देवी ने उन्हें तुरंत पहचान लिया कि वह केदारनाथ चौबे के चचेरे भाई हैं।
Shanti Devi पति की तीसरी शादी से दुःखी हुई
इस घटना के बाद शांति देवी से मिलने केदारनाथ जी अपने पुत्र और तीसरी पत्नी के साथ दिल्ली आए। सत्यता को जांचने के लिए केदारनाथ और उनके बेटे को शांति देवी के सामने अलग-अलग नाम से पेश किया गया लेकिन शांतिदेवी ने उन दोनों को देखते ही पहचान लिया। शांति देवी ने केदारनाथ को कई ऐसी पुरानी घटनाओं के बारे में भी बताया जिसे जानकर वे चौंक गए और उन्हें विश्वास हो गया कि वे उनकी पत्नीं लुगदी देवी ही हैं।
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लेकिन Shanti Devi यह देख कर बहुत दुखी हुई कि केदारनाथ ने तीसरी शादी कर ली। शांति देवी ने पूछा कि आपने लुगदी देवी से वादा किया था कि आप दुबारा शादी नहीं करेंगे, इसका केदारनाथ के पास कोई जवाब नहीं था।
महात्मा गाँधी जी ने किया कमेटी का गठन
इस पूरे मामले की जानकारी महात्मा गाँधी जी को हुई तो उन्होंने इसकी सत्यता की जांच के लिए (Shanti Devi Reincarnation) 15 सदस्यों की एक कमेटी बना दी। यह कमेटी शांति देवी को 15 नवंबर 1935 को मथुरा लेकर गई और वहां उन्हें तांगे में बैठाकर केदारनाथजी के घर ले जाया गया तब शांति देवी ने ही तांगे वाले को घर तक का रास्ता बताया।
मथुरा पहुंचकर शांति देवी ने परिवार के लोगों को पहचान लिया और यह भी बताया कि उन्होने कहाँ पैसे छिपाकर रखे हैं।
जाँच कमेटी ने माना लुगदी देवी का पुनर्जन्म
जाँच बाद कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंची कि शांति देवी के रूप में ही लुगदी देवी ने ही पुनर्जन्म लिया है। शांतिदेवी ने उम्रभर अविवाहित रहने का फैसला लिया और उनकी मृत्यु 27 दिसंबर 1987 को हुई।