Patanjali के विज्ञापनों ने बनाई कानूनी मुश्किलें, अब रामदेव और बालकृष्ण को क्यों आना पड़ा कोर्ट?
Patanjali: नई दिल्ली, केरल के पलक्कड़ जिले में एक बड़ी कानूनी कार्यवाही हुई, जब न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट ने बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और दिव्य फार्मेसी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया। यह कार्रवाई 16 जनवरी को की गई, जब वे व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने के लिए बुलाए गए थे, लेकिन वे अदालत में उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद अदालत ने यह आदेश जारी किया कि सभी आरोपियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया जाता है।
क्या है मामला?
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यह मामला Patanjali आयुर्वेद की सहायक कंपनी दिव्य फार्मेसी द्वारा प्रकाशित विज्ञापनों के खिलाफ है। इन विज्ञापनों में कथित रूप से औषधि और जादुई उपचार के बारे में भ्रामक दावे किए गए थे। इन दावों में एलोपैथी चिकित्सा का अपमान भी शामिल था, जो भारतीय चिकित्सा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आरोप है कि इन विज्ञापनों में गंभीर बीमारियों के इलाज के बारे में निराधार और झूठे दावे किए गए, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था।
कानूनी चुनौतियाँ और विवाद
इस मुद्दे ने राष्ट्रीय ध्यान तब आकर्षित किया जब भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने Patanjali आयुर्वेद के खिलाफ याचिका दायर की। इस याचिका के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने Patanjali के विज्ञापनों पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया और इन विज्ञापनों के लिए अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि Patanjali को समाचार पत्रों में माफ़ी प्रकाशित करनी होगी, और रामदेव तथा बालकृष्ण को सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी होगी। हालांकि, 1945 के औषधि और प्रसाधन सामग्री नियमों के तहत केंद्र सरकार को कड़ी कार्रवाई नहीं करने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना की थी।
अगली सुनवाई का दिन
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2024 में अवमानना के मामले को बंद कर दिया, लेकिन Patanjali और उसके संस्थापकों के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रही। अब पलक्कड़ कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी को तय की है, जो इस पूरे विवाद को और अधिक जटिल बना सकती है।
Patanjali के विज्ञापनों की कानूनी स्थिति
Patanjali आयुर्वेद और इसके संस्थापकों को पिछले कुछ वर्षों में अपने विज्ञापनों के कारण कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इनमें से कई मामले भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में थे, जिनमें दावा किया गया कि उनकी दवाइयाँ चमत्कारी रूप से विभिन्न बीमारियों को ठीक कर सकती हैं। इन विवादों ने ना केवल उनकी कंपनी को कानूनी समस्याओं में डाल दिया, बल्कि इससे भारतीय चिकित्सा प्रणाली और एलोपैथी के विशेषज्ञों के बीच भी विवाद पैदा हुआ।
पलक्कड़ कोर्ट का आदेश और सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस मामले को एक नया मोड़ दिया है। यह मामला न केवल बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के लिए बल्कि पूरे Patanjali आयुर्वेद के लिए एक बड़ा कानूनी चुनौती है। आने वाले दिनों में इस मामले की सुनवाई से यह साफ होगा कि इस विवाद का क्या हल निकलेगा और इसके परिणाम क्या होंगे।
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